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रेप के बाद बच्चे को जन्म दिया, लोग दुत्कारते थे:जहां शादी हुई वहां भी नरक झेला; महिला के 30 साल के संघर्ष की कहानी

भाई-बहनों में मैं तीसरे नंबर की थी…लेकिन हाइट में सबसे लंबी थी। अपने पापा पर गई थी। पापा पुलिस और ताऊ आर्मी में थे। मैं भी उनकी तरह देश सेवा करना चाहती थी। यही सपना लेकर मैं अपनी बहन के साथ शाहजहांपुर गई थी। फिर वहां जो हुआ, सब जानते हैं। उन दोनों ने मिलकर मेरी जिंदगी ही नहीं, रिश्ते-नाते और मेरी पहचान सब खराब कर दिया। गांव के लोग मुझे ताने मारते, मैं जैसे नरक की जिंदगी जीने लगे। जिस गांव में मैं खेलती थी, जहां मेरे चाचा-चाची, ताऊ-ताई, दादा-दादी थे, वहां अब कोई मेरा नहीं बचा। उन दोनों के गंदे काम से जो बच्चा हुआ, वो भी मेरी तरह लोगों से और जिंदगी से लड़ रहा था। लेकिन मैं और मेरा बेटा जब मिले तो भूसे में सुई की तरह उन दोनों दोषियों को ढूंढ निकाला। 26 साल बाद मेरे साथ हुए रेप का केस दर्ज हुआ और 30 साल बाद दोनों को सजा हो गई। यह दर्द उस महिला का है, जिसने रेप के बाद एक बेटे को जन्म दिया। उसी बेटे ने अपने रेपिस्ट बाप को 30 साल बाद सजा दिलाई। साल 1994 से लेकर साल 2024 तक उसके साथ क्या-क्या हुआ। 30 साल की इस लड़ाई में बेटे ने मां को कैसे ढूंढा…? थाने के चक्कर और अदालत में असहज कर देने वाले सवालों के बीच कैसे आरोपियों को सलाखों तक पहुंचाया? बेटे का DNA आरोपी से मैच कराया, यही बड़ा सबूत साबित हुआ शाहजहांपुर कोर्ट ने 21 मई को एक फैसला सुनाया। इसमें रेप के दोषी दो सगे भाइयों को 30 साल बाद सजा सुनाई गई। बेटे ने मां के साथ मिलकर दोनों रेपिस्टों को सजा दिलाई। 1994 में 13 साल की लड़की से उसके घर में ही रेप हुआ। दो सगे भाई लड़की को धमकाकर बार-बार उसके साथ गंदा काम करते रहे। वह प्रेग्नेंट हो गई। 1995 में लड़की ने एक बेटे को जन्म दिया। उसी बेटे ने बड़े होकर मां से आपबीती पूछी और रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई। बेटे ने सबूत के लिए दोषी के साथ अपने DNA का मिलान कराया। जांच में बेटे का DNA आरोपी से मैच कर गया। इसके बाद कोर्ट ने दोनों सगे भाइयों को 10-10 साल जेल की सजा सुनाई। 7 पार्ट में पढ़ेंगे पूरी कहानी महिला की जुबानी… पार्ट-1 मेरा सपना तो पुलिस में जाना था, एक हादसे ने नरक में पहुंचाया पीड़िता बताती है- मैंने बचपन में घर में पापा को पुलिस में देखा, ताऊजी आर्मी में थे। मैं दोनों से बहुत प्रभावित रही। हमेशा उनसे इस बारे में बात करती रहती थी। लेकिन, गांव में रहकर पढ़ाई करना संभव नहीं था। मैं सोचती थी, जिस दिन मौका मिला, तैयारी में लग जाऊंगी। कुछ समय बाद ही मेरी दीदी की शादी तय हुई। जीजाजी शाहजहांपुर में वन विभाग में नौकरी करते थे। मुझे लगा, इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा। मैंने दीदी के साथ शाहजहांपुर जाने की बात घर वालों से कही। मेरी लगन देखकर जीजाजी और दीदी ने घर में सबको राजी कर लिया। जीजा जहां रहते थे, वहीं पास में मेरा स्कूल था। मैं स्कूल जाकर पढ़ाई करती। जीजा ने मुझे आर्मी से जुड़ी किताबें लाकर दी थी। मैं वो भी पढ़ा करती थी। मेरी दीदी भी वहां नौकरी करने लगी। स्कूल से आने के बाद मैं घर पर अकेले रहती थी। दीदी शाम करीब 5 बजे घर आती थी। इसी चीज का फायदा उन लोगों ने उठाया। पार्ट- 2 पहले बड़े भाई ने रेप किया फिर छोटे ने, उसके बाद दोनों समय बदल-बदलकर आते एक दिन मैं घर पर अकेली थी। घर का दरवाजा खुला था, स्कूल से आकर बंद करना भूल गई थी। शायद उन्हें पहले से पता था, मैं किस टाइम घर पर अकेले रहती हूं। पड़ोसी नकी अचानक घर में आ गया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले उसने मेरा मुंह दबा दिया। मुझसे गंदी बात की, धमकाया और फिर रेप किया। जाते समय उसने यह बात किसी को न बताने की धमकी दी। दूसरे दिन उसने अपने भाई गुड्डू को भेज दिया। उसने मुझे बदनाम करने की बात कहकर दरवाजा खुलवाया और अंदर आकर गंदा काम किया। इस घटना के बाद मैंने स्कूल जाना बंद कर दिया। मुझे बहुत बुरा लगता था, अजीब-सी उलझन रहती थी। दीदी पूछती तो बीमार होने का बहाना बना देती। उधर, उन दोनों भाइयों ने अक्सर आना-जाना शुरू कर दिया था। दोनों समय बदल-बदलकर आते थे। उन लोगों ने तब तक आना नहीं छोड़ा, जब तक मैं प्रेग्नेंट नहीं हो गई। पार्ट- 3 प्रेग्नेंट हुई, बच्चा हुआ..गांव लौटी तो लोग गाली देने लगे उन दोनों के गंदे काम से मेरे पेट में बच्चा आ गया। मैं तो तब ये सब कुछ जानती भी नहीं थी। मेरी बड़ी बहन ने मुझे संभाला। उसका ध्यान मेरे बड़े पेट पर गया। मैंने उसको पीरियड्स न होने की बात बताई। इसके बाद वो मुझे डॉक्टर के पास ले गई। मेरे प्रेग्नेंट होने की बात पता चली तो उसने गर्भ गिराने को कहा। लेकिन कम उम्र होने की वजह से डॉक्टर ने मना कर दिया। किसी तरह मैंने बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद अपने गांव हरदोई लौटी। लेकिन, वहां का माहौल अब मेरे लिए बदल गया था। वहां मुझे सब ऐसे देखते, जैसे कोई गुनाह करके आ रही हूं। मैं किसी से बात करती तो गाली मिलती। जो मेरे कभी दोस्त हुआ करते थे, मेरी तरफ देखना पसंद नहीं कर रहे थे। ऊपर से जो बच्चा हुआ, उसको लेकर भी मुझसे झूठ बोला गया। पार्ट- 4 जीजा ने मुझसे झूठ बोला, कहा- बच्चे को ट्रेन में रख दिया दीदी-जीजा ने पहले तो मेरे बच्चे को मरा बता दिया। जब मैंने अस्पताल से पूछा, तो पता चला ऐसा कुछ नहीं हुआ था। फिर मैंने घर वालों से बहुत बोला, बार-बार पूछा। इसके बाद मेरे जीजा ने कहा, उस बच्चे को एक ट्रेन में रख दिया था। अब पता नहीं वो कहां है किस हाल में है? लेकिन मेरा दिल इस बात के लिए राजी नहीं था। मेरी वो हालत नहीं थी, कि मैं बहुत लड़ पाती। वैसे भी घर में कोई मुझे अब पसंद नहीं करता था। मगर, मेरा मन हमेशा उस बच्चे के लिए परेशान रहता। साल 2000 में घरवालों ने मेरी शादी करा दी। साथ ही कसम दी कि कभी अपने पहले बच्चे का जिक्र वहां मत करना। नहीं तो हम सब खुद को आग लगा लेंगे। उस समय मैं 20 साल की थी। पार्ट- 5 शादी हुई, उसके बाद प्रताड़ना मिली और आखिरी में घर छोड़ना पड़ा शादी के बाद मैं ससुराल चली गई। मैं भी एक नई शुरुआत से खुश थी। सोच रही थी, अब जिंदगी अच्छे से जीऊंगी। शादी के बाद मुझे एक बेटा हुआ। उसको लेकर घर में सब बहुत खुश थे। इसी बीच एक दिन मेरे मायके वालों की तरफ से किसी ने मेरा अतीत ससुराल वालों को बता दिया। उसके बाद से मेरी जिंदगी नरक हो गई। मेरा पति मुझसे बात नहीं करता, यहां तक कि अपने बेटे को देखता तक नहीं था। मैं अगर किचन में चली जाऊं, तो पूरा किचन धुला जाता था। मेरे हाथ का छुआ पानी तक कोई नहीं पीता। जमीन पर खिसका कर मुझे खाना देते थे, ताकि मैं मरूं नहीं। परेशान होकर मैंने अपना ससुराल छोड़ दिया। बेटे के साथ घर से निकल गई। एक बार भी किसी ने मुझे रोका तक नहीं। मैं वहां से लखनऊ आई और गुजारे के लिए एक सिलाई की दुकान पर काम करने लगी। पार्ट- 6 साल 2009 में मैंने अपने बड़े बेटे को पहली बार देखा, मेरी तरह वो भी बहुत कुछ झेल चुका था मैं लखनऊ में एक टीन-शेड वाले घर में रह रही थी। तारीख तो नहीं याद है, लेकिन एक 14 साल का लड़का अचानक मेरे घर आ गया। उसने मुझे जो बताया, वो सुनकर यकीन नहीं कर पा रही थी। उसने बताया, वो मेरा बेटा है। बहुत मुश्किल से उसने मुझे ढूंढा है। वो हरदोई के एक बहुत पिछड़े गांव में रहता था। वहां वो जिस घर में रहता था, वो लोग उसको अपना नहीं मानते थे। हमेशा घर से निकलने के लिए बोलते थे। मैं उनको मम्मी-पापा बुलाता, तो वो चिढ़ जाते थे। सब मुझे नाजायज-नाजायज बोलते थे। गाली देते थे, भगा देते थे। तभी मैंने अपने मां-बाप को ढूंढने की ठानी और आपके पास आ गया। एक रिश्तेदार ने इस काम में मेरी मदद की। बेटे के मुंह से ये बात सुनकर मैंने उसको अपना लिया। उसको गले लगा लिया। तभी उसने रोते हुए मुझसे पूछा मम्मी…पापा कहां है? पार्ट- 7 बेटे को सच पता चला और फिर हम दोनों ने न्याय की लड़ाई लड़ी बेटे की इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने उसकी बात को टाल दिया। लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होने लगा, अपने पिता से मिलने की जिद करने लगा। मैं बेटे को कभी सच नहीं बताना चाहती थी। लेकिन, एक दिन उसकी जिद के आगे मैं हार गई और सब सच बता दिया। उस दिन मेरे बेटे ने मुझे इंसाफ दिलाने की ठान ली। वो तब तक इस केस में कोशिश करता रहा, जब तक जीत नहीं गया। उसने सारी जानकारी गांव का नाम, सब पता किया। सारे सबूत जमा किए। फिर पुलिस के पास पहुंचा, लेकिन पुलिस केस नहीं दर्ज कर रही थी। इस पर वो कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज हुई। उसके पास सबसे बड़ा सबूत DNA टेस्ट था। उसी के जरिए दोनों आरोपियों को सजा मिल पाई। बेटे ने मुझसे कहा- अब हम आरोपियों को जेल पहुंचाएंगे
महिला बताती है- मेरे बेटे ने मेरा साथ दिया, क्योंकि वो वही दर्द झेला था जो मैंने सहा था। उसने मुझसे यही कहा, मां हम दोनों बहुत रो लिए, अब हम दोषियों को जेल पहुंचाएंगे। उसकी हिम्मत से मैं केस करवा पाई और फिर से उन चीजों पर बात कर पाई, जिन्हें कभी सोचना भी नहीं चाहती थी। मगर, लड़ाई मेरे लिए आसान नहीं थी। कोर्ट के सवाल मुझे फिर से 30 साल पीछे ले गए थे। दूसरे पक्ष के वकील कोर्ट में उल्टे-सीधे सवाल करते
दूसरे पक्ष के वकील कोर्ट में बेटे के सामने मुझसे उल्टे-सीधे सवाल करते। जबकि मैं सारे सवालों के जवाब पहले ही लिख चुकी थी। वो लोग मुझसे ऐसे बात करते, जैसे मैंने कोई गुनाह किया हो। फिर भी उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ, कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया। अभी लखनऊ में रह रहा है पूरा परिवार
आज हम लोग लखनऊ में पक्के घर में रह रहे हैं। मेरे बड़े बेटे की शादी हो चुकी है। उसका एक डेढ़ साल का बच्चा भी है। बड़ा बेटा एक नेता की गाड़ी चलाता है। छोटा बेटा पुलिस की नौकरी की तैयारी कर रहा है। जो सपना मैंने देखा था, वो अब मेरा छोटा बेटा पूरा करेगा। मेरी बहू BA की पढ़ाई कर रही है। यह खबर भी पढ़ें रेप से जन्मे बेटे ने दोषी पिता को दिलाई सजा:शाहजहांपुर में दो सगे भाइयों को 10 साल कैद; 12 साल की लड़की से की थी दरिंदगी शाहजहांपुर में बेटे ने मां के रेपिस्टों को 30 साल बाद सजा दिलाई है। 12 साल की नाबालिग के साथ दो सगे भाइयों ने दुष्कर्म किया था। रेप के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी। पीड़िता से जन्मे बेटे को एक रिश्तेदार को सौंप दिया गया। बड़े होकर बेटे ने मां की तलाश की और उसे इंसाफ दिलाया। यहां पढ़ें पूरी खबर

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