बरेली में सीलिंग की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। सीलिंग की जमीन पर भूमाफिया ने प्लॉटिंग कर दी और जमीन को बेच डाला। एक-एक कर करोड़ों रुपए की जमीन को बेच दिया गया। जानकारी होने पर प्रशासन की ओर से लेखपाल ने इज्जतनगर थाने में भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। बरेली के इज्जत नगर थाना क्षेत्र के ग्राम फरीदापुर चौधरी सदर तहसील में गाटा संख्या 277 जिसका क्षेत्रफल 0.1900 हेक्टेयर जो कि राजस्व अभिलेखों में श्रेणी 4 (क) सीलिंग के रूप में दर्ज है। सखावत शाह पुत्र मिस्कीन शाह निवासी ग्राम परतापुर चौधरी ने सीलिंग की जमीन को बेच दिया। सखावत शाह अभी भी जमीनों का सौदा कर रहा है। मौके पर इस वक्त सीलिंग की भूमि पर कई मकान बने हुए हैं। इसके संबंध में लेखपाल भूपेंद्र कुमार गंगवार की ओर से इज्जतनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। इज्जतनगर थाने में बीएनएस की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवाया गया है। भूमाफिया सखावत शाह पुत्र मिस्कीन शाह जो ग्राम परतापुर चौधरी का निवासी है, ने इस सीलिंग की जमीन को कई हिस्सों में विभाजित कर बेच दिया। उसने जमीन के खरीदारों को प्लॉटिंग कर दी, जिससे करोड़ों रुपये का अवैध लाभ अर्जित किया। फिलहाल, इस जमीन पर कई मकान भी बना दिए गए हैं, जो पूरी तरह अवैध हैं। प्रशासन की कार्रवाई घटना की जानकारी मिलने पर प्रशासन हरकत में आया। क्षेत्रीय लेखपाल भूपेंद्र कुमार गंगवार ने इज्जतनगर थाने में सखावत शाह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। यह मुकदमा बीएनएस की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। लेखपाल की शिकायत के अनुसार, सखावत शाह अभी भी इस जमीन का सौदा कर रहा है, जिससे अवैध गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रशासन ने इस पर गंभीरता से कार्रवाई करने और जमीन पर हुए सभी अवैध निर्माणों की जांच करने का निर्णय लिया है। बरेली में सीलिंग जमीनों की स्थिति यह घटना बरेली में सीलिंग जमीनों पर अवैध कब्जे की समस्या को उजागर करती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बरेली में अरबों रुपये की सीलिंग जमीनों पर अवैध निर्माण हो चुका है। इन जमीनों पर कई अवैध कॉलोनियां बन चुकी हैं, जो सरकारी नियमों का उल्लंघन करती हैं। इस तरह के मामले न केवल सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि शहर के मास्टर प्लान और पर्यावरणीय संतुलन को भी बिगाड़ते हैं। प्रशासन की ओर से इन अवैध निर्माणों को रोकने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इस मामले में प्रशासन को सक्रियता से काम करने की जरूरत है। जमीन की पहचान और सीमांकन: सीलिंग की जमीनों की पहचान और सीमांकन कर अवैध निर्माणों को रोका जाए। सख्त कार्रवाई: दोषियों को कड़ी सजा देकर उदाहरण प्रस्तुत किया जाए। जनजागरूकता: लोगों को अवैध जमीनों की खरीद-फरोख्त से बचने के लिए जागरूक किया जाए।

By

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Subscribe for notification