6 मई 2024 को अखिलेश यादव ने कन्नौज के शिव मंदिर में पूजा और आरती की। उनके जाने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मंदिर को धोया। इस पर अखिलेश ने पलटवार किया, ‘जिन लोगों ने मेरे मंदिर जाने पर उसे धोया… इस बार जनता वोट से इन्हें ऐसा धोएगी की बीजेपी का सफाया हो जाएगा।’ इस घटना की चर्चा इत्र नगरी कन्नौज में हर जगह हो रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट कभी सपा का गढ़ रही है। पहले परिवार के तेज प्रताप यादव को टिकट दिया गया। फिर खुद अखिलेश को उतरना पड़ा। पिछली बार पत्नी डिंपल यादव यहां से 12 हजार 353 वोट से चुनाव हार गई थीं। अखिलेश के सामने पत्नी की हार का बदला लेना बड़ी चुनौती है। दूसरी तरफ यहां भाजपा सांसद सुब्रत पाठक फिर से मैदान में हैं। कन्नौज के लोगों से बात करने से एक बात सामने आई कि यहां एंटी इंनकंबेंसी है। उनके एक वायरल वीडियो से लोधी राजपूत और पाल समाज के लोग नाराज हैं। सुब्रत के लिए इसे शांत करना भी चुनौती है। वह मोदी और योगी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं। अपनी उपलब्धि बताने की जगह मोदी-योगी की उपलब्धियों को गिना रहे हैं। कन्नौज में अग्निवीर योजना, पेपर और बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। क्योंकि यहीं के युवक ने पेपर लीक होने से सुसाइड किया था। INDI अलायंस इसी मुद्दे पर भाजपा को घेरने का काम कर रही है। इत्र पार्क और विकास भी बड़ा मुद्दा है। वोटर्स का मानना है कि भाजपा ने यहां पर कोई विकास कार्य नहीं कराया। सपा सरकार में ही विकास हुए। उसके बाद विकास के पंख को काट दिया गया। लोकल वोटर्स का मानना है कि यहां सुब्रत पाठक चेहरा नहीं है, बल्कि BJP से मोदी-योगी चेहरा है। अखिलेश के आने से यह हॉट सीट बन गई है। जिसके बाद भाजपा कैंपेन के लिए PM नरेंद्र मोदी, CM योगी आदित्यनाथ समेत BJP के तमाम स्टार प्रचारक उतर चुके हैं। अखिलेश यहां एक बार रोड शो और दो सभाएं कर चुके हैं। कन्नौज सीट पर 13 मई को वोटिंग होनी है। इससे पहले ‘दैनिक भास्कर’ ने यहां का चुनावी मिजाज जाना। आम पब्लिक, सियासी दलों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात करके यहां मुख्य तौर पर 3 बातें समझ आईं… 1- मार्च-2024 में BJP प्रत्याशी सुब्रत पाठक का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वो लोधी-राजपूत लोगों को धमकाते दिख रहे हैं। पिछले इलेक्शन में फ्री की बजाय रुपयों से वोट खरीदने की बात कथित तौर पर करते दिख रहे हैं। इसी तरह पाल समाज को लेकर भी सुब्रत द्वारा टिप्पणी की गई थी। इससे दोनों समाज नाराज हैं। सुब्रत डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। 2- अखिलेश यादव जबसे कन्नौज सीट पर प्रत्याशी बने हैं, तबसे माहौल एकदम बदल गया है। कार्यकर्ताओं और युवा वोटरों में उत्साह है। जो तबका सुब्रत पाठक से नाराज था, उसको विकल्प के रूप में अखिलेश बड़ा चेहरा दिखाई दे रहा है। 3- कन्नौज में 70 फीसदी कारोबार इत्र का है। अखिलेश यादव ने 2016 में 100 एकड़ जमीन पर 257 करोड़ रुपए के इत्र पार्क प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी, लेकिन योगी सरकार में इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं हुआ। बल्कि जमीन को 50 एकड़ में समेट दिया, अभी भी 31 एकड़ जमीन का अधिग्रहण ही हो सका। सपा अपने कार्यकाल में शुरू हुए प्रोजेक्ट को योगी सरकार में रोके जाने को बड़ा मुद्दा बना रही है।
इस मुद्दे को समझते हुए पीएम मोदी ने इटावा की सभा में कहा- जब भी विदेशी मेहमानों से मिलता हूं तो उन्हें कन्नौज का इत्र जरूर देता हूं, G-20 की बैठक में भी दुनिया के बड़े-बड़े मेहमानों को कन्नौज का इत्र उपहार में दिया था…भाई देश का गौरव ऐसे बढ़ता है। बसपा मुस्लिम उम्मीदवार देकर त्रिकोणीय लड़ाई नहीं बना पाई
इस सीट पर BJP-SP के बीच सीधी फाइट है। BSP ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मुसलमानों को नया विकल्प दिया है, हालांकि ढाई लाख मुस्लिम वोटर्स के बिखराव की उम्मीद कम है।एक्सपर्ट का मानना है कि बसपा के कैंडिडेट के उतरने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। मुस्लिम नहीं छिटक रहा है। वहीं दलित वोटर्स निर्णायक रहेगा। दलित वोटर्स के लिए संविधान कुरान, बाइबिल, गीता और रामायण से बढ़कर है। इसलिए दलित संविधान को बचाने के लिए इंडी गठबंधन के साथ खड़े हो सकते हैं। सबसे पहले बात कन्नौज के लोगों और चुनावी माहौल की…दैनिक भास्कर की टीम कन्नौज में कानपुर रोड स्थित राधे ढाबे पर पहुंची। यहां मिले सोबरन सिंह यादव कहते हैं, ‘जनता तो अखिलेश यादव चिल्ला रही है। उन्हीं की तरफ ज्यादा लगाव और झुकाव है। जनता वर्तमान से परेशान है। आवारा मवेशी से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। यहां बेरोजगार बहुत हो गए हैं। उस वजह से यहां क्राइम बढ़ गया है। आए दिन लूटपाट, मारपीट, झगड़े होते रहते हैं। यहां माहौल अखिलेश यादव का है।’ हमने पूछा कि क्या सरकार की योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंच पा रहा है? इस पर सोबरन सिंह कहते हैं, जो सत्ता के लोग हैं, उन्हें ही फायदा हो रहा है। हमें सिर्फ राशन मिल रहा। आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाया। हम दो-चार बार गए तो बताया कि कभी सर्वर डाउन है, कभी नेटवर्क नहीं है। कई बार दफ्तर जाने से वक्त की बर्बादी भी हुई।’ गांव सैंया ठठिया के किसान मुस्तकीम ट्रैक्टर लेकर घर जा रहे थे। वो कहते हैं, ‘कन्नौज में कोई विकास नहीं हुआ। यहां बेरोजगारी, आवारा पशु जैसी समस्याएं सबसे ज्यादा हैं। हमारे कन्नौज में एक भी विकास नहीं हुआ। गौशाला बनवा दी हैं, लेकिन कोई देखने नहीं जाता। अस्पताल में जाओ तो पर्चे के लिए लंबी लाइन लगाओ। फिर पता चलता है कि डॉक्टर ही नहीं आए हैं। ये तो लोकतंत्र की हत्या करने जा रहे हैं और कर भी रहे हैं। सत्ता के लालच में ही पब्लिक को गुमराह कर रहे हैं। हमने सरकार की योजनाओं के बारे में पूछा तो मुस्तकीम बोले- ‘हमें किसान सम्मान निधि आज तक न मिली। राशन कांग्रेस टाइम से मिल रहा है। ये इंदिरा गांधी की देन थी। ये कौन सा राशन अपनी जेब से दे रहे हैं। यहां माहौल अखिलेश यादव का है, इसमें कोई दो राय नहीं है। उनकी जीत लाखों से होगी।’ कन्नौज बस स्टैंड के पास स्वीट्स शॉप चलाने वाले विपिन कुमार शर्मा कहते हैं, ‘इस समय बीजेपी का पलड़ा भारी है। गुंडागर्दी कम हो गई है। रोजगार भी मिल रहा है। शांति व्यवस्था कायम है। अधिकारी के पास अब पब्लिक का काम होता है। पहले ऐसा नहीं था। अब चीजें काफी हद तक सुधर गई हैं। मेरे पास जमीन नहीं है, फिर भी थोड़ा-बहुत कारोबार दिखाकर हमें लोन मिल गया।’ अखिलेश यादव के उतरने से क्या माहौल बदला है? इस पर विपिन कहते हैं- ‘कुछ नहीं बस राजनीतिक माहौल थोड़ा अच्छा हो गया है। कार्यकर्ताओं में जोश आ गया है। चुनाव थोड़ा दिलचस्प हो गया है। कन्नौज सीट चर्चा वाली हो गई है। लेकिन अखिलेश यादव हारकर ही जाएंगे। वो वापस सैफई चले जाएंगे। तो हम क्या एप्लिकेशन लेकर सैफई जाएंगे? हमें तो ऐसा सांसद चाहिए जो कन्नौज के हों और उनसे बात कह सकें।’ जानिए एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट कन्नौज सीट का समीकरण देखते हुए यहां सपा का पलड़ा भारी बता रहे हैं। सीनियर जर्नलिस्ट बृजेश चतुर्वेदी कहते हैं, पसीना तो सभी बहा रहे हैं। दावा तो बसपा भी ठीक-ठाक कर रही है। बसपा के वर्तमान प्रत्याशी 2014 में एक बार आम आदमी पार्टी से प्रयास कर चुके हैं। इस बार वो अपने काडर वोट के भरोसे आए थे। मेरा ये मानना है कि सत्तारूढ़ पार्टी से 2 बड़ी गलतियां हुई हैं। उनके तीन-चार सांसदों ने बयान दे दिया कि 400 सीटें इसलिए चाहिए कि संविधान बदलना है। बसपा के काडर वोट के दिमाग में ये बात अंदर तक घर कर गई है। उन्हें लगता है कि अगर ये सत्ता में आए तो संविधान बदल देंगे। मेरा ये मानना है कि दलित वर्ग के लिए हिन्दुस्तान का संविधान गीता, बाइबल, कुरान से बढ़कर होता है। ये काडर वोट ऐसे में सीधे-सीधे जिताऊ प्रत्याशी की तरफ जा रहा है। कन्नौज सीट के लिए पहला और आखिरी जिताऊ व्यक्ति कोई है तो वो अखिलेश यादव है। बृजेश चतुर्वेदी आगे कहते हैं, कन्नौज में अखिलेश इजी एविलेबल हैं। वैसे तो बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक लोकल हैं, लेकिन उनके पास जाकर काम नहीं हो पाता। अखिलेश के साथ ये प्लस पॉइंट है कि कोई भी समस्या उनके प्रतिनिधि को बताइए। प्रतिनिधि सीधे अखिलेश यादव को बताएंगे और सांसद का प्रोफाइल मजबूत होने से वो काम आसानी से हो भी जाएगा। वे कहते हैं, आज से 4 वर्ष पहले कन्नौज जिला पीएम आवास योजना के लिए फुल्ली सेचुरेटेड था। इसलिए यहां योजना अब नहीं है। अब राशन पर आते हैं। राशन में खूब धांधली होती है। मैं ऐसा मानता हूं कि राशन कोटेदारों का समूह सत्ता का संगठन हो गया है। ऐसे में राशन डीलर उन्हीं को राशन बांटते हैं, जो सत्ता के वोटर हैं। अन्यथा कोटा भी नहीं मिलेगा और राशन भी। दबाव जब तक डाला जाता है, जब तक वह मैनेज न हो। कन्नौज सीट पर इश्यूज ओर किन मुद्दों पर चुनाव होता है, के सवाल पर बृजेश चतुर्वेदी कहते हैं, किसी भी सीट का इतिहास उठा लीजिए। चुनाव की शुरुआत मुद्दों से होती है, लेकिन खत्म जातीय समीकरण पर होती है। यहां मुद्दा विकास बनाम-मोदी जी है। अखिलेश के शासन काल में इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी विकास कार्य कन्नौज में बहुत हुए। वे कहते हैं कि कन्नौज के पास आज वह सब कुछ है। किसी की आंख में आंख डालकर बात कर सकता है। हमारे पास मेडिकल और मेडिकल कॉलेज, कैंसर इंस्टीट्यूट, पैरामेडिकल कॉलेज, मिल्क प्लांट, विदेश से खेती की तकनीक बताने वाले जर्मनी की टेक्नोलॉजी है। अच्छे रोड है, कनेक्टिविटी है। यह सब अखिलेश द्वारा कराया गया। लेकिन बात ह्यूमन डेवलपमेंट की करें तो जब इसका नंबर आता है तब तक सरकारें बदल गईं। वे कहते हैं, अग्निवीर कहीं हो न हो लेकिन कन्नौज में बड़ा मुद्दा है। हर नौजवान के लिए मुद्दा है। रोजगार हर नौजवान का मुद्दा है। पुलिस भर्ती ऐसा मुद्दा है, जिसने राम मंदिर के मुद्दे को ध्वस्त कर दिया। ये मुद्दे इसलिए भी कन्नौज के लिए बड़ा है, क्योंकि पुलिस भर्ती रद्द होने के बाद जिस नौजवान ने आत्महत्या की थी वह कन्नौज का ही था। पकौड़ा तलना रोजगार मान रही है सरकार, लेकिन जगह नहीं देगी। नपा ने दुकान बनाई दो लाख रुपए कीमत रखी गई। लेकिन बेरोजगार पकौड़ा तलने के लिए दो लाख रुपए कहां से लाए? सपा और बीजेपी का दावा क्या है
सपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आरिफ कहते हैं, कन्नौज की जनता की डिमांड पर अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक कैरियर की शुरुआत अखिलेश यादव की यहीं से हुई थी। पहली बार यहीं से चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी। यहां व्यक्तिगत रूप से वे जुड़े हुए हैं। अखिलेश यादव यहां के कार्यकर्ताओं को पर्सनली जानते हैं।अखिलेश पर बाहरी प्रत्याशी होने की चर्चा पर वे कहते हैं, सैफई के बाद वह कन्नौज को अपना घर मानते हैं। यह कहना गलत होगा कि वह बाहरी प्रत्याशी है। 2019 में डिंपल यादव की हार का कारण क्या रहा? इस सवाल पर आरिफ कहते हैं, जनता सर्वोपरि होती है। पिछले इलेक्शन में हम लोगों से चूक हुई। हम जनता के विचारों और उनके दिल में क्या रहा होगा, इसको समझने में नाकाम रहे। लेकिन इस बार लग रहा है कि कन्नौज की जनता अखिलेश यादव के साथ है। कन्नौज लोकसभा सपामयी हो गई है। भाजपा के मीडिया प्रभारी शरद मिश्रा का कहना है, कन्नौज में भाजपा के पक्ष में माहौल है। भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक दो लाख वोटों से चुनाव जीत रहे हैं। कन्नौज में अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के सवाल पर वे कहते हैं, पहले कन्नौज समाजवादी का गढ़ रहा है। जिसे हमने और कन्नौज की जनता ने उखाड़कर फेंक दिया। क्योंकि वोट अखिलेश यादव ने कन्नौज की जनता से लिया। लेकिन विकास कार्य उन्होंने सैफई में कराए। इस कारण जनता ने अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल यादव को यहां से विदा कर दिया था। अखिलेश यादव कन्नौज की जनता के लिए पैराशूट नेता है। जब उन्हें चुनाव लड़ना होता है तो कन्नौज दिखाई देता है। चुनाव लड़कर चले जाते हैं और विकास सैफई में करते हैं। उनकी मंशा को यहां की जनता जान गई है। इसलिए यहां की जनता अखिलेश को दो लाख वोटों से हराकर पुन: सैफई भेजेगी। कन्नौज के मुद्दों पर वे कहते हैं, मोदी-योगी ने बहुत काम कराए है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसने भाजपा सरकार की योजनाओं का लाभ न लिया हो। हमने गरीबों को छत दी। छत से टपकता पानी बंद कराया। शौचालय देकर माता-बहनों को सम्मान देने का काम किया, आयुष्मान योजना देकर गरीबों को जीने का अधिकार दिया। आखिरी पायदान पर योजनाओं का लाभ पहुंचे। इसके लिए मोदी-योगी प्रतिबद्ध है। उन्हीं मुद्दों को लेकर हम जनता के पास जा रहे हैं। आतंकवाद, लूट और गुंडागर्दी को बढ़ावा देने वाले यदि सत्ता में आ गए तो जनता का नुकसान है। यह जनता जानती है। भाजपा प्रत्याशी के जातीय विरोध के सवाल पर वे कहते हैं, यह चुनावी फंडा है। यह विपक्ष की रणनीति है, जो हमारे सांसद को बदनाम कर रहे हैं। पहले भी यहां की जनता ने सुब्रत पाठक को सांसद बनाया था। यहां सुब्रत पाठक चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, यहां की जनता चुनाव लड़ रही हैं।

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