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थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम:हमास चीफ की मौत गाजा में युद्ध का खात्मा कर सकती है

हमास चीफ याह्या सिनवार की मौत बहुत मायने रखती है। यह न केवल गाजा युद्ध को समाप्त कर सकती है, बल्कि इसमें इजराइली बंधकों की वापसी और गाजा में सामान्य हालात बहाल होने की संभावना भी निहित है। इससे ओस्लो करारनामे के बाद से इजराइलियों व फिलिस्तीनियों के बीच टू-स्टेट सॉल्यूशन की दिशा में सबसे बड़ा कदम उठाए जाने की संभावना भी उत्पन्न होती है। इससे इजराइल व सऊदी अरब के बीच हालात सामान्य हो सकते हैं और आज सऊदी अरब का मतलब लगभग समूची इस्लामिक-दुनिया है। सिनवार और हमास ने हमेशा टू-स्टेट सॉल्यूशन को खारिज किया और वे यहूदी-राष्ट्र के हिंसक-विनाश के लिए कमर कसे हुए थे। उनकी इस जिद की गाजा से बड़ी कीमत किसी ने नहीं चुकाई। इस मसले का कोई हल निकलना था, तो उसके लिए सिनवार की मौत जरूरी थी। लेकिन यह इसकी इकलौती शर्त नहीं थी। इसके लिए यह भी जरूरी है कि इजराइल के पास ऐसा नेतृत्व हो, जो सिनवार की मौत से निर्मित अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार हो। क्या इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस चीज के लिए राजी हैं कि वेस्ट बैंक का फिलिस्तीनी प्राधिकरण सिनवार के नेतृत्व वाले हमास के स्थान पर गाजा पर शासन करे? मेरे अमेरिकी, अरब और इजराइली राजनयिक सूत्रों के अनुसार, पिछले एक महीने से बाइडेन के निर्देश पर विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस), मिस्र के अब्देल फतह अल-सीसी और यूएई के मोहम्मद बिन जायद इस पर चर्चा कर रहे हैं कि युद्ध और हमास के खत्म होने के गाजा के पुनर्निर्माण के लिए क्या किया जाएगा? सऊदी-इजराइल सम्बंधों के सामान्यीकरण का मार्ग कैसे प्रशस्त किया जाएगा? और गाजा और वेस्ट बैंक दोनों के एक नए भविष्य के लिए इजराइल और फिलिस्तीनियों द्वारा बातचीत करने के एक और प्रयास के लिए अनुकूल स्थितियां कैसे बनाई जाएंगी? इसके पीछे एक व्यापक विचार यह है कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास, अर्थशास्त्री और प्राधिकरण के पूर्व प्रधानमंत्री सलाम फय्याद- या साफ-सुथरी छवि वाले किसी अन्य व्यक्ति को- नए फिलिस्तीनी प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए सहमत हो जाएं, ताकि वे मंत्रिमंडल का नेतृत्व करते हुए प्राधिकरण में सुधार कर सकें, भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर सकें और राजकाज सम्भाल सकें। वैसा फिलिस्तीनी प्राधिकरण तब औपचारिक रूप से एक अंतरराष्ट्रीय शांति सेना की मांग करेगा, जिसमें यूएई, मिस्र सहित अन्य अरब देशों और यूरोपीय देशों के भी सैनिक शामिल ​​हो सकते हैं। इस सैन्यबल को गाजा में इजराइली सेना की जगह लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से तैनात किया जा सकता है। फिर फिलिस्तीनी प्राधिकरण सऊदी अरब, यूएई और अन्य अरब देशों, यूरोपीय देशों और अमेरिका द्वारा प्रदान की गई राहत निधि से गाजा के पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदार होगा। वैसी स्थिति में फिलिस्तीनी प्राधिकरण, गाजा में अपनी विश्वसनीयता को बहाल करने और फिलिस्तीनी राजनीति में अपने मुख्य संगठन फतह के महत्व को बढ़ाने का प्रयास कर सकता है, जिससे हमास के बचे-खुचे अवशेष भी खत्म हो जाएंगे। अमेरिकी और अरब राजनयिक- पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की खामोश सहायता के साथ- इजराइल के रणनीतिक मामलों के मंत्री और नेतन्याहू के करीबी सलाहकार रॉन डर्मर के साथ इस विचार पर काम कर रहे हैं। इसके लिए, इजराइल को केवल अंतर्राष्ट्रीय सेना के हिस्से के रूप में गाजा के पुनर्निर्माण में फिलिस्तीनी प्राधिकरण की भागीदारी को चुपचाप अनुमति देने की आवश्यकता है- औपचारिक रूप से इसे अपनाने की नहीं। हालांकि नेतन्याहू इस बात को समझते हैं कि गाजा के पुनर्निमाण के लिए अरब ताकतें केवल तभी अंतरराष्ट्रीय शांति सेना में भाग लेंगी, जब इजराइल एक फिलिस्तीनी-स्टेट के निर्माण की प्रक्रिया में शिरकत करेगा। एमबीएस ने स्पष्ट कर दिया है कि सऊदी अरब इजराइल के साथ रिश्ते कायम करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन गाजा में इतने सारे फिलिस्तीनी लोगों की मौत के बाद अब इजराइल को युद्ध खत्म करने की जरूरत है। यूएई और मिस्र की भी यही सोच है। एमबीएस नेतन्याहू को वह दे सकते हैं, जो इससे पहले किसी इजराइली नेता को नहीं मिला : जिस मुल्क में इस्लाम की दो सबसे पवित्र मस्जिदें हैं, उसके साथ रिश्ते! अब्बास भी उनकी बहुत इज्जत करते हैं। लेकिन इसके लिए इजराइल की रजामंदी जरूरी है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है, नेतन्याहू को इसे चूकना नहीं चाहिए। गाजा के पुनर्निमाण के लिए अरब ताकतें केवल तभी अंतरराष्ट्रीय शांति सेना में भाग लेंगी, जब इजराइल एक फिलिस्तीनी-स्टेट के निर्माण की प्रक्रिया में शिरकत करेगा। गाजा में इतनी मौतों के बाद युद्ध खत्म करने की जरूरत है।
(द न्यूयॉर्क टाइम्स से)

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