भाइयों-बहनों…गोरखपुर सीट से हिंदू युवा वाहिनी के प्रत्याशी डॉ. राधा मोहन जी हैं। इन्हें अपना आशीर्वाद दें। इन्हें ही जिताना है। ऐसा मंच से योगी आदित्यनाथ ने कहा, तो चुनावी सभा में ‘योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद’ के नारे लगने लगे। चारों तरफ भगवा झंडे लहराने लगे। लेकिन, इन झंडों में कमल का फूल नहीं था। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ का बनाया हुआ संगठन ‘हिंदू युवा वाहिनी’ फुल फॉर्म में रहा। चुनाव हुए और नतीजे चौंकाने वाले आए। भाजपा कैंडिडेट चुनाव हार गया। योगी के समर्थन से डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल जीत गए। यूपी में भाजपा की सरकार थी। योगी आदित्यनाथ भाजपा से ही सांसद थे। भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ला को कैंडिडेट बनाया, वह यूपी में राजनाथ कैबिनेट में मंत्री थे। शिव प्रकाश गोरखपुर से 4 बार विधायक चुने जा चुके थे। चर्चा थी कि इतना मजबूत कैंडिडेट होने के बावजूद, योगी के कैंडिडेट ने उन्हें हरा दिया। आखिर योगी ने भाजपा कैंडिडेट के सामने अपना प्रत्याशी क्यों उतारा? क्यों भाजपा के खिलाफ प्रचार किया? भास्कर की स्पेशल सीरीज चुनावी किस्सा में आज जानेंगे… यह वाकया यूपी विधानसभा चुनाव 2002 का है। गोरखपुर में अभी हिंदू युवा वाहिनी के गठन के कुछ ही दिन बीते थे। तीसरी बार सांसद बने योगी आदित्यनाथ जोर-शोर से इसकी अगुवाई कर रहे थे। कई इकाइयां संचालित हो चुकी थी। चुनाव का ऐलान होने के बाद सभी पार्टियों ने कैंडिडेट का ऐलान किया। साल 1998 में गोरक्षपीठ के तत्कालीन उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के कहने पर डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को गोरखपुर के चुनाव का संयोजक बनाया गया। उनके काम से योगी काफी प्रभावित थे। वह चाहते थे कि गोरखपुर सीट से राधा मोहन को प्रत्याशी बनाया जाए। राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। चिंतन-मनन के बाद भाजपा ने गोरखपुर के वर्तमान विधायक शिव प्रताप शुक्ला पर भरोसा जताया। शिव प्रकाश 1989 से इस सीट को जीतते आ रहे थे। बस यही बात योगी आदित्यनाथ को पसंद नहीं आई। इसके बाद ‘अखिल भारत हिंदू महासभा’ के टिकट पर डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल चुनावी मैदान में उतर गए। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर और महाराजगंज जिले की बाकी सीटों पर भाजपा के लिए वोट मांगते थे। लेकिन गोरखपुर शहर की सीट पर आते ही भाजपा के खिलाफ वोट मांगने लगते। रिजल्ट में शिव प्रताप तीसरे नंबर पर रहे
योगी आदित्यनाथ मंच लगाकर डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल के समर्थन में वोट मांगते। शिव प्रताप पर जुबानी हमला बोलते। नतीजा आया, तो सब हैरान रह गए। राधा मोहन को 38 हजार 830 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा के प्रमोद टेकरीवाल थे, जिन्हें 20 हजार 382 वोट मिले। शिव प्रताप तीसरे नंबर पर पहुंच गए। उन्हें मात्र 14 हजार 509 वोट मिले। 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले राधा मोहन भाजपा से जुड़ गए। 2007 में दोबारा गोरखपुर शहर सीट से विधायक बन गए। 2022 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने सपा की सभावती शुक्ला को 1 लाख वोट से हराया। यह पहली बार नहीं था, जब योगी आदित्यनाथ भाजपा के विरोध में दिखाई दिए। इसके अलावा दो बार और वह चर्चा में रहे। चलिए वह भी जानते हैं… दूसरी बार : भाजपा की बैठक वाले दिन आयोजित किया विराट हिंदू सम्मेलन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की साप्ताहिक पत्रिका पीपुल्स डेमोक्रेसी के लिए सुभाष घटाटे ने एक लेख लिया। इसमें उन्होंने बताया- 22 दिसंबर से 24 दिसंबर 2006 तक भाजपा ने लखनऊ में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तय की थी। योगी आदित्यनाथ ने उन्हीं तीन दिनों में गोरखपुर में विराट हिंदू महासम्मेलन आयोजित कर दिया। भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के लोग गए। गोरखपुर के सम्मेलन में RSS और विश्व हिंदू परिषद के दिग्गज शामिल हुए। योगीनामा में शांतनु गुप्ता लिखते हैं- हिंदूवादी नेताओं ने महासम्मेलन में शामिल होकर हिंदुत्व के लक्ष्यों के प्रति एक संकल्प को दिखाया। सुभाष घटाटे यह समझ ही नहीं पाए कि यह पार्टी के ढांचे के बजाय किसी ताकतवर नेता के माध्यम से जनता के बीच उसके समर्थन को जानने की एक रणनीति भी हो सकती है। महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ सदन में योगी आदित्यनाथ
10 मार्च 2010, उस वक्त की UPA सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। विपक्ष में बैठी भाजपा ने व्हिप जारी कर दिया। मतलब पार्टी के सभी सांसदों का इस बिल को समर्थन है। योगी आदित्यनाथ नहीं माने। योगी ने सदन के बाहर कहा- इस विधेयक की कोई जरूरत ही नहीं। हम किसी भी प्रकार के आरक्षण के विरोध में हैं। अपनी क्षमता के आधार पर लोगों को सदन में चुन कर आना चाहिए। योगी ने कहा- कांग्रेस के झांसे में आ गई भाजपा
योगी आदित्यनाथ ने अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा- भाजपा नेतृत्व कांग्रेस सरकार के झांसे में आ गया। देश में कई और मुद्दे हैं, उनकी चर्चा होनी चाहिए। लोग महंगाई से त्रस्त हैं। नक्सलवाद और आतंकवाद से परेशान हैं। महिला विधेयक के जरिए कांग्रेस महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। योगी के बयानों के बाद मीडिया में चर्चा चली कि भाजपा में इस विधेयक को लेकर फूट है। प्रकाश जावड़ेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए। उन्होंने कहा- पार्टी के अंदर कोई विरोध नहीं है। महिला आरक्षण विधेयक का पार्टी समर्थन करती है। उन्होंने योगी का नाम नहीं लिया, सिर्फ इतना कहा, हम लोकतांत्रिक दल हैं। हमारे यहां हर कोई अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है। 2017 में भाजपा से विवाद पर योगी ने दी थी सफाई
2017 में योगी आदित्यनाथ इंडिया टीवी के शो ‘आप की अदालत’ पहुंचे। रजत शर्मा ने उनसे भाजपा के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बारे में पूछा, तब उन्होंने जवाब दिया- इन सवालों का अब कोई मतलब नहीं है। मैं पार्टी की सोच के साथ हूं, तभी भाजपा के टिकट पर 5 बार से सांसद बन रहा हूं। 1. बलरामपुर की महारानी ने चुनाव हारने पर गिफ्ट किया महाराजगंज:कहा था- जनता ने हमारा नमक खाया, वोट हमें देगी, मगर नानाजी से हार गईं 2. जब पंडित नेहरू ने कहा- मैं प्रचार नहीं करूंगा:फूलपुर के चुनाव में डॉ. लोहिया की हवा बनी, तो प्रधानमंत्री को तोड़ना पड़ा वादा 3. जब यूपी को मिला 31 घंटे का मुख्यमंत्री:मायावती ने गिराई कल्याण सिंह की सरकार, अटल बिहारी को करना पड़ा था अनशन 4. कांशीराम ने 47 प्रत्याशियों को हराया, मुलायम ने सपा बनाई: साइकिल से प्रचार करके पहली बार इटावा से सांसद बने कांशीराम की कहानी 5. जब खून से बनी तस्वीर देख भावुक हुईं इंदिरा गांधी:बोलीं- हम हारे हैं, तो जीतेंगे भी; इस हुंकार ने दिलाई उपचुनाव में जीत 6. जब कट्टर विरोधी मुलायम-कल्याण ने हाथ मिलाया:नेताजी ने मुस्लिमों से माफी मांगी, कहा-मस्जिद गिराने के जिम्मेदारों का साथ नहीं देंगे