देव दीपावली पर गंगा आरती देखने के लिए 1 लाख लोग काशी पहुंचेंगे। इस मौके पर 21 अर्चक महाआरती करने वाले हैं। पहली बार ऐसा होगा कि देश-दुनिया इस महाआरती को ऑनलाइन देखेगी। PM मोदी भी वर्चुअल इस आरती में शामिल होंगे। अतुल्य भारत में शामिल गंगा आरती देखने के लिए 30-35 हजार लोग हर रोज काशी के दशाश्वमेध घाट पर पहुंचते हैं। 7 अर्चक गंगा नदी की सप्तऋषि आरती करते हैं। साल 2002 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अतुल्य भारत की शुरुआत की गई थी, जिसमें कई सांस्कृतिक धरोहरों को शामिल किया गया था। गंगा आरती की शुरुआत कहां से हुई? यह समझने के लिए भास्कर गंगा सेवा निधि के पदाधिकारियों से मिला। सामने आया कि दशाश्वमेध घाट की अद्भुत गंगा आरती की शुरुआत 34 साल पहले 2 दोस्तों ने की। तब सिर्फ 1 अर्चक ही आरती करते थे। इसमें शामिल होने वाले काशी के कुछ लोग मौजूद रहते थे। 34 साल से चली आ रही भव्य गंगा आरती पर रिपोर्ट पढ़िए… दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया- काशी में बाबा विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती होती है। इसके अलावा सिर्फ गंगा जी की सप्तऋषि आरती होती है। हमने पूछा कि गंगा आरती की शुरुआत कैसे हुई? उन्होंने बताया– हमारा घर घाट से ऊपर ही पड़ता है। 1989 की बात है, मेरे पापा स्व. सत्येंद्र मिश्रा और उनके दोस्तों ने घाट की सफाई शुरू की। इसमें राजेंद्र प्रसाद घाट और दशाश्वमेध घाट शामिल थे। उस समय दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती नहीं होती थी। टूरिस्ट काशी आते, काशी विश्वनाथ का दर्शन, गंगा स्नान करते और वापस लौट जाते। शाम को इन घाटों पर सन्नाटा पसर जाता था। ऐसे में हमारे पिताजी और उनके दोस्त को विचार आया कि शाम को यहां गंगा आरती करनी चाहिए। तब 1 अर्चक यानी सत्येंद्र मिश्रा ही आरती करते थे। फिर समय के साथ 3 अर्चक, 5 अर्चक और अब 7 अर्चक यह आरती करते हैं। देव दीपावली पर होती है भव्य गंगा आरती
सुशांत मिश्रा ने कहा- देव दीपावली पर सबसे भव्य गंगा आरती होती है। आम दिनों में 7 अर्चक आरती करते हैं, मगर देव दीपावली पर 21 अर्चक महाआरती करते हैं। इसमें 42 देव कन्याएं रिद्धि–सिद्धि के रूप में मौजूद रहती है। जो चंवर डोलाती हैं। इस दौरान घाट और गंगा नदी में नाव पर करीब 1 लाख भक्त मौजूद रहते हैं। 1.5 महीने पहले शुरू होती है तैयारी
सुशांत ने कहा- हमारे पास 35 लोगों का स्टाफ है। रोजाना गंगा आरती के प्रबंधन किए जाते हैं। हर दिन करीब ढाई घंटे का समय लगता है। 1 घंटे में आरती संपन्न हो जाती है। देव दीपावली पर होने वाली आरती के लिए 1.5 महीने पहले से तैयारियां शुरू होती हैं। पूरा घाट फूलों से सजाया जाता है। महाआरती के बाद सांस्कृति आयोजन होते हैं। कार्तिक भर जलते हैं आकाश दीपगंगा
सेवा निधि कार्तिक के पूरे महीने में आकाशदीप जलाती है। साल 1999 में कारगिल पर भारत की विजय के बाद आकाशदीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। सुशांत ने कहा- इस वर्ष हम शौर्य के 25 साल में पहुंच गए हैं। ये आकाशदीप सेना के शहीद जवानों के नाम होते हैं। जिन्हें नमन करने के लिए हम इंडिया गेट की पहले रिप्लिका बनाते थे, लेकिन अमर जवान ज्योति वहां से हटने के बाद अब सिर्फ अमर जवान ज्योति की रिप्लिका बनती है। गंगा आरती की 3 तस्वीरें अब जानिए गंगा आरती का शास्त्रों में क्या उल्लेख है और कौन सा श्लोक है… षोडशोपचार पूजन में त्रुटि खत्म करने के लिए आरती
आचार्य रणधीर प्रधान अर्चक ने बताया- शास्त्र पुराणों में 33 कोटि के देवी-देवता के दैनिक पूजन के लिए कहा गया है। षोडशोपचार पूजन की नियमावली में आरती का जिक्र आता है। यदि षोडशोपचार पूजा में कोई त्रुटि हो जाती है, उसे पूरा करने के लिए आरती करते हैं। आरती करने के बाद सारी त्रुटियां पूरी हो जाती हैं। हम उस देवता का पूजन अच्छे से संपन्न कर पाते हैं। 22 साल से आचार्य रणधीर हैं प्रधान अर्चक
आचार्य ने बताया- हम 22 साल से गंगा आरती करवा रहे हैं। गंगा आरती के लिए पुराणों में श्लोक मिलते है – गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥ यानी गंगा गंगेति यो ब्रूयात- गंगा जी के लिए कहा गया है कि गंगा-गंगा का उच्चारण सौ योजन दूर से भी करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और विष्णु लोक को प्राप्त करता हैं। मां गंगा का प्रादुर्भाव विष्णु जी के चरण से हुआ है। गंगा का जप करने वाला विष्णु लोक को प्राप्त होता है। ———————– काशी में देव दीपावली, 40 देशों के मेहमान आएंगे:एक रात स्टे का 25 से 80 हजार तक खर्च: 39 साल पहले हुई थी शुरुआत देव दिवाली… मतलब देवताओं के धरती पर उतरकर दीपावली मनाने का उत्सव। काशी में 15 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी। इसे देखने के लिए 40 देशों के मेहमान काशी आ रहे हैं। करीब 15 लाख भी टूरिस्ट भी आएंगे, जो आयोजन का गवाह बनेंगे। पढ़िए पूरी खबर…