रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राजा दशरथ में एक और भव्य आयोजन होने जा रहा है। महल की ओर से राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ स्थल मखभूमि मखौड़ा में सात दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया गया है।यह वही स्थल है जहां महायज्ञ की आहुतियों के प्रभाव के राजा दशरथ की पुत्र के रूप में श्रीराम की प्राप्ति हुई थी। महायज्ञ में शामिल होने वालों का आज भी हो रहा कल्याण-महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य राजा दशरथ महल के महंत विंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य की ओर से हर साल इस स्थल पर श्रीराम पुत्रेष्टि महायज्ञ का आयोजन कराया जा रहा है।इस महायज्ञ में अयोध्या के आसपास के जिलों सहित देश के अनेक कोनों से भक्तों और महंतों का आगमन होता है। महंत के अनुसार, इस महायज्ञ के प्रभाव से इसमें शामिल होने वाले भक्तों की आज भी संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।इस बार महायज्ञ 10 मई को कलश यात्रा के साथ आरंभ होगा। दशरथ महल के महंत विंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य ने बताया कि मखभूमि में ही राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि महायज्ञ त्रेता काल में कराया था। इसी महायज्ञ के प्रभाव से उन्हें श्रीराम पुत्र के रूप में प्राप्त हुए। भक्तों को श्रीराम की तरह आचरण और संस्कार वाले पुत्र प्राप्त हो जिससे देश और समाज का कल्याण हो सके।इस लिए दशरथ महल की ओर से हर साल इस महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस महायज्ञ में रोज सुबह आठ बजे से दोपहर तक महायज्ञ में 11 वैदिक विद्वान आहुति डालेंगे।शाम को बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की रामकथा शाम चार बजे से होगी।अयोध्या के सभी प्रमुख महंत महायज्ञ में खास तौर पर शामिल होंगे। इसमें मणिराम दास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास शास्त्री,श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास,जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण,बड़ा भक्तमाल के उत्तराधिकारी महंत अवधेश कुमार दास,जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य,तुलसी छावनी के महंत जनार्दन दास आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहेंगे। धर्म ही हम सब का बल है।श्रीराम ही हमारे प्राण हैं दशरथ महल के महंत विंदुगद्याचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य के कृपापात्र और मंगल भवन के महंत रामभूषण दास कृपालु इस महायज्ञ की व्यवस्था देख रहे हैं।उन्होंने बताया कि गुरूदेव भगवान की आज्ञा के अनुसार महायज्ञ की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हर रामभक्त को ऐस दिव्य आयोजन में शामिल होकर उनका धार्मिक लाभ अवश्य प्राप्त करना चाहिए।उन्होंने कहा कि धर्म ही हम सब का बल है।श्रीराम ही हमारे प्राण हैं।

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