आखिर आप चाहते क्या हो। ये सवाल कभी-कभी हमसे दूसरों ने पूछा होगा और हम भी अन्य लोगों से पूछते हैं, लेकिन जिंदगी में ये जानना जरूरी है कि हम चाहते क्या हैं। केवल करने के लिए कोई काम मत करिए। हर काम के पीछे मालूम होना चाहिए कि क्यों किया जा रहा है? क्या हम यही चाहते हैं, इसलिए कर रहे हैं। देखिए दिन तो सबके बीत जाएंगे, समय किसी के लिए रुकता नहीं है, लेकिन समय रहते यह जान लेना चाहिए कि आखिर हम क्या चाहते हैं? खुद से भी और दूसरों से भी। अपने को जानना हो तो ‘ना’ कहना और ‘हां’ कहना ठीक से सीख लो। एक ना में इतने ना समाए हैं कि जब भी ना करें, नम्रता रहे और नजरिया स्पष्ट रहना चाहिए। और जब किसी को हां कहें, तो दृढ़ता और दूरदर्शिता होनी चाहिए, तभी हम खुद को समझ पाएंगे। यह प्रयोग राम और कृष्ण ने बहुत अच्छे किए थे। राम ने अपने अवतार काल में हां से ज्यादा ना कहा है और कृष्ण ने ना से ज्यादा हां कहा है। राम के ना कहने में एक मर्यादा थी और कृष्ण के हां कहने में एक बहु-आयामी व्यक्तित्व था। इसलिए इन दोनों अवतारों को लोग कभी-कभी ठीक से नहीं समझ पाते हैं, पर यदि खुद को जानना हो तो इन दोनों के हां और ना के प्रसंगों को ठीक से समझें, तो हम जान सकेंगे आखिर हम चाहते क्या हैं।

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