मेरा एक मित्र हाल ही में रात के 1.30 बजे अपने आधिकारिक गेस्ट हाउस पहुंचा और पाया कि वहां थोड़े मच्छर थे। उसने मॉस्किटो रिपेलेंट ऑर्डर किया और महज दस मिनट में डिलीवरी बॉय ने उसके दरवाजे पर रीफिल दे दिया, पर मशीन नहीं थी। मित्र को गलती का अहसास हुआ कि उसने मशीन ऑर्डर ही नहीं की थी। उसने फिर से ऑर्डर किया। और अगले आठ मिनट में एक अन्य वेंडर ने उस तक मशीन भी पहुंचा दी। आपको पता है कि दूसरा ऑर्डर उसी वेंडर के पास क्यों नहीं गया? ऐसा इसलिए क्योंकि पहले वेंडर का डिलीवरी बॉय रिपेलेंट पहुंचाने के लिए पहले ही निकल चुका था, ऐसे में दूसरे वेंडर का डिलीवरी बॉय आदर्श स्थिति में था, जिसे टेक्नोलॉजी ने बिजली की गति से मशीन पहुंचाने के लिए सक्रिय कर दिया था! बेहद तेज डिलीवरी (अल्ट्रा क्विक) की दुनिया में आपका स्वागत है, अब क्विक डिलीवरी धीरे-धीरे खत्म हो रही है। अब इस दृश्य की कल्पना करें। एक युवा बेटी कपड़ों से भरे अपने वॉर्डरोब के अंदर 45 मिनट छानबीन करने के बाद नाखुश है। मैंने जो ‘वार्डरोब के अंदर’ शब्द इस्तेमाल किया, उस पर गौर करें। इसका अर्थ है कि उसका वार्डरोब कमरे के आकार जैसा है, जहां आकर वो कपड़े चुनती है। और बाद में कहती है कि मम्मी शाम को शादी में पहनने के लिए मेरे पास ढंग का लहंगा तक नहीं है। क्या मैं ऑनलाइन मंगा सकती हूं और मां बेमन से हां कर देती है। अब वो बच्ची एक ड्रेस चुनने में फिर से 30 मिनट लगाती है और ऑर्डर करने के बाद एक घंटे में ड्रेस उस तक आ जाती है। वह ड्रेस का ट्रायल लेती है, पर उसे यह पसंद नहीं आती, वह बाहों वाले हिस्से में थोड़ी चुस्त थी। वह स्टोर फोन करके अपनी फिटनेस का मुद्दा बताती है। दुकानदार नई ड्रेस भेजता है और दो घंटे में पुरानी ड्रेस वापस ले लेता है और शादी से दो घंटे पहले वह तैयार हो जाती है। यकीन मानिए, आपके बच्चों के वार्डरोब का जो भी आकार हो, एक घंटे में कपड़े डिलीवर करने का यह आइडिया अब आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। इस साल जून से दवा विक्रेताओं ने पिज्जा डिलीवरी टाइम के दो तिहाई समय में दवा डिलीवर करना शुरू कर दिया है, मतलब ठीक 19 मिनट में। अपोलो के 24/7 एप में पांच शहरों के चुनिंदा पिन कोड, जहां मांग ज्यादा है, वहां जून से ये सुविधा शुरू हो गई है। दिसंबर से टाटा1 एमजी भी बिग बास्केट की मदद से पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुनिंदा शहरों में दवाएं डिलीवर करेगा। अब दवा नौ मिनट में डिलीवरी होने वाली है! बेंगलुरु में 10 मिनट से भी कम समय में दवा डिलीवरी के लिए स्विगी फार्म-ईजी के साथ पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पार्टनरशिप कर रही है। देश में क्विक कॉमर्स में सुपर स्पीड बदलाव हो रहा है। लॉजिस्टिक मैनेजमेंट जो 30 मिनट के वितरण तंत्र के साथ शुरू हुआ था, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि डिलीवर किया पिज्जा गर्म और स्वादिष्ट बना रहे। इस जिक्र के पीछे मकसद था। पिज्जा डिलीवरी में इसकी ताजगी बनाए रखना होती है। पर इस श्रेणी में दवाओं का आना, यहां तक कि पिज्जा को पीछे छोड़ना एक अन्य संकेत दे रहा है। ‘हर चीज दो मिनट में मिल सकती है’ वाले एटीट्यूड के साथ हम धीरे-धीरे एक ‘चक्रव्यूह’ में फंसते चले जा रहे हैं। ये निश्चित पर हमारी उन परंपराओं पर असर डालने वाला है, जहां हम योजना बनाते थे, कल की सोचते थे और अब इससे हमारे हर काम में हड़बड़ी की मानसिकता बढ़ रही है। हम देख सकते हैं कि लगभग सभी शहरों में नौजवान लड़के फूड डिलीवरी के लिए बिजली की गति से भागे जा रहे हैं। अगर दवाएं, कपड़े, गैर-अनिवार्य सामान भी इस बेहद तेज सर्विस वाली मानसिकता के साथ डिलीवर होने लगे, तो मैं दोपहिया वाहनों से भरी सड़कों की कल्पना करने से भी डर रहा हूं, जहां चौबीसों घंटे वे डिलीवरी मोड में रहेंगे, वो भी 5, 7 और 9 मिनट में पहुंचाने की जल्दी में! फंडा यह है कि अल्ट्रा क्विक डिलीवरी का तरीका पूरी तरह छा जाने वाला है, भले अभी न हो, पर कुछ समय बाद होगा। और यह बिजनेस को आगे बढ़ाने में एक निर्णायक कारक साबित हो सकता है।

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