टैक्सी ड्राइवर बिना किसी संरक्षिका के उस महिला को ले जाने से मना कर देता है और गाड़ी आगे बढ़ा देता है। दूसरा ड्राइवर उस महिला को धमकाते हुए कहता है, ‘मेरी गाड़ी में बैठ जाओ, नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूंगा।’ वह चिल्लाती है, ‘हां, हां, क्यों नहीं, तुम हम पर दबदबा कायम करने के लिए बेताब हो, तुम मुझे मार ही डालो।’ मुझे नहीं पता कि अफगानिस्तान में सड़क के बीच में खड़ी उस महिला का क्या हुआ, लेकिन वहां कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें पिछले तीन सालों में मार दिया गया है। उनके बच्चे और प्रियजन अभी भी उनका इंतजार कर रहे हैं। मुझे खेद है कि मैं आपको सुबह-सुबह गुस्सा और पीड़ा दे रहा हूं। लेकिन जब मुझे आज एपल टीवी+ पर रिलीज होने वाली 90 मिनट की डॉक्यूमेंट्री-फीचर फिल्म ‘ब्रेड एंड रोज़ेज़’ की कहानी पता चली तो मैं खुद को रोक नहीं पाया। आप भी उस रियल टाइम फुटेज को देखेंगे तो कांप उठेंगे। फिल्म में आधुनिक और शिक्षित महिलाओं की दिल दहला देने वाली कहानियां हैं, जो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। वे फोन के कैमरे से अपनी दुर्दशा का फिल्मांकन करने में कामयाब रहीं और इसे दूसरे महाद्वीप में बैठी निर्माता को भेज दिया। फिल्म में साहसी किरदारों की कहानियां दिखाई गई हैं। महिलाओं की आजादी की क्षति किसी के लिए भी अकल्पनीय थी। तालिबान के सत्ता में आने से पहले महिलाएं सरकारी अधिकारियों से लेकर जजों तक सत्ता के पदों पर थीं। लेकिन आज अफगानिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया है। धीरे-धीरे यह फिल्म तीन महिलाओं- एक सरकारी कर्मचारी, एक दंत चिकित्सक और एक एक्टिविस्ट पर केंद्रित हो जाती है, जो फिल्म की शूटिंग के बाद देश से निकलने में सफल हो जाती हैं। जब काबुल तालिबान के कब्जे में आया, तब इस फिल्म की निर्देशक साहा मानी जर्मनी में अपनी दूसरी फिल्म की स्क्रीनिंग कर रही थीं। तब से वे घर वापस नहीं जा सकी हैं। लेकिन उन्होंने उन फुटेज को प्राप्त करने के बाद कई स्थानीय सिनेमैटोग्राफरों से निर्देश और मदद लेने में कामयाबी हासिल की कि कैसे शूट करना है और क्या शूट करना है। संक्षेप में यह फिल्म इस बात का एक गंभीर प्रतिबिंब है कि स्वतंत्रता कितनी आसानी से छीनी जा सकती है, और उन लोगों का समर्थन करना कितना महत्वपूर्ण है जिनकी आवाज को दबाया जा रहा है। इस डॉक्यूमेंट्री-फीचर ने 2023 के कान अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में शुरुआत की और इसे डिजिटल प्रीमियर के लिए एपल ओरिजिनल फिल्म्स द्वारा अधिग्रहीत किया गया। ‘ब्रेड एंड रोज़ेज़’ के बारे में बात करने का विचार मेरे दिमाग में तब आया, जब मैंने हीरा देवी के बारे में सुना। वे ‘पायर’ नामक एक फिल्म की नायिका हैं, जिसका विश्व प्रीमियर 19 नवंबर, 2024 को एस्टोनिया में 28वें तालीन ब्लैक नाइट्स अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ था। क्या आप जानते हैं, शुरुआत में 80 वर्षीय इस युवा नायिका ने निमंत्रण, पासपोर्ट और टिकट होने के बावजूद महोत्सव में जाने से इनकार कर दिया था? क्योंकि गांव में उनकी भैंस की देखभाल करने वाला कोई नहीं था! दिलचस्प बात यह है कि देवी शुरू में महिला प्रधान भूमिका लेने से भी हिचकिचा रही थीं, क्योंकि फिल्मांकन का स्थान उनके घर से 6 किमी दूर था, और वे अपनी भैंस को बहुत लंबे समय तक अकेला नहीं छोड़ना चाहती थीं। वे विधवा हैं और गांव में अकेली रहती हैं। उनका कहना है कि उनकी भैंस ही उनकी इकलौती साथी है। इस प्रतिष्ठित फिल्म समारोह की अधिकृत प्रतिस्पर्धा के लिए चयनित होने वाली यह इकलौती भारतीय प्रविष्टि है। फिल्म निर्माताओं के समझाने पर उन्होंने अपनी बेटी- जो उनके घर से 30 किमी दूर रहती है- को उनकी अनुपस्थिति में भैंस की देखभाल करने के लिए कहा और वे रविवार को वैश्विक मंच पर फिल्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए रवाना हुईं। फंडा यह है कि अगर आप युवा रील निर्माता हैं और फिल्में बनाते हैं, तो ऐसी कहानियां चुनें, जो समाज को ‘सायरन कॉल’ दे सकें और गहरी नींद में सोए समाज को जगा सकें।