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उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 24 वर्ष पुराने धोखाधड़ी मामले में एनबीडब्ल्यू निरस्त, अदालत ने मुकदमे की कार्यवाही समाप्त की

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (तृतीय) पवन सिंह की अदालत ने धोखाधड़ी, गबन और दहेज प्रताड़ना के 24 वर्ष पुराने मामले में एक आरोपित के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त कर दिया। साथ ही, अदालत ने उच्च न्यायालय द्वारा प्रोसिडिंग को क्वैश करने के आदेश के अनुपालन में मुकदमे की समस्त कार्यवाही भी समाप्त कर दी।

बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत में अपना पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार, तारापुर, लंका निवासी नर्मदा प्रसाद आजाद ने 9 सितंबर 1994 को अदालत में परिवाद दाखिल किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भेलूपुर निवासी विमला प्रसाद सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, शाकंबरी प्रसाद सिंह, नागेश सिंह और अन्य ने मिलकर उनकी पौत्री का अपने पुत्र से शादी कराने का झांसा देकर तिलक के दौरान 1.30 लाख रुपए हड़प लिए और बाद में अपने पुत्र की शादी कहीं और कर दी।

जब नर्मदा प्रसाद ने इस बारे में पूछताछ की, तो आरोपितों ने उन्हें गालियाँ दीं और जान से मारने की धमकी दी। मामले में आरोपितों के खिलाफ अदालत ने धोखाधड़ी, गबन और दहेज प्रताड़ना के आरोप में परिवाद दर्ज कर उन्हें अभियुक्त तलब किया। 

आरोपितों ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की, जिसके परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय ने प्रोसिडिंग को क्वैश कर दिया। हाल ही में, लोअर कोर्ट में आदेश की प्रति दाखिल न होने के कारण सुरेश प्रसाद सिंह के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया गया था। 

आरोपित ने अपने अधिवक्ता विकास सिंह के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित होकर उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति प्रस्तुत की, जिसके आधार पर अदालत ने वारंट निरस्त कर दिया और मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी।

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (तृतीय) पवन सिंह की अदालत ने धोखाधड़ी, गबन और दहेज प्रताड़ना के 24 वर्ष पुराने मामले में एक आरोपित के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को निरस्त कर दिया। साथ ही, अदालत ने उच्च न्यायालय द्वारा प्रोसिडिंग को क्वैश करने के आदेश के अनुपालन में मुकदमे की समस्त कार्यवाही भी समाप्त कर दी।बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत में अपना पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार, तारापुर, लंका निवासी नर्मदा प्रसाद आजाद ने 9 सितंबर 1994 को अदालत में परिवाद दाखिल किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि भेलूपुर निवासी विमला प्रसाद सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, शाकंबरी प्रसाद सिंह, नागेश सिंह और अन्य ने मिलकर उनकी पौत्री का अपने पुत्र से शादी कराने का झांसा देकर तिलक के दौरान 1.30 लाख रुपए हड़प लिए और बाद में अपने पुत्र की शादी कहीं और कर दी।जब नर्मदा प्रसाद ने इस बारे में पूछताछ की, तो आरोपितों ने उन्हें गालियाँ दीं और जान से मारने की धमकी दी। मामले में आरोपितों के खिलाफ अदालत ने धोखाधड़ी, गबन और दहेज प्रताड़ना के आरोप में परिवाद दर्ज कर उन्हें अभियुक्त तलब किया। आरोपितों ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की, जिसके परिणामस्वरूप उच्च न्यायालय ने प्रोसिडिंग को क्वैश कर दिया। हाल ही में, लोअर कोर्ट में आदेश की प्रति दाखिल न होने के कारण सुरेश प्रसाद सिंह के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया गया था। आरोपित ने अपने अधिवक्ता विकास सिंह के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित होकर उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति प्रस्तुत की, जिसके आधार पर अदालत ने वारंट निरस्त कर दिया और मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी। 

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