इन दिनों ये शोर बहुत है कि सकारात्मक हो जाइए, नकारात्मकता छोड़ दीजिए। अब शोर इतना है कि लोग समझ ही नहीं पाते कि ये सकारात्मकता, नकारात्मकता है क्या। इसे यूं समझें कि हर मनुष्य में तीन गुण हैं सतोगुण यानी अच्छे काम करना, रजोगुण यानी दुनियादारी के काम करना और तमोगुण गलत काम करना। अब ये तीनों गुण कब परिणाम देते हैं? दरअसल मनुष्य शरीर के भी कुछ कायदे हैं। हम जिस देश-दुनिया में रहते हैं, उसके भी कानून हैं। तमोगुण की रुचि इन सबको तोड़ने में होती है और इसे ही नकारात्मकता कहते हैं। जैसे हमारे शरीर का मूल स्वभाव है खुश रहना। ईश्वर ने कभी किसी को उदास पैदा नहीं किया। उदासी तो हम बाहर से आयात कर लेते हैं। इसलिए तमोगुण कैसे कम हो, इस पर काम किया जाए। रजोगुण, तमोगुण से मिलेगा तो आप नकारात्मक काम करेंगे। अगर रजोगुण, सतोगुण से मिलेगा तो आप सकारात्मक काम करेंगे। ये गणित थोड़ा कठिन लगता है, लेकिन बहुत सरल है। अपने भीतर इन तीन गुणों की व्यवस्था करना भी सीखें।

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