इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति ने अपील के माध्यम से निचली अदालत से मिली सजा को चुनौती दी है। गायत्री प्रजापति की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान दो सदस्यीय खंडपीठ के एक न्यायमूर्ति ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। इसके कारण न्यायालय ने मामले को मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष भेजने का निर्देश दिया ताकि मुख्य न्यायमूर्ति इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच को निर्दिष्ट कर सके। मिली सजा को लेकर गायत्री प्रजापति ने हाईकोर्ट में दी है चुनौती
सत्र अदालत ने 12 नवंबर 2021 को दुराचार के एक मामले में गायत्री प्रजापति व अन्य अभियुक्तों को दोषी मानते हुये , उम्र कैद की सजा सुनाई थी। गायत्री समेत सजा पाए अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में अपील के माध्यम से, सत्र अदालत के द्वारा दिए गए सजा के आदेश को चुनौती दी है। अपील के लम्बित रहने के दौरान जमानत पर रिहा किए जाने की भी मांग की हुई है। 1 मई को गायत्री व अन्य अपील करने वाले के जमानत प्रार्थना पत्रों पर न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम ने उक्त सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। न्यायमूर्ति के द्वारा खुद को इस मामले से अलग होने का कोई भी कारण आदेश में नही बताया गया है। अब उक्त जमानत याचिका पर अगली सुनवाई दूसरी खंडपीठ के समक्ष 8 मई को होने की सम्भावना है। साल 2017 में दर्ज हुआ था मुकदमा
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले में पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था। 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी सात अभियुक्तों विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रुपेश्वर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था। 12 नवम्बर 2021 को सत्र अदालत ने गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि बाकी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा भी अपील दाखिल करते हुए, अन्य अभियुक्तों को बरी किए जाने को चुनौती दी गई है।