मुम्बई में भोजन के डब्बे पहुंचाने वाली व्यवस्था एक क्रांति है। उसके प्रमुख हैं डॉ. पवन अग्रवाल (डब्बावाला)। पिछले दिनों एक मुलाकात में उन्होंने मुझे बताया कि डब्बावाला पिकअप-डिलीवरी बड़ी ईमानदारी से करते हैं। उन्होंने खास बात बताई कि लोग इस व्यवस्था पर इतना भरोसा रखते हैं कि कभी-कभी तो डब्बे में भोजन के अलावा मूल्यवान वस्तु भी इधर-उधर पहुंचा देते हैं। तब मुझे याद आया कि ऐसी पिकअप-डिलीवरी ईश्वर भी करता है। उसने हम मनुष्यों को बिल्कुल डब्बे की तरह नीचे भेज दिया है और इस डब्बे में इतनी बहुमूल्य वस्तुएं दे दी हैं लेकिन हम रोजमर्रा की उठा-पटक में इसकी खूबियां भूल जाते हैं कि इसको खोल कर तो देखें! बचपन में हमारे भीतर जो ऊर्जा होती है, उसका सीधा संबंध याददाश्त से है। युवावस्था में काम करने की गजब की ऊर्जा होती है और वृद्धावस्था में यही ऊर्जा एकाग्रता, रचनात्मकता, प्रयोगधर्मिता में बदल जाती है। ईश्वर ने मनुष्य का जीवन कई उपलब्धियों के साथ दिया है। ये हमारी गलती है कि हम उसका अनुभव नहीं कर पाते हैं।