इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विधायक अब्बास अंसारी की उस जमानत याचिका को खारिज कर दिया जिस मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एफआईआर में मनी लॉंड्रिंग के मामले में विधायक अब्बास अंसारी को अभियुक्त बनाया गया था। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया की मामले को देखने से नही लगता है मनी लॉंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों के तहत अभियुक्त इस मामले में निर्दोष है। यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बनाए गए है आरोपी एफआईआर के द्वारा आरोप लगाया गया है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म मनी लॉंड्रिंग में सीधे तौर पर शामिल है, उक्त फर्म के द्वारा जमीनों पर कब्जा कर गोदामों का निर्माण कराया गया और उन गोदामों को एफसीआई को किराए पर देकर 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की गई। कहा गया है कि उक्त फर्म ने नाबार्ड से सवा दो करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त कर ली। आरोप है कि उक्त विकास कंस्ट्रक्शन की मेजर शेयर होल्डर अभियुक्त की मां अफशां अंसारी है तथा विकास कंस्ट्रक्शन सीधे तौर पर मेसर्स आगाज से सम्बंधित है जो अभियुक्त के नाना की कंपनी है। अब्बास अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया कि यदि ये दोनों फर्म मनी लॉंड्रिंग में शामिल भी हैं तो भी इनसे अभियुक्त का सीधे कोई सम्बंध नहीं है। वहीं ईडी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए न्यायालय को बताया कि उक्त दोनों ही फर्म के खातों से अब्बास अंसारी के खातों में पैसे आते थे और ये पैसे वह अपने निजी खर्चों के तौर पर इस्तेमाल करता था जिसमें विदेश घूमना और स्पोर्ट रायफल शूटिंग के लिए हथियारों का आयात शामिल है। न्यायालय को यह भी बताया गया की अभियुक्त ने शुरूआत में विवेचना में तब तक सहयोग नहीं किया जब तक उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस नहीं जारी हो गया।