17 महीने से लापता महिला तीन बच्चों के साथ भाई दूज पर घर पहुंची, अपने दो भाइयों को टीका लगाने। घर में माता-पिता से सामना हुआ। बेटी को देख उनकी भी आंखें फटी की फटी रह गईं। यकीन नहीं हुआ कि जिस बेटी के अपहरण की साजिश में दो बेटे जेल में हैं, वह जिंदा भी है। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, कानपुर देहात के एक परिवार की हकीकत है। तीन बच्चों की मां के लापता होने के मामले में एक किरदार पुलिस का भी है। एक पुलिस वह, जिसने जांच कर सही रिपोर्ट दी। लेकिन, उसे झूठा मानकर इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया। दूसरी वह, जिसकी रिपोर्ट अब झूठी साबित हो रही है, क्योंकि महिला घर लौट आई है। उसने बयान दर्ज करा दिए कि जेल की सजा काट रहे भाइयों की कोई गलती नहीं। उन्होंने उसका अपहरण नहीं किया था। इस चर्चित केस के सारे किरदारों को समझने के लिए दैनिक भास्कर कानपुर देहात के बतौली गांव पहुंचा। पहले जानते हैं महिला की गुमशुदगी से लेकर भाइयों को जेल होने की कहानी कानपुर का बिधनू इलाका। यहां छोटी बतौली गांव में संजय दुबे अपने परिवार के साथ रहते हैं। परिवार में पत्नी नीता, बेटी राखी, दो बेटे राजू और अशोक हैं। आज से करीब 10 साल पहले संजय ने राखी की शादी शिवराजपुर इलाके के कड़लीपुरवा गांव के शिवनारायण अग्निहोत्री उर्फ श्यामू के साथ कर दी। राखी के तीन बच्चे हुए। बड़ा बेटा ममतेश 8 साल का है। अभिषेक 6 साल और बेटी रिद्धि इस वक्त 2 साल की है। शिवनारायण उर्फ श्यामू शराब का लती है। इसलिए वह रोज पत्नी राखी के साथ मारपीट करता था। इसको लेकर पत्नी परेशान हो गई। मायके वालों को बताया, लेकिन परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। इसलिए कुछ भी मदद कर पाने के पक्ष में नहीं था। कह दिया गया, कैसे भी करके मैनेज करो। राखी परेशान हो गई। उसने 17 मई, 2023 को अपने तीनों बच्चों को लेकर घर छोड़ दिया। उस वक्त छोटी बेटी रिद्धि महज 3 महीने की थी। घर छोड़ते वक्त उसने फोन वगैरह भी सब छोड़ दिया। पति ने पत्नी के भाइयों पर दर्ज करवाया अपहरण का केस
श्यामू ने पत्नी के गायब होने पर ससुराल पक्ष यानी राखी के पिता, मां और भाइयों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया। जांच शिवराजपुर के इंस्पेक्टर शिव शंकर पटेल को मिली। उन्होंने जांच की, लेकिन अपहरण जैसा मामला नहीं मिला। हालांकि, पुलिस राखी को खोज पाने में भी सफल नहीं हो पाई। इंस्पेक्टर शिव शंकर कहते हैं- हमने पोस्टर लगवाए। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों के सीसीटीवी चेक किए। रनिया की फैक्ट्रियों में चेक किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। शिव शंकर ने करीब दो महीने बाद रिपोर्ट लगा दी। इसमें उन्होंने कहा कि जांच में ससुराल पक्ष के जरिए अपहरण जैसी कोई बात नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद श्यामू ने 28 जुलाई, 2023 को हाईकोर्ट का रुख किया और पत्नी के अपहरण की बात कही। कोर्ट ने अगस्त में कानपुर के पुलिस कमिश्नर को तलब कर लिया। इसके बाद कमिश्नर ने शिव शंकर पटेल को सस्पेंड कर दिया। जांच इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को सौंपी गई। उन्होंने राखी के भाई और पिता को हिरासत में ले लिया। थाने में पिता संजय की स्थिति बिगड़ गई, तो उन्हें छोड़ दिया गया। राजू और अशोक को जेल भेज दिया गया। हालांकि, महिला बरामद नहीं हुई तो सुबोध कुमार को भी लाइन हाजिर कर दिया गया। नई जिम्मेदारी इंस्पेक्टर बृजेश सिंह को मिली। लेकिन, वह भी महिला को नहीं खोज सके। मामला पुलिस कमिश्नर की निगरानी में था। हाईकोर्ट में केस था, इसलिए बृजेश सिंह से जांच वापस लेकर शिवराजपुर थाने के इंचार्ज अरविंद सिंह सिसौदिया को दे दी गई। उन्होंने इसके लिए कई टीमें बनाईं, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इधर दोनों भाई जेल में ही रहे। महिला के साथ तीन बच्चे भी थे, इसलिए हाईकोर्ट ने फिर से पुलिस को तलब कर लिया। 3 नवंबर को भइया दूज के मौके पर राखी रनियां चौराहे पर गाड़ी का इंतजार कर रही थी। पुलिस को सूचना मिली, तो इंस्पेक्टर अरविंद सिंह सिसौदिया खुद वहां पहुंच गए। इस तरह से महिला को बरामद कर लिया गया। अब पुलिस का फोकस था कि उससे पूछताछ की जाए और यह पता लगाने की कोशिश की जाए कि वह पिछले 17 महीने कहां थी? राखी से पूछताछ की गई, तो वह रोने लगी। वह कहती है- मैं तो अपने भाइयों को भइया दूज पर टीका लगाने के लिए आई थी। मुझे पता ही नहीं कि वे लोग मेरे अपहरण के मामले में जेल में बंद हैं। मैं तो पति के मारने-पीटने से परेशान होकर घर छोड़कर चली गई थी। सबसे पहले चौबेपुर पहुंची थी और उसके बाद वृंदावन चली गई। वहां कुछ दिन रहने के बाद फर्रुखाबाद में एक कोल्ड स्टोरेज में काम किया। अब रनियां वापस चली आई। राखी के बाबा बोले- बेटा हार्ट पेशेंट था, इसलिए पुलिस ने छोड़ दिया
हम महिला के मायके यानी छोटी बतौली गांव पहुंचे। एक कच्चा घर मिला। राखी के बाबा राम आधार दुबे मिले। वह कहते हैं- हमें नहीं पता कि पोती ससुराल छोड़कर क्यों चली गई? उस वक्त तो उसने यही बताया था कि पति खाना नहीं देता था, शराब पीकर रोज मारता था। उसी के बाद वह चली गई। अब हमें और परिवार के लोगों को तो कुछ पता भी नहीं। फिर भी राखी के दो भाइयों को पुलिस उठा ले गई। बेटे को भी ले गई थी। लेकिन, वह हार्ट के मरीज थे। थाने में गिर पड़े तो उन्हें छोड़ दिया। पड़ोस में ही रहने वाले अशोक द्विवेदी कहते हैं- इस परिवार की स्थिति बहुत खराब है। अशोक और राजू किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। लेकिन दूसरी पार्टी ने मुकदमा दर्ज करवाकर जेल में बंद करवा दिया। अभी तक जोड़-जोड़कर रखा पैसा खर्च किया। एक वकील भी रुपए खा गया, लेकिन अब तक दोनों को जमानत नहीं मिल सकी। इसी दिवाली पर भी ये लोग रो रहे थे। अशोक आगे कहते हैं- बिटिया को वहां प्रताड़ना मिली तो वह कहीं चली गई। इन लोगों ने कोई खोज-खबर नहीं ली। कोई शिकायत भी नहीं दर्ज करवाई। उल्टा ससुरालवालों ने ही इनके खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया। एक-दो लोगों ने इनसे कहा भी कि केस कर दीजिए लेकिन इन्होंने कहा कि हम क्या ही केस करें। उस श्यामू (राखी का पति) को बिटिया के बारे में सब कुछ पता था। हमने यहां से राखी का नंबर लिया और उनसे बात की। मिलने की बात कही तो उन्होंने कहा कि रनियां आ जाइए। जहां वह अपनी मां के साथ किराए पर रह रही थी, उसका पूरा पता बताया। हम लोग मौके पर पहुंचे और फोन मिलाया तो रिसीव नहीं किया। यह कई बार हुआ। हम छत पर गए तो पता चला कि पूरा परिवार कमरा बंद करके कहीं चला गया। संजय (राखी के पिता) जहां काम करते हैं, हम वहां गए। पता चला कि यहां अब वह काम नहीं करते। रनिया में ही बच्चों के साथ रह रही थी महिला
हमने आसपास के लोगों से बातचीत की। ज्यादातर लोगों ने कैमरे के सामने बात करने से मना कर दिया। एक महिला बताती हैं- जब इनकी बेटी मिल गई थी, तो हमने संजय की पत्नी नीतू से बात की थी। वह बता रही थी कि राखी यहीं रनियां में ही रह रही थी। यहां से करीब 3-4 किलोमीटर की दूरी होगी। वहीं एक फैक्ट्री में काम करती थी। हालांकि किसके साथ रहती थी, यह तो नहीं पता। लेकिन, तीन बच्चों के साथ अकेले रहना आसान नहीं है। कोई न कोई तो साथ रहा होगा? यह बात ये लोग छिपा रहे हैं। एक अन्य व्यक्ति कहते हैं-, यह तो तय है कि संजय और उनकी पत्नी को बेटी के यहां रहने की जानकारी नहीं थी। अगर जानकारी होती, तो वह अपने दोनों बेटों को जेल क्यों जाने देते। बेटी से ही पूछताछ हो, तो कई चीजें सामने आ जाएंगी। पहली बात यही कि 17 महीने में एक बार तो अपने मायके वालों को फोन कर लेती। जबकि उसके पास फोन मिला है। इसमें कोई न कोई और व्यक्ति था। अकेले तीन बच्चों के साथ किसी दूसरी जगह पर रहना उसके बस की बात नहीं। पुलिस बोली-हमने तो आधार कार्ड-बैंक अकाउंट तक चेक किया
इस मामले में सस्पेंड किए जा चुके इंस्पेक्टर शिव शंकर पटेल इस वक्त कानपुर पुलिस लाइन में हैं। हमने उनसे बात की। वह कहते हैं- हमने महिला का आधार कार्ड चेक करवाया कि कहीं प्रयोग तो नहीं हुआ। उसका बैंक अकाउंट चेक करवाया। आसपास के जिलों में जाकर तलाश की, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल सका। बाकी अब मिल गई है, तो भाइयों को जमानत मिल जाएगी। मुझे इस मामले की बहुत जानकारी नहीं है। जो अभी मामले की जांच कर रहे हैं, वही बता सकते हैं। हमने इसके बाद शिवराजपुर के थाना इंचार्ज अरविंद सिंह सिसोदिया से बात की। वह कहते हैं- अभी तो महिला अपनी मां के ही साथ गई है। फर्रुखाबाद के बाद वह यहीं कानपुर देहात में रहती थी। किसी के साथ रहने की बात पूछी तो कहते हैं, इसके बारे में तो जानकारी नहीं है। पूरे मामले को कानून के नजरिए से समझिए…
शुरुआत में इस मामले में गुमशुदगी दर्ज हुई। हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया तो राखी के मायके वालों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज हुआ। एक पुलिस अफसर के मुताबिक, इसमें कभी भी हत्या का मामला नहीं दर्ज हुआ। हत्या का मामला तभी दर्ज होता है, जब गायब व्यक्ति की लाश बरामद हो जाए। अब चूंकि लापता महिला खुद लौट आई है। बयान दर्ज करा चुकी है, तो जल्द ही उसके भाई भी कोर्ट से रिहा हो जाएंगे। ————————— ये भी पढ़ें… रेप केस में समझौते के लिए मस्जिद की शिकायत:बागपत कोर्ट ने भी अवैध माना, बुजुर्ग बोले-हमने बचपन से यहां मस्जिद देखी ‘मैंने आज तक यहां पर कभी तालाब नहीं देखा। सिर्फ मस्जिद ही देखी है। यह तो ऊपर वाले का घर है। कोर्ट जो भी माने, लेकिन हम तो इसे मस्जिद ही मानेंगे।’ यह कहना है 70 साल के अख्तर का। अख्तर बागपत जिले में राजपुर खामपुर गांव के रहने वाले हैं। इस गांव की करीब 65-70 साल पुरानी मस्जिद को तहसील कोर्ट ने खाली करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना है कि ये मस्जिद तालाब की जमीन पर बनी है। गांव के लोग इस फैसले के खिलाफ हैं। पढ़ें पूरी खबर