एक तरफ जहां एआई उद्योगों को नया रूप देने के लिए तैयार है, वहीं एक विरोधाभास भी उभर रहा है। टेक्नोलॉजी की क्षमता का लाभ उठाने के लिए इसकी जानकारी रखने वाले पेशेवरों की बढ़ती मांग के बावजूद एआई से संबंधित स्किल्स की कमी बनी हुई है। एआई से जुड़े कौशलों की कमी- जैसे मशीन लर्निंग, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और डेटा साइंस में दक्षता से लेकर एआई के नैतिक मायनों की समझ तक- के चलते टेक्नोलॉजी को प्रभावी ढंग से अमल में लाने में बाधा आ रही है। एक हालिया रिपोर्ट में, 47% अधिकारियों ने कहा है कि उनके कर्मचारियों में एआई के लिए जरूरी कौशल की कमी है। इससे कंपनियों की अपनी एआई परियोजनाओं को आइडिएशन से कार्यान्वयन तक ले जाने की क्षमता प्रभावित होगी। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2023 की रिपोर्ट में पाया गया है कि 2027 से पहले हर 10 में से 6 कर्मचारियों को एआई-प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, लेकिन आज आधे से भी कम के पास पर्याप्त प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध हैं। यह स्किल-गैप न केवल पेशेवरों के करियर के लिए बुरा है, बल्कि आर्थिक विकास को भी नुकसान पहुंचाता है। एआई द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। आने वाले वर्षों में, शैक्षणिक और व्यावसायिक संस्थान संभवतः एआई नैतिकता-कौशल सिखाने, आजीवन सीखने की पेशकश करने और अधिक प्रतिस्पर्धी होने के लिए अपनी सेवाओं में एआई को शामिल करने पर अधिक जोर देंगे। खासतौर पर एआई एथिक्स एक मुख्य चिंता का विषय बन जाएगा। आज देखते ही देखते जनरेटिव एआई, कम्प्यूटर-स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध हो गया है। नियोक्ताओं और उनके आईटी विभागों के लिए यह कर्मचारियों द्वारा जनरेटिव एआई के अनधिकृत उपयोग की समस्या को जन्म देगा। इससे कंपनियां सुरक्षा, अनुपालन और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों की शिकार हो सकती हैं। इसके अलावा, नए एआई एजेंटों का प्रबंधन करने के लिए भी एआई एथिक्स जरूरी होंगे। एआई मॉडल कैसे अपना आउटपुट उत्पन्न करते हैं, इसकी बुनियादी समझ के बिना डेटा की सुरक्षा या सिस्टम्स को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार लोग इस कार्य के लिए अयोग्य होंगे। एआई और अन्य नई तकनीकों के तेजी से विकसित होने के साथ ही आजीवन सीखते रहना न्यू-नॉर्मल बन जाएगा। इस प्रक्रिया को ऐसी स्किल्स विकसित करने में बांटा जा सकता है जो तात्कालिक जरूरतों को पूरा करती हैं, भविष्य की जरूरतों का अनुमान लगाती हैं और हमेशा मांग में रहने वाली विशेषज्ञता प्रदान करती हैं। संस्थानों के भीतर कई पारंपरिक भूमिकाएं अब जल्द ही बदलने वाली हैं। उदाहरण के लिए, कुछ कर्मचारी जो वर्तमान में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं (यानी अन्य लोगों के मैनेजर नहीं हैं), वे वैसी नई प्रकार की टीमों में शामिल हो सकते हैं, जिनमें मनुष्य एआई एजेंटों का प्रबंधन करते हैं। और उन्हें इस मौलिक परिवर्तन के लिए तैयार करने के लिए नेचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और मशीन लर्निंग जैसे एआई-संबंधित क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल क्रेडेंशियल्स की मांग में वृद्धि होने की संभावना है। इसके अलावा, क्वांटम कंप्यूटिंग का भविष्य का उपयोग भी नई स्किल्स की आवश्यकता को बढ़ाता रहेगा। साथ ही, साइबर हमलों की संख्या और विविधता में लगातार वृद्धि होने से अप-टु-डेट साइबर-सिक्योरिटी स्किल्स का महत्व भी बढ़ेगा। एआई और ऑटोमेशन तकनीकें मौजूदा शिक्षा प्लेटफॉर्मों को भी कहीं प्रभावी बना सकती हैं, जैसा कि हम 2025 में देख सकते हैं। एआई-संचालित समाधान एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां वे अब अनिवार्य होते जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को छात्रों की जरूरतों को समझने और उन्हें प्रासंगिक पाठ्यक्रमों से मिलाने या कोचिंग और फीडबैक को बढ़ाने के लिए एआई-संचालित उपकरणों को लागू करने के नए तरीके खोजने होंगे। ये ही तकनीकें शिक्षा के ग्राहक-सेवा पहलुओं को भी बेहतर बना सकती हैं। आने वाले वर्षों में, शिक्षा प्रणाली और प्लेटफॉर्म मल्टीमॉडल एआई मॉडल से भी लाभान्वित होंगे, जो ऑडियो, वीडियो, चार्ट और छवियों को प्रोसेस करके और प्रभावी बना सकते हैं। ये सच है कि एआई को अपनाकर हम पेशेवर-नतीजों को बेहतर बना सकते हैं, अपनी दक्षता में सुधार कर सकते हैं और लागतों को भी कम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए पहले हमें एआई के लिए एक स्किल्ड वर्कफोर्स को विकसित करना होगा। 2027 से पहले हर 10 में से 6 कर्मचारियों को एआई-प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, लेकिन आज आधे से भी कम के पास प्रशिक्षण के अवसर हैं। यह स्किल-गैप न केवल पेशेवरों, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी बुरा है।
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