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पत्नी का टिकट कटने पर धनंजय बोले-मेरी वजह से बसपा:बसपा की वजह से मैं नहीं, जिसे चाहेंगे वही जौनपुर का सांसद बनेगा

जौनपुर से बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्‌डी का टिकट मायावती ने ऐनवक्त पर काट दिया। इस पर धनंजय सिंह ने कहा- यह गलत हुआ। इस फैसले से मेरी पत्नी आहत हैं। टिकट भी आखिरी दिन काटा, वक्त रहता तो हम लड़ने पर विचार करते। उन्होंने कहा- अगले 2-3 दिन में फैसला लेंगे कि किसे समर्थन करना है। बाकी जिसे हम चाहेंगे वही जौनपुर का सांसद बनकर जाएगा। जो कह रहे कि टिकट को लेकर मेरी मायावती से बात हुई, वह गलत कह रहे हैं। पिछली बार 2013 में मायावती से मेरी बात हुई थी। अभी तो मैं जेल में था। धनंजय ने कहा- बसपा के लोगों ने मेरी पत्नी से बात करके टिकट दिया। अब टिकट काटकर मुझे डिफेम किया जा रहा है। एक अकेली सीट थी जौनपुर जिसे लेकर बसपा चर्चा में थी। धनंजय सिंह की वजह से बसपा चर्चा में है, बसपा की वजह से धनंजय नहीं। सांसद श्याम सिंह यादव को दिया टिकट बता दें कि बसपा ने सांसद श्याम सिंह यादव को मैदान में उतारा है। श्याम सिंह जौनपुर से बसपा के मौजूदा सांसद हैं। दोपहर 2 बजे श्याम सिंह ने नामांकन कर दिया। जौनपुर में 6वें चरण में 25 मई को वोटिंग है। इस सीट पर आज नामांकन की आखिरी तारीख थी। बसपा के जिला अध्यक्ष संग्राम भारती ने श्रीकला का टिकट काटे जाने की पुष्टि की है। श्याम सिंह यादव ने दैनिक भास्कर से कहा- मुझे आज लखनऊ से मुंबई जाना था। रात करीब 1 बजे बहन मायावती का फोन आया। उन्होंने कहा कल सुबह आपको नामांकन करना है। कागजात तैयार कर लीजिए। हमने कहा ठीक है। 1 मई को ​​​​श्रीकला ने किया था नामांकन
बसपा ने 16 अप्रैल को जौनपुर से श्रीकला रेड़्डी को टिकट दिया था। 1 मई को ​​​​श्रीकला ने नामांकन किया। धनंजय सिंह उसी दिन बरेली जेल से जमानत पर रिहा हुए थे। भाजपा ने यहां से महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। सपा ने यूपी सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके बाबू सिंह कुशवाह को टिकट दिया है। यादव प्रत्याशी मैदान में उतरने से जौनपुर से सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाह के सामने चैलेंज बढ़े हैं। अगर यादव वोट बंटा तो भाजपा की राह आसान हो सकती है। बसपा ने इससे पहले मैनपुरी से टिकट बदला था। गुलशन देव शाक्य का टिकट काटकर डिंपल यादव के सामने यादव प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव को उतारा था। ​​​​​ऐनवक्त पर क्यों कटा श्रीकला का टिकट
बसपा की तरफ से इस बारे में कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं दी गई। बसपा जिलाध्यक्ष संग्राम भारती से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा-टिकट काटने की वजह उन्हें नहीं पता है। यह शीर्ष नेतृत्व का फैसला है। हालांकि, जानकारों के मुताबिक इसकी दो वजह दिख रहीं हैं। श्रीकला नामांकन कर चुकी, अब कैसे बदलेगा प्रत्याशी?
निर्वाचन से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पार्टी की तरफ से जब किसी को प्रत्याशी बनाया जाता है तो उसे फॉर्म-बी दिया जाता है। प्रत्याशी इस फॉर्म को नामांकन के दौरान निर्वाचन अधिकारी के पास जमा कराता है। इससे स्पष्ट होता है कि यह पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार है। कई बार प्रत्याशी बदलने में पार्टी दोबारा फॉर्म-बी जारी करती है। निर्वाचन अधिकारी के नाम से जारी इस फॉर्म में लिखा होता है कि पुराने फॉर्म को निरस्त करते हुए पार्टी इन्हें नया प्रत्याशी बना रही है। इससे नया प्रत्याशी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार हो जाता है। पहले जो नामांकन कर चुका प्रत्याशी होता है उसका नामांकन स्वत: खत्म हो जाता है। श्रीकला मामले में भी अब यही है। श्रीकला को अब चुनाव लड़ना है तो उनको बतौर निर्दलीय प्रत्याशी दोबारा से नामांकन करना होगा। यानी, उनका पहला नामांकन रद्द हो जाएगा। धनंजय के जेल जाने के बाद चुनाव में उतरीं श्रीकला
श्रीकला मौजूदा समय में जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। 6 अप्रैल को जौनपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने अपहरण से जुड़े मामले में धनंजय सिंह को 7 साल की सजा सुनाई थी। धनंजय के जेल जाने के बाद श्रीकला ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया था। नामांकन के बाद श्रीकला ने मीडिया से बातचीत में कहा था-आज हमारे पति धनंजय सिंह जेल से बाहर आए हैं। उन्होंने कहा- आज अच्छा दिन है। जाकर नामांकन कर दो। हमारी जीत पक्की है। धनंजय सिंह के आने के बाद अब ज्यादा वोटों से जीतेंगे। पूर्व रिटायर्ड अफसर हैं श्याम सिंह यादव
श्याम सिंह यादव पूर्व रिटायर्ड प्रशासनिक अफसर हैं। 2019 में पहला सपा-बसपा गठबंधन में पहला चुनाव लड़ा था। बसपा के टिकट पर जीतकर सांसद बने। श्याम सिंह सपा से टिकट चाहते थे। हालांकि, अखिलेश ने उनको टिकट नहीं दिया। श्याम सिंह यादव को 5 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। भाजपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। 18 दिन पहले श्याम सिंह ने अखिलेश को सार्वजनिक तौर पर एक पत्र लिखा था। इसमें अखिलेश पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा था- लोकसभा चुनाव को लेकर मेरी अखिलेश से 7 महीने में 5 बार मुलाकात हुई। हर बार सिर्फ टिकट की बात दोहराई गई। लेकिन चुनाव के वक्त उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। उन्होंने आगे लिखा था-आपके (अखिलेश) इस रवैये से मैंने तो उम्र के इस पड़ाव पर जिंदगी का आखिरी चुनाव लड़ने का एम्बीशन खोया लेकिन आप अपनी याददाश्त खोते जा रहे हैं। यह आपकी इमेज के लिए बहुत बड़ी बात होगी। वैसे मुझे आपके कई करीबियों ने खबरदार किया था लेकिन आपकी बात के समय आपकी आंखों का भरोसा देखकर उनकी बात नहीं मानी।

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