22 जनवरी, 2024 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गई। बेहतर होता कि आदिवासी समाज से आने वाली देश की राष्ट्रपति आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी भी कार्यक्रम में मौजूद रहतीं। सिर्फ प्रोटोकॉल में प्रधानमंत्री को सर्वोच्च रखने के लिए बीजेपी की सरकार ने बड़ी गलती कर दी। आकाश आनंद ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन X पर यह लिखा। इस पोस्ट से मायावती के कान खड़े हो गए। 41 दिन पहले 10 दिसंबर, 2023 को ही मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन इस पोस्ट के बाद पहली बार वह चौंकीं। उन्हें लगा कि उत्तराधिकारी घोषित करने में जल्दबाजी कर दी। मायावती ने करीबी नेताओं को आकाश पर निगरानी बढ़ाने का इशारा कर दिया। यहां से आकाश पर नजर रखी जाने लगी। फिर आकाश ने ऐसी पोस्ट नहीं की। सब ठीक-ठाक चलने लगा। 30 मार्च को बिजनौर में आकाश की पहली जनसभा से लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई। वह प्रचार करने लगे। 28 अप्रैल को सीतापुर की रैली में पार्टी लाइन से अलग बयान दिया। कहा- भाजपा की सरकार बुलडोजर सरकार नहीं, बल्कि आतंकवादी सरकार है। आकाश पर मुकदमा हुआ। मायावती का सब्र टूट गया। उसी वक्त से आकाश की सभी रैलियां रद्द कर दीं। पहले चरण में आकाश की 21 सभाएं प्लान की गईं, लेकिन 16 सभा कर सके। वह चुनावी सीन से एकदम गायब हो गए। पहले ही पद से हटा दिए जाते
मायावती ने आकाश की सभाओं को जिस दिन रद्द किया, कार्रवाई उसी दिन कर देतीं। लेकिन तीसरे चरण की वोटिंग पर असर न पड़े, इसलिए इंतजार किया। जैसे ही 7 मई को वोटिंग हुई। रात साढ़े नौ बजे पोस्ट करके कहा-आकाश मेच्योर नहीं है। उनसे जिम्मेदारियां छीन लीं। कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। मायावती को बड़बोलापन पसंद नहीं, पहले भी जिम्मेदारियां छीनीं
यह पहला मौका नहीं है, जब आकाश मायावती की नाराजगी का शिकार हुए। इससे पहले आकाश के पिता पर भी वह एक्शन ले चुकी हैं। बड़बोले बयानों के चलते मायावती अपने प्रवक्ताओं पर भी बोलने पर रोक लगा चुकी हैं। आकाश आनंद को हटाकर भी मायावती ने संदेश देने का काम किया। उनके लिए परिवार नहीं पार्टी और मूवमेंट जरूरी है। मायावती के आकाश पर एक्शन लेने के पीछे की इनसाइड स्टोरी मायावती के डायरेक्शन को नजरअंदाज करने लगे थे आकाश
आकाश लगातार पार्टी लाइन क्रॉस कर रहे थे। वह खुद को मायावती से बड़ा दिखाने की कोशिश करने लगे थे। पार्टी से जुड़े एक नेता बताते हैं- बसपा में सब कुछ मायावती डिसाइड करती हैं। उनको पसंद नहीं कि उनकी बात को कोई काटे या क्रॉस करे। अगर कोई ऐसा करता है, तो फिर वह फायदा-नुकसान नहीं देखती, सीधे कार्रवाई करती हैं। आकाश लगातार ऐसा कर रहे थे। वह उनसे राय न लेकर खुद अपनी लाइन खड़ी करने लगे थे। सीनियर जर्नलिस्ट रतनमणि लाल कहते हैं- आकाश खुद को साबित करने के लिए यूपी में ज्यादा एक्टिव हो गए। इस चक्कर में वह लाइन क्रॉस कर गए, जो मायावती नहीं चाहती थीं। आकाश के किसी भी बयान को यूपी में मायावती से जोड़कर देखा जाता है। मायावती जानती हैं कि अगर सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले में चुनाव लड़ेंगे तो लोगों को बसपा को वोट देने में कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन आकाश रैलियों में सिर्फ दलित पर फोकस कर विवादित बयान दे रहे थे। इससे बसपा के फ्यूचर पर असर पड़ रहा था। इसीलिए आकाश को चुनाव से दूर कर दिया। आकाश के एग्रेशन से दलित एकजुट हो रहे थे, डील के तहत हटाया
सीनियर जर्नलिस्ट समीरात्मज मिश्रा कहते हैं- आकाश को चुनाव से हटाना और दूर रखना मायावती और भाजपा की डील की ओर इशारा करता है। आकाश के एग्रेशन की वजह से बसपा का वोट बैंक ‘बहुजन समाज’ एकजुट हो रहा था। इससे डर था कि वोट एक साथ बसपा को न चला जाएं। यही बात सीनियर जर्नलिस्ट सिद्धार्थ कलहंस भी कहते हैं। वह कहते हैं- भाजपा ने बसपा के साथ इंटरनल डील के तहत आकाश को चुप कराया। बस्ती, जौनपुर और मैनपुरी से प्रत्याशी बदलना भी इसी डील का हिस्सा नजर आ रहा है। बस्ती में दयाशंकर मिश्रा का टिकट काट कर लवकुश पटेल को दिया। भाजपा ने यहां से हरीश द्विवेदी और इंडी गठबंधन से राम प्रसाद चौधरी को टिकट दिया है। जौनपुर से बसपा ने धनंजय की पत्नी का टिकट काटकर श्याम सिंह यादव को दिया। यहां भाजपा से कृपाशंकर सिंह मैदान में हैं। कन्नौज में भी डिंपल के सामने प्रत्याशी बदलकर यादव को उतारा था। यह डील भाजपा के साथ यहीं खत्म नहीं हुई। बसपा ने 6वें और 7वें चरण में कैंडिडेट्स को सिंबल देने पर रोक लगा दी है। मायावती के नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगे थे
सीनियर जर्नलिस्ट बृजेश सिंह कहते हैं- बसपा में कोई भी मायावती की अनुमति के बिना कोई बयान नहीं देता। मायावती भी लिख कर ही बयान देती हैं। आकाश युवा हैं, उनमें एग्रेशन है। उन्होंने कुछ ऐसे बयान दिए जो मायावती को सही नहीं लगे। अखबार हो या चैनल बसपा की ओर से सिर्फ आकाश दिखाई दे रहे थे। यह मायावती के नेतृत्व पर सवाल खड़े करने जैसा नजर आ रहा था। इसलिए, उन्होंने आकाश को हटाने का फैसला किया। जर्नलिस्ट प्रभा शंकर कहते हैं- बसपा ने आकाश को सोशल मीडिया के साथ यूथ पॉलिटिक्स पर फोकस करने के लिए आगे बढ़ाया था। इसके जरिए नई जेनरेशन को बसपा से जोड़ना था। आकाश इसकी बजाय लगातार भाजपा और सरकार पर टारगेट कर रहे थे। अब बसपा में आगे क्या होगा?
आकाश को हटाने के बाद सबसे बड़ा सवाल है, मायावती का उत्तराधिकारी कौन होगा? पार्टी का क्या होगा? इसका जवाब जानने के लिए मायावती के X पर पोस्ट और पिछले फैसलों को जानना होगा। मायावती अभी खुद पार्टी देखेंगी। वह आकाश के मेच्योर होने का इंतजार करेंगी। उन्होंने खुद अपनी पोस्ट में इशारा किया कि वह मेच्योर नहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव के बीच भी मायावती ने ऐसा ही फैसला किया था। भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। हालांकि, चुनाव बाद फिर यही जिम्मेदारी दे दी। यानी आकाश आनंद की फिर वापसी हो सकती है। यह भी पढ़िए…
मायावती ने भतीजे आकाश से उत्तराधिकार छीना:नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाया, कहा- मेच्योर नहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। बसपा प्रमुख ने मंगलवार रात करीब 10 बजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाया। मायावती ने स्पष्ट किया कि आकाश के पिता आनंद कुमार पार्टी में अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे। पूरी खबर पढ़िए