इंडियन हैंडबॉल टीम के सदस्य आकाश कुमार वर्मा कजाकिस्तान में सेंट्रल एशिया हैंडबॉल चैम्पियनशिप खेलने के बाद वह अपने घर इन दिनों कानपुर में है। उन्होंने इस चैम्पियनशिप में पांच मैच खेले और 28 गोल अपने नाम किए, जिसमें की कजाकिस्तान के खिलाफ सर्वाधिक 7 गोल किए थे। उन्होंने कहा कि जब आप आगे बढ़ते हैं तो उन दिनों बहुत से लोग आपको ऐसे मिलेंगे जो आपकी ही टांग खींचेंगे, लेकिन ऐसे लोगों से डरना नहीं है बल्कि अपने काम पर और ज्यादा फोकस बढ़ा देना है। सफलता जरूर हाथ लगेगी। निगेटिव माइंड सेट वालों से दूर रहना है। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में जो कहा वह सव प्रस्तुत है आपके सामने।
प्रश्न: हैंडबॉल का सफर कब और कैसे शुरू हुआ?
जवाब: बात है 2012 कि उस समय मैं कक्षा 7 में पढ़ता था और बैडमिंटन खेलता था। उस दौरान केंद्रीय विद्यालय, नाजिरा, असम में पढ़ता था। उन दिनों वहां पर हैंडबॉल की जूनियर जोनल टीम चुनी जानी थी। क्लास के काफी बच्चों ने उसमें नाम डलवा दिया तो उनके कहने पर मैंने भी अपना नाम डलवा दिया और वहीं से हैंडबॉल का अभ्यास शुरू हो गया।
प्रश्न: पिता फुटबॉल कोच है तो अपने हैंडबॉल क्यों चुना?
जवाब: वैसे तो मेरा पसंदीदा खेल बैडमिंटन ही था, लेकिन जब हैंडबॉल खेलना शुरू किया और एक महीने बाद टीम खेलने गई तो हम लोग चैंपियन बने और उसी के तुरंत बाद केवी की जूनियर नेशनल टीम में चयन भी हो गया। इस कारण हैंडबॉल में रुचि ज्यादा बढ़ गई।
प्रश्न: जब आपने खेलना शुरू किया तो क्या उम्मीद थी, इंडिया टीम तक पहुंचेंगे या नहीं?
जवाब: शुरू से ही मेरा सपना था इंडिया टीम में खेलने का और मेरा चयन भी एक के बाद एक चैंपियनशिप के लिए टीम में होता रहा, तो कभी ऐसा नहीं लगा की इंडिया टीम तक नहीं पहुंच पाएंगे।
प्रश्न: इंडिया टीम तक पहुंचाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा?
जवाब: इंडिया टीम तक का सफर काफी संघर्ष पूर्ण रहा। इस बीच काफी सारी इंजरी भी हुई। बीच-बीच में ऐसे भी कुछ मूवमेंट आए कि मैंने अपने पापा से खेलने के लिए मना कर दिया, लेकिन परिवार के लोगों ने और हमारे कोच ने इतना मोटिवेट किया की पीछे मुड़कर कभी देखना ही नहीं पड़ा।
प्रश्न: इंडिया में हैंडबॉल का स्तर कहां पर देखते हो?
जवाब: अपने इंडिया में हैंडबॉल का स्तर अब काफी बढ़ गया है। आईपीएल की तर्ज पर जब से हैंडबॉल लीग होने लगी है तो लोग इसको और ज्यादा पहचानने लगे हैं, लेकिन अभी विदेशों की तरह इस खेल को वह स्तर नहीं प्राप्त हो पाया है। विदेश में तो हैंडबॉल कोने-कोने में है।
प्रश्न: खिलाड़ियों को और क्या-क्या सुविधा अपने देश में मिलनी चाहिए, जिससे खेल और निखरें?
जवाब: एक खिलाड़ी को अच्छी कोचिंग, अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर मिलना चाहिए। अपने यहां अभी अच्छे कोचों की कमी है। यदि विदेश के कोच अपने भारत में आकर प्रशिक्षण दें तो और अच्छे खिलाड़ी यहां से निकलेंगे।
प्रश्न: खिलाड़ियों को सुविधा कहां पर ज्यादा मिल रही है?
जवाब: विदेश के खिलाड़ियों को सुविधा ज्यादा अच्छी मिलती है। वहां पर हाई क्लास ट्रेनर है, हर फिटनेस के अलग-अलग ट्रेनर है। हर स्किल के लिए अलग कोच है। इंडोर स्टेडियम है, जो कि अभी अपने इंडिया में नहीं है।
प्रश्न: यहां तक पहुंचाने के लिए आप किसी को अपना श्रेय देते हैं?
जवाब: इंडिया टीम तक पहुंचाने के लिए सबसे पहले मैं अपने माता-पिता को इसका श्रेय देता हूं। इसके बाद बचपन से लेकर अभी तक जो भी हमारे कोच रहे हैं तौहीद खान सर, अजीत सिंह सर, अमल नारायण पटवानी सर, ललित मेस सर इन सभी को श्रेय जाता है।
प्रश्न: इंडिया टीम के लिए कैसे चयन हुआ था?
जवाब: 2023 में जम्मू में नेशनल हैंडबॉल चैंपियनशिप हुई थी। वहां पर हमारी टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी। उस टीम का मैं कप्तान था और मैंने लगभग 30 गोल किए थे, जिसके आधार पर चयनकर्ताओं ने मुझे इंडिया टीम में आने का मौका दिया।
प्रश्न: अपने से जूनियर को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: रेगुलर प्रैक्टिस करें और हार्ड वर्क करें, एक ही इरादा रखें तो हमेशा अपना मुकाम पाएंगे।
आकाश वर्मा का संक्षिप्त परिचय
पिता: ओमप्रकाश वर्मा (फुटबॉल कोच)
मां: रेखा वर्मा
छोटी बहन: नेहा वर्मा
शिक्षा: केंद्रीय विद्यालय नाजिरा, असम से इंटर तक की पढ़ाई की।
2017-19 में नागपुर से 2 साल का फायर इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स किया।
2019-22 में टेक्नो ग्लोबल यूनिवर्सिटी, सागर, मध्य प्रदेश से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

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