लखनऊ में ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके सीनियर सिटिजन से 29 लाख रुपए ठगे गए। रिटायर्ड कर्मचारी के पास पहला फोन कॉल 17 अप्रैल को आया। 26 अप्रैल तक उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि आप पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस है। 26 से 30 अप्रैल तक अलग-अलग खाते में 29 लाख ट्रांसफर कराए गए। पीड़ित की शिकायत पर अलीगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। सीनियर सिटिजन विनय कटियार लखनऊ के अलीगंज थाना क्षेत्र के सेक्टर डी में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 17 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे एक कॉल आई। मैंने फोन उठाया तो मुझे बताया कि मेरे खिलाफ एफआईआर की गई। मेरे मोबाइल नंबर से गैरकानूनी काम, जालसाजी और विज्ञापन ने नाम पर परेशान करने वाले मैसेज भेजे जाते हैं। इसकी वजह से केस दर्ज किया गया है। पीड़ित ने पुलिस को बताई पूरी कहानी विनय कटियार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि फोन करने वाले ने मुझसे कहा गया कि आपके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस है और गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। कुछ देर के बाद एक वीडियो कॉल आया और सामने वाला व्यक्ति ने कहा कि उसका नाम नरेश गोयल है। वह भी मनी लॉन्ड्रिंग के केस में फंसा है, जिसकी जांच यह लोग कर रहे हैं। नरेश ने ही कहा कि यह बात किसी से भी शेयर नहीं करनी है। अगर मैंने किसी से यह बता दिया तो पूरी फैमिली को जेल हो जाएगी और मेरा घर, पैसा सब कुछ जब्त हो जाएगा। नौकरी अलग से जाएगी। बदनामी भी होगी। इसके बाद एक के बाद एक वीडियो कॉल आते रहे। इन कॉल्स के जरिए मुझसे कहा गया कि व्हाट्सएप से अपनी लोकेशन शेयर करता रहूं ताकि पता चले कि पूरी तरह से सुरक्षित हूं। यह सिलसिला 17 से 26 अप्रैल तक जारी रहा। 26 अप्रैल से फर्जी सीबीआई इंस्पैक्टर ने की बात पीड़ित ने बताया कि इसके बाद 26 अप्रैल की शाम को वीडियो कॉल और कहा गया कि अब आपके केस की जांच सीबीआई इंस्पैक्टर नवजोत सिम्मी करेंगी। फिर सिम्मी ने कहा कि आपके बैंक अकाउंट का ऑडिट करना है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। अगर आपने सहयोग नहीं किया को पूरे परिवार को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके बाद 26 अप्रैल को ही मेरे खाते से आरटीजीएस के माध्यम से दिल्ली के अकाउंट में 2.4 लाख रुपए ट्रांसफर कराए गए। फिर 4.9 लाख रुपए गौतम इंटरप्राइजेज के नाम ट्रांसफर कराए गए। फिर 29 अप्रैल को कहा गया कि सीबीआई ने आपको वकील की सुविधा दी है, जिसकी फीस 10 लाख रुपए है। 4 घंटे में यह पैसा ट्रांसफर कर दो नहीं गिरफ्तार कर लिए जाओगे। इससे घबराकर विनय कटियार ने 29 अप्रैल को 8 लाख का भुगतान आरटीजीएस से किया। फिर अगले दिन यानि 30 अप्रैल को 3.5 लाख रुपए फिर से ट्रांसफर कराए गए। पीड़ित ने कहा कि अलग-अलग खाते में इसी तरह से कुल 29 लाख रुपए ट्रांसफर कराए गए। यह भी कहा गया कि यह पैसा 2 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापस आएगा। 5 लाख रुपए के लिए 5 दिन की मोहलत दी सारे पैसे ट्रांसफर होने के बाद जब विनय कटियार ने कहा कि ऑडिट हो गया तो मेरा पैसा वापस कर दो। इस पर सीबीआई अधिकारी बनी महिला ने 5 लाख रुपए कमीशन की डिमांड कर दी। जब विनय ने इनकार कर दिया तो महिला ने कहा कि 5 दिन का टाइम है, पैसे जमा कर लो। इतना सब होने के बाद विनय कटियार को यह अहसास हो गया कि उनके साथ ठगी हो गई है। व्हाट्सएप चैट और बातचीत के रिकॉर्ड मौजूद पीड़ित ने बताया कि उनके पास व्हाट्सएप चैट के अलावा बातचीत का रिकॉर्ड भी मौजूद है। इसके अलावा अलग-अलग खातों में जो ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, उसका रिकॉर्ड भी है। साइबर सेल प्रभारी सतीश चंद्र साहू ने कहा कि साइबर ठगी हर तीन माह में पैटर्न बदलता है। आजकल सीबीआई, पुलिस अधिकारी और खाता लिंक कराने के नाम पर ठगी ज्यादा हो रही है।
इसके चलते चलते इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह भी पढ़ें लखनऊ की डॉक्टर से 85 लाख की ठगी:CBI अफसर बनकर डिजिटल अरेस्ट किया; मास्टरमाइंड MCA पास