सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से इस सीट की देश में चर्चा है। यहां से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने पिछले चुनाव में डिंपल यादव को हराया था। अब अखिलेश को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश जानते नहीं हैं, ऐसी बॉलिंग करूंगा कि गेंद पड़ेगी कहीं और घुसेगी कहीं। क्या सुब्रत ने अखिलेश को भेड़िया कहा, इसलिए वे कन्नौज से तेज प्रताप को हटाकर खुद चुनाव लड़ रहे? वह अक्सर विवादों में रहते हैं। इसका चुनाव पर असर क्या होगा? भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने दैनिक भास्कर के इन सवालों के भी जवाब दिए। पढ़िए…पूरा इंटरव्यू। सवाल- कन्नौज से अखिलेश यादव चुनाव मैदान में हैं, लगता है चुनाव संघर्ष भरा होगा?
जवाब- उनका असर बिल्कुल नहीं है। ये बात मैं तब कह रहा हूं, जब जनता के बीच जाता हूं और लोगों का उत्साह देखता हूं। इससे साफ है कि जनता मोदीजी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट कर रही है। सवाल- अखिलेश यादव से पहले भी आप हार चुके हैं, इस बार जनता आपका कितना साथ देगी?
जवाब- हार-जीत जनता तय करती है। कुछ लोगों को लगता है वो मुलायम सिंह के बेटे हैं। मेरे पिता मुलायम सिंह नहीं, साधारण आदमी हैं, इसमें मेरा क्या दोष? साधारण आदमी ही वोट करता है। सवाल- कन्नौज सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दे हावी हैं या स्थानीय मुद्दे?
जवाब- देखिए, पंचायत चुनाव में लोकल मुद्दे होते हैं। राज्य के चुनाव में राज्य के मुद्दे होते हैं। लेकिन ये राष्ट्र का चुनाव है, तो जाहिर है राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी हैं। सवाल- सपा ने पहले तेज प्रताप को उतारा, फिर प्रत्याशी क्यों बदल दिया?
जवाब- तेज प्रताप को उतारने के बाद जिस प्रकार की परिस्थितियां बनीं, उनके ही लोगों ने अपने प्रत्याशी का विरोध कर दिया। यहां से उनकी जमानत भी नहीं बच रही थी। सवाल- आपने अखिलेश को भेड़िया कहा, क्या इस बयान के चलते वे यहां से चुनाव लड़ रहे?
जवाब- ऐसा था कि सपा कार्यकर्ता लगातार कह रहे थे, भैया आ रहे हैं। तभी मैंने कहा था कि भैया-भैया कोई भेड़िया थोड़े न हैं। हम तो इनके भैया के खिलाफ ही लड़ते रहे। 2009 का इलेक्शन हमने लड़ा। 2014 का इलेक्शन इनकी पत्नी के खिलाफ लड़ा। 2019 में भी सपा के खिलाफ चुनाव लड़ा। उनके अत्याचार के खिलाफ ही चुनाव लड़ता आया हूं, वरना मैं तो सीधा-साधा व्यापारी था। सवाल- अखिलेश से 2009 में आप चुनाव हारे थे। इस बार कितनी परिस्थितियां बदल गईं?
जवाब- उस वक्त हमारी पार्टी या संगठन उतना मजबूत नहीं था। हम कुछ कार्यकर्ता ही थे। पार्टी भी कमजोर थी, अब पार्टी मजबूत है। 2014 के बाद मोदी और योगीजी का चेहरा सामने आया। इसके बाद लगातार भाजपा मजबूत हुई। अपराध कम हुआ। हमारी संगठनात्मक मजबूती 2019 से भी ज्यादा है। सवाल- सपा अपने पुराने गढ़ों पर कब्जा करने में जुटी है? आप अपना किला कैसे बचाएंगे?
जवाब- प्रयास तो सभी करते हैं। जब हमारा समय खराब था, हमने तब भी प्रयास किया। सपा के कारनामे लोग नहीं भूले हैं। कन्नौज में मेडिकल कॉलेज का नाम भीमराव आंबेडकर रखा गया था। सपा सरकार आते ही जीटी रोड पर लगा बोर्ड तोड़ा गया। पहली कैबिनेट बैठक में मेडिकल कॉलेज का नाम बदल दिया गया। महापुरुष सभी के होते हैं, किसी जाति विशेष के नहीं। हाल ही में मैनपुरी में महाराणा प्रताप को अपमानित किया। सवाल- अखिलेश ने कहा था कि पहली बॉल में ही छक्का मारूंगा?
जवाब- अखिलेश जानते नहीं हैं। उनको शायद नहीं मालूम है कि हम लोग कॉलेज टीम से खेलते रहे हैं। मैं ऑफ स्पिन बॉलिंग करता था। ऐसी बॉलिंग करूंगा कि गेंद पड़ेगी कहीं और घुसेगी कहीं। ये समझ न पाएंगे। सवाल- वोटिंग परसेंटेज इस बार भाजपा के लिए बड़ा मुद्दा है। कम वोटिंग क्या नुकसान देगी?
जवाब- ऐसा नहीं है। जब वोटिंग परसेंटेज कम होता है, तो स्वाभाविक है चुनाव में उत्साह नहीं होता है। जैसे कन्नौज में विपक्ष का कैंडिडेट दमदार है, तो अपने पक्ष के लोग भी आसानी के साथ खड़े हो जाते हैं। जहां लड़ाई ही नहीं दिखती, तो अपने लोग भी शांत बैठ जाते हैं। जब चुनाव में उत्साह नहीं होता, तो वोटर में भी उत्साह नहीं होता। सवाल- योगी कह रहे हैं कि औरंगजेब की औलादों की गर्मी शांत कर दूंगा, क्या कहेंगे?
जवाब- ये करनी पड़ेगी। जब से चुनाव आया है, तो कुछ लोगों को लगता है किसी के जेहन में भरा हुआ है। हमारी सरकार आएगी तो विकास करेंगे। ये कहते हैं कि सूची बनाएंगे, इनकी जमीन कब्जा लेंगे, इनसे बदला लेंगे। फर्जी मुकदमा लगा देंगे। इस सोच के लोगों से सभ्य समाज की उम्मीद ही नहीं की जा सकती। सवाल- इस कार्यकाल में आपके कई विवाद रहे, कन्नौज में ये भी बड़ा मुद्दा है?
जवाब- डिंपल यादव जब से चुनाव हारी हैं, अखिलेश का दिमाग 24 घंटा लगा रहता है कि कैसे मेरी छवि खराब की जाए? तहसीलदार का प्रकरण था, हमने उनके साथ कुछ नहीं किया। वो अपनी बेटी के सिर पर हाथ रखकर बोल दें। इसमें उन्होंने कोई एफआईआर भी नहीं की। उसके बाद दूसरा मैटर पुलिस का आया। हां, मैं वहां जरूर गया था। पिछड़े समाज के संघ का जुड़ा कार्यकर्ता था। सपा के लोग और स्वजातीय बंधु जो पुलिस में थे, उसका जीवन खराब करने में जुटे हैं। सवाल- आपने कहा, अखिलेश के स्वजातीय अधिकारी कन्नौज में आपको समस्या पैदा करते हैं?
जवाब- हम ही नहीं, जनता भी परेशानी उठाती है। उनके स्वजातीय लोग जान-बूझकर समस्या पैदा करते हैं। अब जैसे बिजली पूरी आ रही है, लेकिन कहीं-कहीं उनके बिरादरी के लाइनमैन व्यवस्था खराब करते हैं। सवाल- कन्नौज में विकास को लेकर आपसे बड़ी नाराजगी है?
जवाब- कन्नौज में भरपूर विकास हुआ है। लोगों के नजर में एक चीज फिट की गई कि यहां सांसद ने क्या विकास किया? अब कभी भी मेरी तुलना सांसद अखिलेश से नहीं की गई। सांसद डिंपल ने क्या किया? अब मुख्यमंत्री अखिलेश की तुलना सांसद सुब्रत पाठक से तो नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री की तुलना मुख्यमंत्री से ही की जा सकती है। उन्होंने जो-जो काम किए सब अधूरे किए। आपके पिताजी कन्नौज से सांसद रहे। आप मुख्यमंत्री रहे, आपने कन्नौज के इत्र को बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए। सवाल- डिंपल यादव ने दावा किया है भाजपा को 200 से पार नहीं जाने देंगे, क्या कहेंगे?
जवाब- डिंपल ऐसी बातें नहीं करेंगी तो उन्हें वोट कौन देगा? जनता काम देखती है। डिंपल या उनकी पार्टी से कोई पीएम बनेगा, ये संभव ही नहीं। 273 सीटें दिल्ली में सरकार बनाने को चाहिए, वो तो कहीं आसपास भी नहीं। सवाल- भाजपा नेताओं के चुनावी भाषणों में गर्मी, माफिया की बात होती है, विकास या जनता के मुद्दों की बात क्यों नहीं होती?
जवाब- जनता के मुद्दों, विकास पर ये लोग जाते ही कहां हैं? ये तो माफिया के घर जाते हैं। जब अखिलेश यादव एक दुर्दांत माफिया के घर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उसकी कब्र पर फातिहा पढ़ेंगे, तो हिंदू-मुसलमान क्यों नहीं होगा? राजू पाल, कृष्णानंद राय, उमेश पाल, रूंगटा के घर अखिलेश यादव क्यों नहीं जाते, क्योंकि उनके यहां से वोट नहीं मिलेगा। यहां से 20% वोट मिलेगा। जिनका चरित्र ही सीएम बनकर आतंकवादियों को छोड़ने वाला आदेश देने का रहा हो, उनका मुद्दा यही रहेगा। सवाल- यूपी में इंडी गठबंधन कितनी सीटें जीतेगा?
जवाब- भाजपा यूपी की 80 सीटें जीत रही है, माहौल हमारे पक्ष में है। जब 4 जून आएगा,तो लोग EVM का रोना शुरू कर देंगे। ये भी पढ़ें… पत्नी की हार का बदला लेना अखिलेश के लिए चुनौती:भाजपा कैंडिडेट का वायरल वीडियो बना मुसीबत, मोदी-योगी का चेहरा ही सहारा कन्नौज सीट पर 13 मई को वोटिंग होनी है। इससे पहले ‘दैनिक भास्कर’ ने यहां का चुनावी मिजाज जाना। आम पब्लिक, सियासी दलों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात करके यहां मुख्य तौर पर 3 बातें समझ आईं… पूरी खबर पढ़ें… ‘राम’ की छवि के बावजूद अरुण गोविल मुश्किल में:मेरठ में सपा-बसपा ने पहली बार मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट न देकर भाजपा के समीकरण बिगाड़े मेरठ की गलियों में राम भजन गूंज रहे हैं। भाजपा ने अभिनेता अरुण गोविल को कैंडिडेट बनाया है। टीवी धारावाहिक रामायण के ‘राम’ की छवि पर चुनाव लड़ रहे अरुण की वजह से मेरठ VIP सीट बन गई है। इनकी एंट्री के बाद मेरठ में कास्ट फैक्टर अहम हो गया है। बदलते समीकरण के बीच पहली बार सपा और बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट पर दांव नहीं लगाया।पूरी खबर पढ़ें…