शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बार फिर से अपना नाम बदल लिया। उन्होंने जितेंद्र नारायण त्यागी से अपना नाम बदलकर ठाकुर जितेंद्र सिंह सेंगर कर लिया है। उन्होंने अपना नया नाम दीवाली के मौके पर मोबाइल से भेजे गए बधाई संदेश में लिखा है। इससे पहले रिजवी ने साल 2021 में इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपनाया था। धर्म बदलने के बाद उनका नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया था। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया था। जितेंद्र नारायण को अपनी जाति बदलने की क्यों जरूरत पड़ी?
इस बारे में दैनिक भास्कर ने जितेंद्र नारायण से सवाल किया। इस पर उन्होंने कहा कि वह गाजियाबाद के यति नरसिंहानंद के माध्यम से हिंदू धर्म में शामिल हुए थे। इसके बाद से आईडी में नाम सही न होने के कारण उन्हें कई मौकों पर दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा- यति नरसिंहानंद, जो खुद त्यागी परिवार से आते हैं, उन्होंने मुझे एडाप्ट करने का लेटर देने का वादा किया था। लेकिन, उन्होंने लेटर नहीं दिया। वह टालते रहे और बहाने बनाते रहे। इसी के चलते 2 साल पहले हमने यति नरसिंहानंद से अपने संबंध तोड़ लिए। जितेंद्र उर्फ वसीम बताते हैं- यति की कई बातें मेरे विचारों से मेल नहीं खातीं। मसलन वह आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को गालियां देते थे, जिसके लिए मैं उन्हें मना करता था। कौन हैं प्रभात कुमार सिंह सेंगर?
जितेंद्र का कहना है- कानपुर देहात के रहने वाले प्रभात सिंह सेंगर से मेरी पुरानी जान-पहचान है। प्रभात सिंह हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और डीन हैं। प्रभात ने अपने परिवार में शामिल करने का प्रस्ताव दिया। इसके लिए मैंने उन्हें अपनी सहमति दे दी। जितेंद्र ने कहा- प्रभात की मां यशवंत कुमारी सेंगर ने अपनी ओर से हलफनामा देकर मुझे अपना बेटा बनाया है। उन्होंने कहा है कि उनकी संपत्ति में मेरा कोई अंश या हस्तक्षेप नहीं होगा। यानी प्रभात, जो अभी तक मेरे मित्र थे, अब मेरे भाई हो गए हैं। इस बारे में जब प्रभात कुमार सिंह सेंगर से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि हां, उनके परिवार ने जितेंद्र नारायण को अपने परिवार में शामिल किया है। 11 अक्टूबर को उनके बेटे की रिंग सेरेमनी थी। उसमें जितेंद्र को भी आमंत्रित किया गया था। वहीं पर परिवार के सभी लोगों के सामने जितेंद्र नारायण को परिवार में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया, जिस पर सभी ने अपनी सहमति जताई। उन्होंने बताया कि वह जितेंद्र को बीते डेढ़ दो साल से जानते हैं, जब वे गंभीर डिप्रेशन का शिकार थे। कहां हो रही थी दिक्कत?
जितेंद्र ने बताया- आईडी पर नाम सही न होने के कारण मुझे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। यहां तक कि सभी आईडी में मेरा नाम वसीम रिजवी ही है। उस नाम को बदलने में कठिनाई हो रही थी। इसके चलते मुझे हवाई यात्रा और ट्रेन से यात्रा करने में दिक्कत आ रही थी। साथ ही सर्टिफिकेट और बैंक खातों के संचालन में दिक्कत हो रही थी। अब नाम बदलने के बाद सारी प्रक्रिया नए सिरे से करनी होगी। कहीं मुख्यमंत्री की वजह से तो नहीं अपनाई ठाकुर जाति?
जितेंद्र नारायण से जब दैनिक भास्कर ने पूछा कि कहीं आपने मुख्यमंत्री की जाति की वजह से यह जाति तो नहीं अपनाई?‌ इस पर उन्होंने कहा कि नहीं। मैं जब हिंदू धर्म में शामिल हुआ, उस वक्त भी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही थे। अगर मुझे ऐसा कुछ करना हाेता, तो उसी समय कर लेता। शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से कराने की जताई थी इच्छा
महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने बताया कि वसीम रिजवी 5 नवंबर, 2021 को मंदिर में आए थे। उसी दिन उन्होंने कह दिया था कि मृत्यु के बाद उनके शव का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज से किया जाए। इसके लिए उन्होंने जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि को अधिकृत भी कर दिया था। बाकायदा उस दिन वसीम रिजवी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करके भी गए थे। कुरान से 26 आयत हटाने को दायर की थी याचिका
वसीम रिजवी मूल रूप से लखनऊ के निवासी हैं। साल-2000 में वह लखनऊ के मोहल्ला कश्मीरी वार्ड से सपा के नगरसेवक चुने गए। 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य और फिर बाद में चेयरमैन बने। वसीम रिजवी ने कुरान से 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जो खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को लेकर वसीम रिजवी पर जुर्माना भी लगाया था। ‘मोहम्मद’ से फिर चर्चाओं में हैं रिजवी
वसीम रिजवी ने पिछले दिनों ही एक पुस्तक ‘मोहम्मद’ लिखी थी। इसे लेकर सियासी हलचल है। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रिजवी ने इस किताब के जरिए पैगंबर की शान में गुस्ताखी की है। इसके बाद रिजवी ने बयान जारी करके कहा कि उनकी कभी भी हत्या हो सकती है। यह खबर भी पढ़ें​​​ प्रेमानंद महाराज ने रामलला जैसा स्वरूप देख जोड़े हाथ, वृंदावन में रात 2 बजे हूबहू प्रतिमा जैसी वेशभूषा में सड़क पर खड़ा था बच्चा मथुरा के वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज ने बच्चे का रामलला जैसा स्वरूप देखकर हाथ जोड़े। हुआ यूं कि गुरुवार रात 2 बजकर 15 मिनट पर प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम जा रहे थे। चाराें तरफ से उनके शिष्य घेरे थे। भक्त उनकी एक झलक पाने के लिए दोनों तरफ राधा रानी-श्रीकृष्ण का उद्घोष कर रहे थे। भक्तों के बीच एक बच्चा रामलला की हूबहू प्रतिमा जैसी वेशभूषा में गुलाब के फूलों की पत्तियों पर खड़ा था। उसे देखकर प्रेमानंद महाराज रुक गए। उन्होंने अपने जूते उतारे और रामरूपी बच्चे को झुककर प्रमाण किया। इसका वीडियो भी सामने आया है। यहां पढ़ें पूरी खबर

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