लखनऊ अपने तहजीब के साथ-साथ खास लजीज जायके के लिए भी जाना जाता है। पुराने शहर की गलियों में एक से बढ़कर एक जायके का स्वाद लेने लोग खींचे चले आते हैं। चौक स्थित पंडित राजा की ठंडाई के दीवाने तो नेता से लेकर अभिनेता तक हैं। इस ठंडाई की डिमांड होली और शिवरात्रि पर बढ़ जाती है। इसे भगवान के प्रसाद के तौर पर लोग पीते हैं। इसे 1936 में पंडित लाल जी महाराज ने शुरू किया था। आज दुकान को उनकी पांचवी पीढ़ी संभाल रही है। चौथी पीढ़ी के आशीष त्रिपाठी इस दुकान के ओनर हैं। पढ़िए क्या है, इस खास जायके की कहानी…. पंडित नेहरू ने किया था दुकान का उद्घाटन
आशीष त्रिपाठी ने बताया- 1936 में लखनऊ में ठंडाई बेचने के लिए एक भी दुकान नहीं थी। हमारे पूर्वज लालजी महाराज चौक पर लोगों को पानी पिलाते थे। फिर उन्हें आइडिया आया। शर्बत और ठंडाई समेत कई पीने की चीजें बनाने लगे। चौक में एक छोटी-सी दुकान अपने बेटों के नाम पर खोली। रामाधार शिवाधार की ठंडाई नाम रखा। इसका उद्घाटन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया। इसलिए दुकान काफी फेमस हो गई। आस-पड़ोस के लोग और नेता ठंडाई पीने आने लगे। यहां इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी आ चुके हैं। तीसरी पीढ़ी के नाम से मशहूर हुई यह दुकान
आशीष ने बताया- दुकान पहले ठीक-ठाक चलती थी, लेकिन खास उपलब्धि नहीं मिल पाई थी। 1992 में पिताजी विवेक त्रिपाठी राजा ने इसे संभाला। दुकान को चौक से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने दुकान का उद्घाटन किया। नई जगह के साथ नया नाम ‘पंडित राजा की मशहूर ठंडाई’ मिला। खास सीक्रेट मसालों से तैयार करते हैं ठंडाई
आशीष त्रिपाठी ने बताया- ठंडाई में सामान्य तौर पर बादाम, पिस्ता, काजू, मगज, काली मिर्च, छोटी इलायची, सौंफ, केसर और कुछ सीक्रेट मसाले मिलाते हैं। ठंडाई में मिलाने वाले इस सीक्रेट मसाले हमारे बाबा ने तैयार किए थे। जिसे हम किसी से शेयर नहीं करते, गोपनीय रखते हैं। सिलबट्टे पर पीसते हैं भुनी इलायची
आशीष ने बताया- इसमें भुने हुए इलायची के दानों को पानी की कुछ बूंदों के साथ सिलबट्टे पर पीस लेते हैं। सारी जड़ी-बूटियों और सूखे मेवों को रात भर पानी में भिगोकर रखा जाता है। सुबह इसे सिलबट्टे पर पीस कर पेस्ट तैयार कर लेते हैं। पेस्ट को थोड़े से दूध में मिलाकर मलमल के कपड़े से छान लिया जाता है। इसके बाद केसर को गुलाब जल में डाल देते हैं। कुछ देर बाद दूध में मिक्स कर देते हैं। दूध में केसर और तैयार पेस्ट को मिला दिया जाता है। सर्व करते समय इसमें केसरिया चासनी में मिक्स दूध को डालकर पीने के लिए दिया जाता है। कुछ लोग इसमें भांग मिलाकर भी पीते हैं। राजा ठंडाई के मुरीद थे अटल बिहारी वाजपेयी
देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से गहरा नाता रहा है। अटलजी यहां से सांसद भी रहे। आशीष त्रिपाठी ने बताया- अटलजी खाने-पीने के शौकीन थे। जब भी लखनऊ आते, तो यहां की ठंडाई जरूर पीते। राजनीतिक बैठकों के लिए मशहूर थी यह जगह
आशीष बताते हैं- 1992 में प्रदेश की राजनीति दो जगह से चलती थी, एक हजरतगंज कॉफी हाउस और दूसरी राजा की ठंडाई। अटलजी अपने साथियों के साथ यहीं बैठक करते थे। कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह हिंदी के मशहूर साहित्यकार अमृतलाल नागर और कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ यहां बैठक में आते थे। कई सेलिब्रिटी भी ले चुके हैं इसका स्वाद
राजा ठंडाई के ओनर ने बताया- यह ठंडाई आम लोगों का तो पसंदीदा है ही। बॉलीवुड के कई कलाकार भी इसका स्वाद लेने हमारी दुकान पर आ चुके हैं। अमिताभ बच्चन, राजकुमार, राज बब्बर, धर्मेंद्र, सुनील दत्त, संजय दत्त, समेत कई एक्टर यहां इस खास ठंडाई का स्वाद ले चुके हैं। ठंडाई के अलावा यहां लस्सी, तिरंगी लस्सी, गुलाब मिल्क शेक, खस मिल्क शेक, गुलाब शरबत, खस शरबत भी मिलते हैं। लोगों की डिमांड पर भांग की ठंडाई भी दी जाती है। यहां छोटे गिलास ठंडाई की कीमत 60 रुपए है, जबकि बड़ा क्लास 70 रुपए का है। ग्राहक क्या कहते हैं…