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पितृपक्ष: सोने-चांदी-तांबे की मूर्तियों, तीन तरह की औषधियों से करते हैं श्राद्ध, छह माह पहले से होती है तैयारी

पौराणिक मान्यतानुसार पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्धकर्म होते हैं। गरुण पुराण में भी इसका वर्णन है। यहां पर श्राद्ध करने के बाद ही लोग गया (बिहार) में श्राद्ध करने जाते हैं। वैसे यहां पर पूरे साल लोग श्राद्धकर्म करवाते हैं।पौराणिक मान्यतानुसार पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्धकर्म होते हैं। गरुण पुराण में भी इसका वर्णन है। यहां पर श्राद्ध करने के बाद ही लोग गया (बिहार) में श्राद्ध करने जाते हैं। वैसे यहां पर पूरे साल लोग श्राद्धकर्म करवाते हैं। 

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