‘मेरी बेटी की तबीयत देखकर डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। उसकी किडनी में स्टोन था, पस पड़ गया था। लोगों ने मुझे दवा के साथ दुआ करने को कहा। तभी मैं संडे को प्रेयर में गई। फादर ने कहा सब ठीक हो जाएगा। बेटी के सिर पर हाथ फेरा। वो धीरे-धीरे ठीक हो गई।’ यह बताते हुए मेरठ (गोलाबढ़) की सुनीता थोड़ा भावुक हो गईं। कुछ देर रुकने के बाद वह कहती हैं- मेरा भरोसा उस पवित्र आत्मा के लिए बढ़ गया था। अब लोग कहते हैं कि मैं ईसाई हो गई हूं, लोग हमें कसूरवार समझते हैं। मेरे जैसे और लोग भी हैं, समाज में सभी कहने लगे कि हम लोग क्रिश्चियन हो गए हैं। हमें ऐसा लगने लगा जैसे समाज से हमें बाहर कर दिया जाएगा। इसलिए हमने हवन के जरिए घर वापसी की, हम पूरे मन से हिंदू ही हैं। ऐसा सिर्फ एक परिवार के साथ नहीं, बल्कि 30 से ज्यादा परिवारों के साथ हुआ है, जिनके 300 लोगों की घर वापसी करवाई गई। सबसे पहले समझिए…धर्मांतरण कैसे हो रहा था
पूरे मामले को करीब से समझने के लिए भास्कर टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची। मेरठ के गोलाबढ़ में पूरी गली के सभी घरों के लोग एक खास विचारधारा से प्रेरित बताए गए। ज्यादातर घरों के दरवाजे बंद थे। बहुत कहने पर दरवाजे खोले भी तो लोग कैमरे पर बात करने से बचते दिखे। बावजूद इसके भास्कर रिपोर्टर ने परिवारों से बात करके सच्चाई जानी। वहां मौजूद आशा देवी (बदला हुआ नाम) ने बताया, 20 अक्टूबर यानी करवाचौथ पर गोलागढ़ से 3 किमी दूर खड़ौली में प्रेयर के लिए लोग इकट्ठा हुए थे। इसी बीच पुलिस का छापा पड़ा और मामला चर्चा में आ गया। विकास इनक्लेव के एक मकान की पहली मंजिल पर केरल के पास्टर बीजू अपनी पत्नी-बच्चों के साथ रहते थे। आरोप लगा कि पास्टर हर संडे को घर में ही प्रेयर करवाते थे। लोगों को बाइबिल और धार्मिक किताबें दी जाती थीं। जब पुलिस ने छापा मारा तो यहां 40 महिलाएं और पुरुष मिले। उनके हाथों में क्रिश्चियन साइन थे। पुलिस ने पास्टर को हिरासत में लिया। FIR लिखने के बाद उनको जेल भेज दिया गया। पास्टर का केरल कनेक्शन ढूंढ रही पुलिस, अकाउंट भी खंगाले
भास्कर रिपोर्टर ने पूछा- कितने लोगों का धर्मांतरण इनके जरिए हुआ है। इस पर पता चला कि डेढ़ साल में करीब 300 लोगों का धर्मांतरण करवाया जा चुका है। पुलिस पास्टर का केरल कनेक्शन तलाश रही है, वह किन लोगों के संपर्क में था, कैसे और कितनी फंडिंग हो रही थी। इसके लिए उसके बैंक अकाउंट भी खंगाले जा रहे हैं। अब जानिए…वो लोग क्या कहते हैं जिनका धर्मांतरण हुआ… महिला बोली- अंबेडकर को मानते हैं, पूजा-पाठ कम करते हैं
सुनीता के बगल में बैठी एक अन्य महिला, जो पहले थोड़ा संकोच कर रही थीं, फिर धीरे-धीरे बताने लगीं- हम भी संडे को प्रेयर में पास्टर के पास गए थे। वहां पर प्रार्थना की। प्रार्थना में जाने से हमें ऐसा महसूस होने लगा कि हमारे दुख-दर्द दूर हो रहे हैं। हमारी बीमारियां, परिवार के हालात सुधर रहे हैं। हम पिछले कई महीनों से हर संडे जाने लगे थे। लेकिन इसी बीच जब पुलिस का छापा पड़ा तो ऐसा लगा जैसे कोई अपराध कर दिया। हमें हमारे समाज में ही लोग थोड़ अलग दृष्टि से देखने लगे। इसके बाद हमने भी वहां जाना बंद कर दिया। सच बात तो ये है हम कागजों पर ईसाई नहीं हुए थे। हमारे यहां ज्यादातर लोग बाबा भीमराव अंबेडकर को मानते हैं, इसलिए हिंदू-देवताओं की पूजा-पाठ वैसे ही थोड़ा कम होती है। विपिन बोले- मैं भी क्रॉस को मानने लगा, अब छोड़ दिया
गोलाबढ़ में काली माता के मंदिर के सामने विपिन से मुलाकात हुई। विपिन ने बताया- मैं भी हिंदू देवी-देवताओं के अलावा यीशू को मानने लगा था। मेरी पत्नी बहुत बीमार रहती थी। वो ठीक नहीं हो रही थी, तब किसी ने मुझे फादर के बारे में बताया। मैं अपनी पत्नी के साथ संडे प्रेयर में गया। ऐसा लगा वो धीरे-धीरे ठीक हो रही है। उसकी हालत सुधरती देख मेरी आस्था परमेश्वर में बढ़ने लगी। मैं हर संडे प्रेयर में जाने लगा। काफी लोगों को मैंने खुद भी कहा कि वो प्रेयर में जाएं, प्रभु उनकी परेशानी दूर करेंगे। लेकिन अचानक मेरी पत्नी की तबीयत बिगड़ने लगी। हम फिर वहां गए लेकिन कोई खास फायदा नजर नहीं आया। इसके बाद हम डॉक्टर्स के पास भागे, उसका इलाज करवाया लेकिन कुछ महीने पहले पत्नी की मौत हो गई। तब हमें समझ आ गया कि ये सिर्फ ड्रामा है, प्रेयर से किसी की बीमारी ठीक नहीं हो सकती। पत्नी की मौत के बाद मैंने संडे प्रेयर में जाना छोड़ दिया। मैंने किसी कागज पर अपना धर्म नहीं बदला, मैं तो बस सुकून के लिए संडे प्रेयर में जाने लगा था और यीशू को पूजने लगा था। मैंने अग्नि समाज के कार्यक्रम में हवन किया और अब नियमित पूजा करने लगा हूं। सुनीता ने कहा- परमेश्वर ने मेरी बेटी को ठीक किया
बस्ती में हमें सुनीता मिलीं। सुनीता के दो बेटे और एक बेटी हैं। पति की 2014 में मौत हो गई थी। मूलरूप से चंडीगढ़ की सुनीता मेरठ आकर बस गई हैं। सुनीता यहां मेडिकल कॉलेज में नौकरी करती हैं। वह भावुक होते हुए कहती हैं कि मैं किसी देवी-देवता की पूजा नहीं करती। क्योंकि बाबा साहेब अंबेडकर ही हमारे भगवान हैं। लेकिन 3 साल पहले मेरी बेटी बीमार हुई। ये मरने वाली थी। डॉक्टरों ने कहा अब नहीं बचेगी इसकी किडनी में स्टोन था। तब मैं संडे प्रेयर में गई। वहां फादर ने मेरी बेटी के सिर पर हाथ फेरा और कहा बच्ची सही हो जाएगी। धीरे-धीरे मेरी बेटी ठीक भी हो गई। उस दिन से मैं हर रविवार प्रेयर में जाने लगी। वहां जाकर मुझे अच्छा लगता था। उन्होंने बताया- मेरा जो पैसा बीमारी और डॉक्टरों में खर्च हो रहा था, वो बचने लगा। अब मैं अपना घर अच्छे से चला पा रही हूं। लेकिन लोग हमें गलत समझते हैं। अब जानिए हिंदूवादी संगठनों ने कैसे लोगों को सर्च किया
कनवर्जन कर चुके लोगों की पहचान करने की प्रक्रिया क्या अपनाई गई। इसका जवाब जानने के लिए हमने हिंदू कार्यकर्ता सर्वेश उपाध्याय से बात की। उन्होंने कहा- जो लोग हमें थोड़ा भी प्रभावित लगे, उन्हें दोबारा सनातन से जोड़ने का प्रयास किया जाने लगा। उस पूरे इलाके में पर्चे बांटे गए। दिवाली आने पर 10 नवंबर को गोलाबढ़ बस्ती में अंबेडकर धर्मशाला के सामने बने काली मंदिर में सनातन वैदिक संगठन अग्नि समाज ने सामूहिक हवन कराया। इसमें वो 30 परिवार शामिल हुए, जिन्होंने क्रिश्चियन धर्म स्वीकार कर लिया था। अगर हम लोग समय रहते एक्टिव नहीं होते, तो पूरी कॉलोनी ही क्रिश्चियन बन गई होती। सर्वेश ने बताया कि लोगों को प्रलोभन भी मिल रहे थे। इसमें कुछ ऐसे दावे किए गए… 1. कुछ परिवारों को 10–20 हजार रुपए मिले थे।
2. बच्चों की मिशनरी स्कूल में पढ़ाई का वादा हुआ था।
3. मिशनरी वाले हॉस्पिटल में फ्री इलाज और घर के बच्चों के लिए नौकरियों का वादा किया गया। हवन कराने वाले लोग बोले- ये शुरुआत
सनातन वैदिक संगठन अग्नि समाज संस्था के सदस्यों ने बताया कि वो धर्मांतरण कर चुके लोगों को जागरूक कर दोबारा सनातन में लाते हैं। कार्यकर्ता स्वाति ने बताया कि जो लोग धर्म बदल चुके हैं, उन्हें वापस लाना थोड़ा मुश्किल होता है। मंदिर में कराया गया यज्ञ उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। धीरे-धीरे इन लोगों को सनातन का महत्व समझाकर दोबारा वापस लाएंगे। इस पर हमारे कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। लोग ये स्वीकार करने को राजी नहीं होते कि वो परिवर्तित हुए हैं। दरअसल, उनका ब्रेनवॉश कर दिया जाता है, इसलिए उनकी वापसी बहुत मुश्किल होती है। अग्नि समाज के संस्थापक संजीव नेवर, जो आईआईटी के स्नातक हैं और वेद प्रचार करते हैं। उन्होंने कहा- पूरे वेस्ट यूपी में इस तरह से सनातन संस्कृति को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। मलिन बस्ती और परेशान लोगों को खासकर टारगेट करके बरगलाया जा रहा है। ————– ये पढ़ें :
मेरठ में करवाचौथ के दिन धर्मांतरण का खुलासा: ईसाई दंपती कहते- जो तुमसे प्यार करे उसकी शरण में जाओ; टारगेट पर हिन्दू महिलाएं मेरठ के कंकरखेड़ा में एक बार फिर धर्मांतरण का मामला सामने आया है। रविवार यानी करवाचौथ के दिन संडे प्रेयर और प्रवचन के नाम पर धर्मांतरण कराया जा रहा था। यह खुलासा भाजपा नेताओं और पुलिस की एक घर में छापेमारी में हुआ। छापेमारी के दौरान मकान में बने हॉल में अंदर 40 से अधिक महिलाएं बैठी थी। उनके साथ लड़कियां और बच्चे भी थे। सामने कुर्सियों पर एक महिला, पुरुष बैठे थे। जो पति-पत्नी हैं। दोनों मिलकर महिलाओं को प्रवचन दे रहे थे। पुलिस ने मौके से 3 लोगों को अरेस्ट किया है। पूछताछ में पता चला कि पति-पत्नी मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं। इसी तरह सत्संग लगाकर 300 लोगों का धर्मांतरण करा चुके हैं। पढ़िए पूरी खबर…