हाथरस में आज विपक्ष के नेता राहुल गांधी चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढी़ में आ रहे हैं। इसी गांव की एक दलित युवती के साथ सितंबर 2020 के महीने में दरिंदगी हुई थी और फिर दिल्ली के एक अस्पताल में इस युवती की मौत हो गई थी। तब यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था। उस समय भी राहुल और प्रियंका इस युवती के परिजनों से मिलने के लिए आए थे। अब 4 साल बाद राहुल के आने की जानकारी मिलते ही सुबह से ही प्रशासन काफी सतर्क है। कांग्रेस के नेता भी बिटिया के गांव पहुंच गए हैं। राहुल के दौरे को लेकर ब्रजेश पाठक ने दिया बयान
राहुल गांधी के आज हाथरस जाने पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “राहुल गांधी, आपमें निराशा का भाव है, आप हताशा के शिकार हैं। आपको पता ही नहीं है कि हाथरस मामले की जांच CBI ने कर दी है। मामला कोर्ट में चल रहा है। आज उत्तर प्रदेश इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में, कानून व्यवस्था के मामले में नंबर 1 राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पूरे राष्ट्र में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की चर्चा होती है, जबकि आप उत्तर प्रदेश को अराजकता की आग में, दंगों की आग में झोंकना चाहते हैं, लोगों को भड़काना चाहते हैं। कृपया ऐसा ना करें” पहले जानिए 2020 का मामला
20 सितंबर साल 2020, इस दिन हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप की वारदात सामने आती है। युवती परिवार वालों को घायल हालत में एक खेत में मिलती है। घटना का आरोप दूसरी जाति के युवकों पर लगता है। जिसके बाद घटना पर राजनीति तेज हो जाती है। पुलिस पहले युवती के बताए जाने पर गांव के संदीप को गिरफ्तार करती है। बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को लवकुश सिंह, रामू और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। कार्रवाई के बीच 29 सितंबर 2020 को युवती की दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में मौत हो जाती है। जिसके बाद ये मामला तूल पकड़ने लगता है। CBI कर रही थी हाथरस कांड की जांच
घटना के फोटो-वीडियो सामने आने के बाद जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगते हैं। मामला बढ़ता है तो प्रदेश सरकार एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर देती है। इसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंप दी जाती है। CBI ने इस मामले में 104 लोगों को गवाह बनाया। इनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी। 67 दिन की जांच के बाद CBI ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। जिसके बाद मामले में सुनवाई शुरू होती है, लेकिन सबूतों के अभाव के कारण 3 आरोपियों को बरी कर दिया जाता है।