क्या कोई ऐसा दलित है, जो कांग्रेस की सरकार में फला-फूला हो? 22 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन क्या एक भी दलित सीएम है? क्या कोई ऐसी मशीन है, जो दलितों को फलने-फूलने में मदद करे? बाबा साहब अगर मनुवादी पार्टी जॉइन कर लेते, तो कुछ कर पाते? क्या हमें अलग पार्टी नहीं बनानी चाहिए? भरे मंच से आक्रामक अंदाज में ये पांच सवाल जनता से पूछे गए। सभा में सन्नाटा छा गया। 30 साल की एक युवती गरज उठी। हाथ में कोई पर्चा नहीं। बिना देखे, धारा प्रवाह लंबा भाषण। संबोधन ऐसा कि जनता उछल पड़ी। जैसे ही युवती ने दोनों हाथ हवा में उठाए। ‘कांशीराम तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। मायावती तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ गूंजने लगा। 38 साल पहले मायावती ने जो सवाल पूछे, उसके जवाब में कांग्रेस का वोट बैंक टूट गया। तब बसपा का वोट शेयर भाजपा से भी ज्यादा हो गया। नई पार्टी रिकॉर्ड बनाने की ओर बढ़ चली। मायावती के सवालों के जवाब कैसे मिले? कैसे उन्होंने दलितों के अलावा मुस्लिम वोट बैंक को भी साध लिया? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज चुनावी किस्सा में आज जानेंगे… 14 अप्रैल, 1984 को कांशीराम ने बहुजन समाज पार्टी बनाई। उस वक्त कांशीराम के बाद मायावती के हाथ पार्टी की कमान थी। पार्टी के विस्तार के लिए जन जागरण अभियान शुरू किया गया। कमान मायावती ने संभाली। हर दिन, कभी पैदल तो कभी साइकिल से रैलियां कीं। चौक-चौराहों को मंच बनाया। यहीं लोगों से बातचीत करतीं और उनके फीडबैक को समझ लेतीं। पार्टी को बने दो साल हो चुके थे। 1986 में मायावती ने एक सभा को संबोधित किया। यह सभा हरिद्वार में हुई। उस वक्त हरिद्वार यूपी का ही हिस्सा था। सभा में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे, जो मायावती को पहली बार देखने और सुनने पहुंचे। स्थानीय नेता मंच पर जाते और कागज में लिखे भाषण को देखकर कुछ कहते, फिर अपनी जगह पर बैठ जाते। इसी दौरान घोषणा हुई- अब हमारे बीच सुश्री मायावती जी आपको संबोधित करेंगी। जोरदार तालियों से स्वागत करें। मायावती की जिंदगी पर ‘बहनजी’ किताब लिखने वाले अजय बोस लिखते हैं- मायावती ने मुख्य रूप से दलित जनता और परंपरा से कांग्रेस के वोटर्स के सामने एक सवाल खड़ा किया और भाषण की शुरुआत की। उन्होंने पूछा कि क्या आप लोग ऐसे दलित व्यक्ति का नाम बता सकते हैं, जो पिछले 40 सालों में कांग्रेस सरकार की आर्थिक योजनाओं से फला-फूला हो? सवाल का जवाब देने की बारी आई, तो जनता चुप हो गई। उसे आसपास कोई ऐसा दिखा ही नहीं, जिसे आर्थिक योजनाओं का लाभ मिला हो। मायावती ने कुछ देर शांत रहने के बाद कहा- तो तुम मानते हो कि कांग्रेस ने दलितों को मूर्ख बनाया? जनता फिर पहले की तरह चुप रह गई। इसके बाद जोर से आवाज आई- हां, कांग्रेस ने हम सबको मूर्ख बनाया। मायावती अपने भाषण से कांग्रेस पर हमला करती रहीं, सभा में जनता तालियां बजाती रही। 22 राज्यों में कांग्रेस की सरकार, मगर एक भी दलित सीएम नहीं
अजय लिखते हैं- मायावती ने दूसरा सवाल पूछा, 1952 के पहले चुनाव के बाद से हर चुनाव में कांग्रेस के 95% वोट दलितों और सिर्फ 5% वोट ब्राह्मणों के वोट होते हैं। मगर, कांग्रेस शासित राज्यों में या फिर केंद्र में 5% दलित और 55% ब्राह्मण मंत्री होते हैं। देश के 22 राज्यों के मुख्यमंत्रियों में एक भी दलित नहीं है। तुम्हारे ख्याल से ऐसा क्यों हैं? मायावती ने भीड़ के सामने कहा- हम सब जानते हैं कि ये ऊंची जाति के मनुवादी नहीं चाहते कि दलित अच्छा खाएं, अच्छे कपड़े पहनें और अच्छा काम करें। तो क्या कोई ऐसी मशीन राज्य में या केंद्र में बनाई जा सकती है, जो इन ऊंची जाति वालों और मंत्रियों का हृदय परिवर्तन कर दे। जिससे ये दलितों को फलने-फूलने में मदद करें? भीड़ ने पहले सिर हिलाया और मायावती की बात खत्म होते ही चिल्लाकर बोली- नहीं, यह नामुमकिन है, वे हमसे नफरत करते हैं। कभी हमारी भलाई नहीं चाहेंगे। बाबा साहेब से जोड़ते हुए किया सवाल
मायावती ने जनता को बताया- आज दलितों में भी डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस अफसर हैं। हमें इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर को धन्यवाद देना चाहिए। भीड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा- तुम क्या सोचते हो कि अगर बाबा साहेब अपना संगठन न बनाकर किसी मनुवादी पार्टी में शामिल हो जाते, तो दलितों के लिए इतना कुछ कर पाते? जनता न में सिर और हाथ हिलाने के लिए एकदम तैयार बैठी थी। भीड़ से जवाब आया- कभी नहीं, वे लोग बाबा साहेब को कभी भी ऐसा नहीं करने देते। नहीं चाहते कि दलितों के लिए अलग पार्टी बनाई जाए?
इस सभा में मायावती अब निर्णायक बात करने के मोड में आ चुकी थीं। उन्होंने जनता से पूछा- क्या अब तुम लोग यह नहीं चाहते कि आबादी के ये 85% लोग, जिनका दमन और शोषण हो रहा है, अलग पार्टी बनाएं? क्या तुम्हें उस दिन का इंतजार नहीं, जब ये बहुसंख्यक लोग अपने हाथ में सत्ता लेकर अपना भाग्य बदल दें? मायावती के इस आखिरी सवाल के बाद जनता ने नारा लगाना शुरू कर दिया। नारे थे- कांशीराम तुम संघर्ष करो, हम सब तुम्हारे साथ हैं। मायावती तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। मुस्लिम वोटर्स के लिए ‘भाईचारा बनाओ कार्यक्रम’
मायावती के भाषण लोगों को पसंद आ रहे थे। उनकी सराहना होने लगी। मायावती के नेतृत्व में 15 अगस्त, 1987 को दिल्ली की जामा मस्जिद भाईचारा बनाओ कार्यक्रम हुआ। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम उमड़े। मायावती ने मुस्लिमों से कहा, आप सभी दलित-पिछड़ी जातियों के गठबंधन में शामिल हो जाएं। आप सभी हालात देखिए। 1947 से पहले देश में 33% मुस्लिमों के पास नौकरी थी, आज महज 2% नौकरी है। मायावती के इस भाषण का प्रभाव कुछ इस कदर पड़ा कि कांग्रेस के मुस्लिम वोटर घूम गए। नतीजा ये रहा कि बसपा को 1989 के लोकसभा चुनाव में 10% वोट मिले। यह भाजपा के 7.5% से 2.5% ज्यादा था। बसपा को तीन सीटों पर जीत मिली। मायावती पहली बार लोकसभा चुनाव जीतीं। 1.जब योगी ने भाजपा के खिलाफ प्रचार किया:हिंदू युवा वाहिनी से उतारा प्रत्याशी, हार गए कैबिनेट मंत्री; 3 बार चर्चा में रही नाराजगी 2. बलरामपुर की महारानी ने चुनाव हारने पर गिफ्ट किया महाराजगंज:कहा था- जनता ने हमारा नमक खाया, वोट हमें देगी, मगर नानाजी से हार गईं 3. जब पंडित नेहरू ने कहा- मैं प्रचार नहीं करूंगा:फूलपुर के चुनाव में डॉ. लोहिया की हवा बनी, तो प्रधानमंत्री को तोड़ना पड़ा वादा 4. जब यूपी को मिला 31 घंटे का मुख्यमंत्री:मायावती ने गिराई कल्याण सिंह की सरकार, अटल बिहारी को करना पड़ा था अनशन 5. कांशीराम ने 47 प्रत्याशियों को हराया, मुलायम ने सपा बनाई: साइकिल से प्रचार करके पहली बार इटावा से सांसद बने कांशीराम की कहानी 6. जब खून से बनी तस्वीर देख भावुक हुईं इंदिरा गांधी:बोलीं- हम हारे हैं, तो जीतेंगे भी; इस हुंकार ने दिलाई उपचुनाव में जीत

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