तारीख- 19 अगस्त 2019, स्थान- हैदराबाद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्‌डी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा भाजपा में शामिल कराते हैं। सोमवार को श्रीकला का बसपा से टिकट कटता है, तो पूरी कहानी ऊपर लगी तस्वीर के इर्द-गिर्द घूमती है। ये पूरी स्क्रिप्ट ही पर्दे के पीछे बीजेपी और श्रीकला रेड्‌डी की नजदीकियों के बीच लिखी गई। श्रीकला रेड्डी का टिकट कटने से जौनपुर में तो BJP की राह आसान होगी ही, पूर्वांचल की 25 सीटों पर क्षत्रिय वोटों का डैमेज कंट्रोल भी हो सकेगा। टिकट कटने के फायदे-नुकसान और श्रीकला का टिकट कटने की स्क्रिप्ट को सिलसिलेवार बताती भास्कर की यह खास रिपोर्ट… यूपी में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती…ठाकुर बिरादरी की नाराजगी दूर करना
दरअसल, यूपी में दो फेज की वोटिंग हो चुकी है। पश्चिमी यूपी में क्षत्रियों को कम टिकट मिलने से उनकी बिरादरी में भाजपा के खिलाफ अच्छी-खासी नाराजगी देखने को मिली। अब ये चुनाव पूर्वांचल की ओर बढ़ रहा है। इस रीजन को देखें, तो यहां की 25 लोकसभा सीटों पर कहीं न कहीं क्षत्रिय वोटर प्रभावित करता नजर आ रहा है। यही वजह है कि पश्चिम की गलती भाजपा पूर्वांचल में नहीं दोहराना चाहती थी। ठाकुरों की नाराजगी दूर करने लिए 5 दिन में BJP के 3 बड़े कदम 1. बृजभूषण का टिकट काटा, लेकिन उनके बेटे को दिया
कैसरगंज से लगातार 3 बार के सांसद बृजभूषण का टिकट अंतिम समय तक फंसा था। भाजपा यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण को टिकट देने में सकुचा रही थी, लेकिन उसे क्षत्रिय वोटों की भी परवाह थी। इसीलिए बीच का रास्ता निकालते हुए 2 मई को बृजभूषण के बेटे करन भूषण को टिकट दे दिया। 2. धनंजय सिंह काे चुनाव मैदान से हटाया
यूपी भाजपा ने 15 से 20 दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व को एक रिपोर्ट भेजी। पूर्वांचल में भाजपा के लिए 7 सीटों पर मुश्किल बताई गई। ये सीटें हैं- जौनपुर, मछलीशहर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, चंदौली और आजमगढ़। पूर्वांचल में धनंजय सिंह का 10 से 12 सीटों पर सीधा असर है। ठाकुर बिरादरी में इनकी अच्छी पैठ है। धनंजय सिंह की पत्नी बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थी। इसका सीधा नुकसान भाजपा को होने वाला था। बस, इसीलिए उन्हें चुनाव से अलग करने की स्ट्रैटजी बनी। अंदरखाने तय हुआ कि धनंजय सिंह चुनावी मैदान से बाहर रहकर साइलेंट तरीके से भाजपा को सपोर्ट करें, ताकि क्षत्रिय वोटरों की नाराजगी को दूर की जा सके। 3. राजा भैया से अमित शाह की मुलाकात
दो दिन पहले, यानी रविवार को राजा भैया की अमित शाह से बेंगलुरु में मुलाकात हुई। इसके मायने भी ठाकुरों की नाराजगी से जोड़कर निकाले जा रहे हैं। दरअसल, बीते राज्यसभा चुनावों में राजा भैया ने खुलकर भाजपा की मदद की थी। वह चाह रहे थे कि लोकसभा चुनावों में भाजपा और उनकी पार्टी का गठबंधन हो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बताया गया कि राजा भैया की नाराजगी का असर चुनाव में देखने को मिल सकता है। इसी वजह से राजा भैया और अमित शाह की मुलाकात हुई। बताया जाता है कि राजा भैया का भाजपा से समझौता हो गया है। धनंजय सिंह को चुनाव से अलग करने से जौनपुर में क्या असर
राजनीतिक विश्लेषक बृजेश सिंह कहते हैं, जौनपुर सीट पर धनंजय सिंह की पत्नी के चुनाव लड़ने से सीधा नुकसान भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को हो रहा था। श्रीकला रेड्‌डी का टिकट कटने से कृपा शंकर सिंह की राह आसान हो गई। बृजेश सिंह इसके कारण भी बताते हैं- 1- जौनपुर में क्षत्रिय वोट किंग मेकर
जौनपुर लोकसभा सीट पर 2 लाख से ज्यादा क्षत्रिय वोटर हैं। कृपा शंकर सिंह भी क्षत्रिय हैं और धनंजय के लड़ने से यह वोट बिखर रहा था। जौनपुर में धनंजय सिंह की इस वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है। अब उनके चुनाव से अलग होने से भाजपा को साइलेंटली सपोर्ट मिलेगा। 2. दलित वोटरों में भी अच्छी पकड़
धनंजय सिंह की पकड़ जौनपुर की एससी-ओबीसी में भी अच्छी मानी जाती है। बसपा से श्रीकला रेड्डी को टिकट मिलने के बाद से दलित वोट धनंजय के पास ही आने की उम्मीद थी। जौनपुर में दलितों की संख्या 2.5 लाख के आसपास है। दरअसल, धनंजय को 1990 के दशक में जब पुलिस से छिपना होता था, तब यही लोग मदद करते थे। राजनीतिक जीवन में आने के बाद धनंजय ने उनका साथ नहीं छोड़ा और जाति के प्रभावी नेताओं को अपनी टीम में भी शामिल किया लोकल कनेक्ट तो हमेशा बनाए रखा। 3. सपा और बसपा कैंडिडेट में बंट सकता है यादव-मुस्लिम वोट बैंक
जौनपुर में यादव-मुस्लिम वोट बैंक तकरीबन 4.5 लाख के आसपास है। माना जा रहा है कि यह वोट बैंक अब बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव और सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा के बीच बंटेगा। इसका नुकसान सपा और बसपा दोनों को होगा। भाजपा को सीधे-सीधे फायदा मिलेगा। पूर्वांचल में क्या असर? 25 सीटों पर 30 लाख क्षत्रिय वोटर्स का डैमेज कंट्रोल
पूर्वांचल में 25 लोकसभा सीटें आती हैं। इन सीटों में से 18 सीटों पर ठाकुर वोट 1 लाख से ज्यादा हैं। यूपी के कद्दावर ठाकुर नेताओं को साधकर भाजपा इन सीटों पर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। जहां तक धनंजय सिंह की बात है, ठाकुर मतदाताओं में धनंजय सिंह का असर पूर्वांचल की 12 सीटों पर है। इनमें जौनपुर, मछलीशहर, घोसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़, लालगंज, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही शामिल हैं। अब तो राजा भैया भी भाजपा के पक्ष में आ गए हैं। अमित शाह से मिलकर उनकी नाराजगी दूर हो चुकी है। ऐसे में प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज और फूलपुर सीट पर राजा भैया का सपोर्ट भाजपा को देखने को मिल सकता है। अगर पूर्वांचल से हट कर बात करें, तो राजा भैया का असर पूर्वांचल की 4 सीटों को छोड़कर फतेहपुर, बांदा और चित्रकूट में भी देखने को मिलता है। अब धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट कटने की इनसाइड स्टोरी… धनंजय की जमानत के बाद से ही शुरू हुई टिकट कटने की स्क्रिप्ट
24 अप्रैल को अमित शाह वाराणसी पहुंचे। उन्होंने पीएम के चुनावी कार्यालय का उद्घाटन किया। यहीं अमित शाह को बताया गया कि जौनपुर जेल में बंद धनंजय सिंह पत्नी को जिताने के लिए जेल से ही रणनीति बना रहे हैं। 2 दिन बाद उन्हें बरेली जेल शिफ्ट करने के आदेश हो गए। 27 मई की सुबह धनंजय को जौनपुर जेल से बरेली जेल शिफ्ट करने का आदेश हुआ। धनंजय जौनपुर से बरेली के रास्ते में ही थे, इलाहाबाद हाईकोर्ट से उनकी जमानत के आदेश हो गए। 1 मई को धनंजय बरेली जेल से बाहर निकले। उसी दिन श्रीकला रेड्डी ने बसपा से नामांकन भी दाखिल कर दिया। ऐसे कसा शिकंजा… जिला पंचायत में भ्रष्टाचार मामले में श्रीकला रेड्डी पर एक्शन की थी तैयारी 2021 में निर्दलीय चुनाव लड़कर श्रीकला रेड्‌डी जिला पंचायत अध्यक्ष बनी। 30 जुलाई, 2023 को कृपा शंकर यादव नाम के शिकायतकर्ता ने सीएम को पत्र भेज कर जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की शिकायत की। कृपा शंकर यादव ने आरोप लगाया था कि जिला पंचायत के ठेके धनंजय सिंह के इशारे पर दिए जा रहे हैं। उसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। अगस्त, 2023 में शाहगंज के निषाद पार्टी के विधायक रमेश सिंह ने विधानसभा में सवाल भी लगाया। सूत्रों के मुताबिक, जब धनंजय सिंह की जमानत हो गई, तब इसी मामले में उन पर दबाव बनाया गया। यूपी के दो कद्दावर ठाकुर नेताओं ने बताया कि इंटरनल रिपोर्ट में पहले ही धनंजय सिंह पर कार्रवाई से पूर्वांचल के ठाकुर नाराज हैं। ऐसे में इस कार्रवाई से क्षत्रियों में नाराजगी बढ़ सकती है। जिसके बाद दोनों नेताओं को बीच का रास्ता निकालने को कहा गया। 1 मई को धनंजय सिंह जेल से बाहर आ गए। जौनपुर पहुंचे और फिर दिल्ली निकल गए। केंद्रीय नेतृत्व का मैसेज 5 मई को मिला, फिर बैकफुट पर आए धनंजय सिंह
धनंजय सिंह की 5 मई को यूपी के दो कद्दावर ठाकुर नेताओं से बातचीत हुई। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ये दोनों नेता धनंजय सिंह के शुभचिंतक हैं। इन नेताओं ने ही समझौते को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का संदेश धनंजय तक पहुंचाया। दोनों नेताओं ने बताया कि अगर आप चुनाव लड़ते हैं, तो पत्नी के भ्रष्टाचार के मामले में एक्शन हो सकता है। मायावती को पता चला तो काटा टिकट
यूपी के शीर्ष नेताओं से बातचीत के बाद धनंजय सिंह मंथन कर ही रहे थे कि मायावती ने टिकट काटकर श्याम सिंह यादव को दे दिया। मायावती ने अपने पुराने सांसद श्याम सिंह यादव को रातोंरात फोन कर नॉमिनेशन की तैयारी करने को कह दिया। इस बाबत धनंजय सिंह ने जौनपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, यह गलत हुआ। इस फैसले से मेरी पत्नी आहत हैं। टिकट भी आखिरी दिन काटा, वक्त रहता तो हम लड़ने पर विचार करते। अगले 2-3 दिन में फैसला लेंगे कि किसे समर्थन करना है। बाकी जिसे हम चाहेंगे, वही जौनपुर का सांसद बनकर जाएगा। धनंजय सिंह ने आगे कहा, जो कह रहे कि टिकट को लेकर मेरी मायावती से बात हुई, वह गलत है। 2013 में मायावती जी से मेरी बात हुई थी। अभी तो मैं जेल में था। बसपा के लोगों ने मेरी पत्नी से बात करके टिकट दिया। अब टिकट काटकर मुझ पर ही आरोप लगाए जा रहे हैं। धनंजय सिंह ने कहा, एक अकेली सीट थी जौनपुर, जिसे लेकर बसपा चर्चा में थी। धनंजय सिंह की वजह से बसपा चर्चा में है, बसपा की वजह से धनंजय नहीं। चुनावों में क्या होगी धनंजय सिंह की भूमिका?
सूत्रों के मुताबिक, अब साइलेंट होकर धनंजय सिंह पूर्वांचल में ठाकुर वोटरों को साधने का काम करेंगे। अकेले जौनपुर की बात करें तो यहां वह अपने समर्थक वोटरों को भाजपा के पक्ष में करने का काम करेंगे। दरअसल, धनंजय सिंह की इस सीट पर राजपूत वोटरों समेत मुस्लिम और निषाद वोटरों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। इन वोटर्स को भाजपा के पक्ष में जोड़ेंगे।

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