आज ही 5 यूनिट ब्लड निकलवाया था। कोई राजी नहीं है खून का एक कतरा देने के लिए। पैसे से ऊपर कुछ भी नहीं है…। लखनऊ के एसजीपीजीआई में खून का सौदा करने वाले शुभम ने यह दावा किया। अस्पताल से लेकर ब्लड बैंक तक दलालों का नेटवर्क फैला है। अगर आप जरूरतमंद हैं और डोनर नहीं है, तो इसका फायदा दलाल उठाते हैं। इसके लिए आपको 4500 से लेकर 8000 रुपए देने पड़ेंगे। अगर आप इनसे खून नहीं लेंगे, तो ये दलाल FIR दर्ज करवाने की धमकी देते हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने 6500 रुपए देकर एक दलाल से खून भी खरीदा। भास्कर स्टिंग में पढ़िए दलालों का ब्लड बैंक से लेकर अस्पताल तक का नेक्सेस, किन अस्पतालों में चल रहा है रैकेट… सबसे पहले राममनोहर लोहिया अस्पताल की बात…
हम सबसे पहले लखनऊ के राममनोहर लोहिया अस्पताल खून लेने पहुंचे। हम ब्लड बैंक की तरफ जा रहे थे, तभी एक दलाल सलमान से हमारी मुलाकात हुई। सलमान का कहना है, अभी हम 22000 में प्लाज्मा निकलवा रहे हैं। अगर आपको खून चाहिए तो 8 हजार रुपए लगेंगे। आप जहां बताएंगे, आपको खून मिल जाएगा। खून के दलाल सलमान से हुई बातचीत के अंश… रिपोर्टर: B-पॉजिटिव खून चाहिए, डोनर और डॉक्टर का डिमांड लेटर मेरे पास नहीं है। दलाल: 8000 रुपए लगेंगे, डोनर मेरे पास है। पर्चा हम बनवा लेंगे। तुम्हें केवल पैसे देने हैं। रिपोर्टर: हमने 600 रुपए ऑनलाइन पेमेंट कर दिया है। बाकी के पैसे जब खून दोगे तो मिल जाएंगे। दलाल: हम ऐसा काम नहीं करते। अगर आपके पास कैश है तो लेखराज मार्केट लेकर आना पड़ेगा, वहीं पर लड़का (ब्लड डोनर) होगा। उसको पेमेंट देना होगा। आप डॉक्टर का पर्चा बनवाने के लिए पेशेंट का आधार कार्ड भेज दीजिए। ये कहने के बाद दलाल खून लेने निकल गया, फिर हमारी बात वॉट्सऐप के जरिए हुई। दलाल: हम ब्लड डोनेट करवा रहे हैं। रिपोर्टर: एड्रेस भेज दीजिए, कहां मिलना है।
दलाल: गोयल ब्लड बैंक, लेखराज मार्केट। 600 आपने दे दिए थे, बाकी के 7400 की व्यवस्था करिए। रिपोर्टर: सलमान भाई, डॉक्टर साहब ने बताया है कि तबीयत में सुधार हो रहा है। ब्लड की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपने जो मेरी सहायता की, उसके लिए धन्यवाद। आप इसको (ब्लड) कहीं और लगा दीजिए।
दलाल: क्यों दिमाग की हटा रहे हो.. जो लड़का डोनेट किया है उसका क्या? हम फीस कहां से दें? हम आपके आधार कार्ड पर रिकार्डिंग समेत FIR कर देंगे, अगर मेरा नुकसान हुआ तो। रिपोर्टर: भाई फीस का पर्चा भेज दीजिए तो मैं आपको रुपए ट्रांसफर कर दूं।
दलाल: ठीक है जाने दो ऊपर। जब फीस देंगे, तभी तो पर्चा बनेगा। जाने दो ब्लड बैंक, 10 मिनट रुको। इसके बाद हमारे पास गोयल ब्लड बैंक का ‘ब्लड कंपोनेंट रिक्वीजिशन फॉर्म’ भरा हुआ भेज दिया जाता है। जिसमें पेशेंट नेम में मो. फैसल (28) निवासी कैसरबाग, वार्ड नंबर- 25 के बेड नंबर- 4 पर एडमिट है। अस्पताल की डिटेल में फातिमा नाम दर्ज किया गया है, जिसमें मोबाइल नंबर 9208139995 दर्ज है। तीन अस्पतालों में दलाल आए सामने, तीनों के अलग-अलग रेट अब दलाल सलमान से बात किए हुए कुछ दिन बीत चुके थे। फिर हमने सलमान को एक दोस्त की पत्नी को इलाज में खून (B+) की जरूरत बताकर फोन किया। उसने बताया भाई 6000 रुपए लगेंगे। हमने फिर अपने पास डॉक्टर का पर्चा न होने की बात कही। इस पर दलाल ने पर्चा (डिमांड) लेटर बनवाने के लिए 500 रुपए का अतिरिक्त खर्च बताया। अब बिना ब्लड सैंपल, बगैर डॉक्टर के पर्चा और बगैर डिमांड लेटर के हमें खून मिलना था। अब आपको बताते हैं भास्कर रिपोर्टर को कैसे मिला खून, प्राइवेट हॉस्पिटल की मिलीभगत आई सामने अब खून खरीदने के लिए बातचीत का दौर खत्म हो चुका था। हम खून खरीदने के लिए आगे बढ़ चुके थे। सलमान ने हमसे 2000 रुपए एडवांस की डिमांड की। हमने उसे ऑनलाइन 1500 रुपए ट्रांसफर कर दिए। अब उसने हमें लखनऊ के लेखराज मार्केट मेट्रो स्टेशन के पास बुलाया। वहां मुझे सलमान, उसके साथ दो और दलाल मिले। एक दलाल का नाम राहुल उर्फ पंकज और दूसरे का नाम रवि था। सलमान ने रवि की UPI पर 4500 रुपए ट्रांसफर करवा दिए। अब दूसरा और तीसरा दलाल राहुल उर्फ पंकज और रवि खाली हाथ गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक जा चुके थे। हम सलमान के साथ अस्पताल के बाहर खड़े थे। मैंने सलमान से अस्पताल के अंदर जाने की इच्छा जताई। इसके बाद हम दोनों अस्पताल में दाखिल हो गए। वहीं हमसे दलाल सलमान ने डील की बची हुई राशि 500 रुपए अपने UPI पर ट्रांसफर करवा लिए। 30 मिनट बाद… हम फिर अस्पताल के पास खड़े थे। अचानक रवि और राहुल अपने हाथ में लाल रंग का एक झोला लेकर आ गए। राहुल ने मेरे हाथ में झोला थमाया और फिर हमारी बातचीत हुई। खून देने वाले दलाल राहुल उर्फ पंकज से बातचीत के अंश… रिपोर्टर: क्या है इस झोले में?
दलाल (राहुल): और क्या होगा इसमें, खून है, जो मंगवाया था। रिपोर्टर: इतनी जल्दी कैसे ले आए, ये खराब तो नहीं हो जाएगा?
दलाल (राहुल): हम लोगों को समय नहीं लगता। कभी भी कोई और जरूरत पड़े, तो बताना। खराब नहीं होगा, बताओ कहां तक जाना है तुम्हें, हम छोड़ देंगे। रिपोर्टर: ये कौन सा ग्रुप है? सलमान का नंबर है तो मेरे पास, मैं उससे संपर्क कर लूंगा।
दलाल (राहुल): ये B+ है, जो आपने बताया था। अरे उसका काम केवल ग्राहक लाने का है। उपलब्ध तो मैं ही करवाता हूं। आप मेरा नंबर ले लीजिए, कभी कोई और जरूरत पड़े तो बताना। रिपोर्टर: ठीक है, बिल्कुल बताएंगे। ब्लड की नहीं हो सकी वापसी, RMLH का नाम आया सामने
अब हम ब्लड खरीद चुके थे। हमारे हाथ में मात्र दो चीजें थीं। एक ब्लड की थैली और दूसरा पर्चा। पर्चे पर गोयल हॉस्पिटल ब्लड बैंक एंड कम्पोनेंट सेंटर, गोयल प्लाजा फैजाबाद रोड, लखनऊ लिखा था। जिसका लाइसेंस नंबर UP/BB.P/2017/07 दर्ज है। इस ब्लड बैक की तरफ से दी गई रसीद पर सीरियल नंबर- 5558 और डिमांड हॉस्पिटल नेम में डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल का नाम दर्ज किया गया है। मरीज के नाम में DTS, नंबर में 5558, दिनांक में 27/7/2024, मरीज का नाम रंजना उम्र 23 वर्ष और जेंडर- फीमेल दर्ज किया गया था। वह FSW वार्ड के बेड नंबर 14 पर एडमिट दिखाई गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये लोग लखनऊ के प्रतिष्ठित अस्पताल के नाम से फर्जी पर्चा बना देते हैं। अब दलाल राहुल से हमारी बात फोन के जरिए शुरू हो गई, जिसमें उसने आसपास के जिलों में खून भेजने की बात कही… एडवांस में डोनेट करवा कर रखवाते हैं ब्लड, जितना चाहिए उतना मिल जाएगा
गोयल ब्लड बैंक में मिले दलाल राहुल ने हमें बताया शहर के हर अस्पताल में हमारी सप्लाई है। जरूरत पड़ने पर हम बाराबंकी, बस्ती, अयोध्या, गोरखपुर, गोंडा, बहराइच, उन्नाव और कानपुर तक पहुंचा देते हैं। बस हमें आधा पैसा एडवांस चाहिए होता है। रिपोर्टर: मेरे दोस्त का एक अस्पताल है, उनको 10-20 यूनिट ब्लड की जरूरत हर रोज पड़ती रहती है। राहुल (दलाल): भाई, जितना चाहिए उतना मिल जाएगा। 5000 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से मिलेगा। बाहर भेजने से पहले हमें आधा पैसा एडवांस में चाहिए होता है। रिपोर्टर: वह पर्चा नहीं दे पाएगा। राहुल : कोई दिक्कत नहीं है। बस एक बार ब्लड खरीदने के बाद वापस नहीं होगा। रिपोर्टर: पहुंचवाते कैसे हो? राहुल(दलाल): रोडवेज बस पर रखवा देते हैं और एक सवारी के पैसे कंडक्टर को दे देते हैं। रिपोर्टर: ब्लड खराब हो गया तो…? राहुल (दलाल): उसकी पैकिंग दूसरी तरीके से होती है। एक बॉक्स में बर्फ लगा कर भेजा जाता है। बस एक शर्त रहती है, ब्लड वापस नहीं होता है। रिपोर्टर: इतने बड़े स्तर पर ब्लड कैसे मिल जाता है? राहुल (दलाल): हमारे पास लड़के रहते हैं। हम लोग एडवांस में लड़कों का ब्लड डोनेट करवा कर रखते हैं, जिससे जरूरत पर तुरंत मिल जाता है। रिपोर्टर: इतने लड़के कहां से आते हैं? राहुल (दलाल): भाई, सभी लड़के टच में रहते हैं। रिपोर्टर: इतने लोग मिलते कैसे हैं? राहुल (दलाल): कुछ छात्र, कुछ जरूरतमंद लोग होते है, जिन्हें पैसे चाहिए होते हैं। 2000 से 2500 रुपए तक एक डोनर को देने होते हैं। 1500 रुपए फीस लग जाती है। एक केस में 500 से 1000 मुझे बच जाते हैं। अब हम KGMC में पड़ताल करने के लिए पहुंचे
इसके बाद हम अपनी दूसरी पड़ताल में KGMU (किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) पहुंचे। वहां से पता चला कि ब्लड बैंक फेस-2 की शताब्दी बिल्डिंग में है। वहां पार्किंग में मौजूद केयरटेकर ने बताया, गार्ड से बात कर लीजिए। गेट पर तैनात गार्ड ने मुझे एक दलाल का फोन नंबर दिया और फोन पर बात की। दलाल ने अस्पताल के पास एक दरगाह में बुलाया। हम दरगाह पहुंच गए, यहां पर मेरी मुलाकात खून के दलाल आसिफ से हुई। पढ़िए दलाल आसिफ से क्या बातचीत हुई… रिपोर्टर: हमको बी पॉजिटिव ब्लड चाहिए, डॉक्टर का पर्चा नहीं है।
दलाल: 6500 रुपए लगेंगे, जिसमें हम डोनेट करवा कर एक्सचेंज करके देंगे। डॉक्टर का पर्चा बनवाने के 500 रुपए अलग लगेंगे। हमें जल्दी से बता देना, हम व्यवस्था करवा देंगे। बाद में हमारी बातचीत फोन से हुई… दलाल: हम गोयल से डिमांड लेटर बनवा ले रहे, उन्हीं का ब्लड बैंक है। यहीं निशातगंज के आगे लेखराज पर। हमने डोनर की व्यवस्था कर ली है। आप आ जाइए। रिपोर्टर: आप डिमांड लेटर की फोटो भेज दीजिए, देखें तो कैसा बनता है? दलाल: फोटो नहीं भेज सकते, जब उनके यहां मरीज भर्ती नहीं है। उनके अस्पताल का नाम बदनाम होता है। हम लोग उनके काम आते हैं और वो हमारे। हमने ब्लड निकलवा लिया है। आप आ जाइए, नीचे बैठे हुए हैं। रिपोर्टर: हम आ रहे हैं, रास्ते में हैं। दलाल: आप जल्दी से आ जाइए, हम लोग यहीं बैठे हैं। हम लोगों की सेटिंग होती है। (इसके बाद हमने इस दलाल से खून नहीं खरीदा।) SGPGI में भी खून के दलाल, बोला- मेरे अलावा यहां कोई नहीं दिलवा पाएगा
इसके बाद हम तीसरी पड़ताल में SGPGI में पहुंचे। यहां पर डोनर और ब्लड बैंक अलग-अलग बने हैं। हम खून ढूंढते-ढूंढते अस्पताल में खून निकलवाने वाली जगह तक पहुंच गए। जहां पर मुलाकात शुभम से हुई। शुभम (खून का दलाल) अपने ग्रुप में 6 लड़कों के साथ खड़ा था। इनमें तीन लड़के ब्लड डोनेट करके आए थे। ये सभी लड़के वहां से निकलने वाले ही थे कि हमने शुभम को रोक लिया। हमारी बातचीत शुरू हो गई। SGPGI के दलाल शुभम से बातचीत के अंश… रिपोर्टर: हमको खून चाहिए, कैसे मिलेगा।
दलाल: मिल जाएगा… एक यूनिट का 3500 रुपए लगेगा, दो का 7000 लगेगा। आपको चाहिए तो नंबर ले लेजिए। मेरे अलावा यहां कोई नहीं दे पाएगा। रिपोर्टर: पेशेंट कमता चौराहे पर एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती है। वहां पहुंच जाएगा।
दलाल: पहुंच जाएगा, कोई दिक्कत नहीं है, जितना चाहिए मिल जाएगा। मेरा नंबर ले लीजिए। खून किसके लिए चाहिए। रिपोर्टर: सिजेरियन डिलीवरी केस है। उसके लिए खून चाहिए।
दलाल: कोई दिक्कत नहीं। हम टैक्सी से लड़के को भेज देंगे। आप निश्चिंत रहिए। इसके बाद हमारी बातचीत फोन से शुरू हो गई। इसी बातचीत में इस सिंडिकेट के दूसरे मेंबर आलोक यादव से बात हुई… दलाल: हेलो, मैं आलोक बात कर रहा हूं, शुभम मेरे साथ ही है। रिपोर्टर: दिन में तो मेरी बात शुभम से हुई थी, आप शुभम से मेरी बात कराइए। एक यूनिट खून के लिए बात हुई थी, मिल जाएगा?
दलाल: एक यूनिट का 5000 लगेगा, जिसका 40% एडवांस में देना होगा। रिपोर्टर: मेरे पास एडवांस नहीं है। कैश पड़ा है।
दलाल: 40% तो आपको करवाना पड़ेगा, ब्लड कल सुबह मिल पाएगा। अब तो ब्लड बैंक भी बंद हो गया होगा। रिपोर्टर: अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।
दलाल: भइया लड़कों को खाने-पीने के लिए देने होते हैं। अभी आप एडवांस करवा दीजिए। रिपोर्टर: मेरे पास अभी 150 रुपए हैं, मैं भेज दे रहा हूं।
दलाल: ठीक है आप भेज दीजिए, इनको एक क्वार्टर (शराब) दिलवा देंगे। जिसके बाद में मैंने 150 रुपए दलाल के भेजे गए QR कोड पर ट्रांसफर कर दिए। रात 10 बजे मेरी मुलाकात लखनऊ के अवध बस स्टैंड पर आलोक यादव और शुभम से हुई। रिपोर्टर: आप यहां आए तो मेरी आपसे मिलने की इच्छा हुई, इसलिए चला आया। शुभम (दलाल): भाई, आजकल के लड़कों के बहुत शौक हैं। सभी स्टूडेंट रहते हैं हमारे ग्रुप में। आज ही 5 यूनिट ब्लड निकलवाया है। रिपोर्टर: भाई, आपका काम भी बहुत रिस्की है। कैसे अपनी इतनी लंबी टीम को मैनेज करते हैं? शुभम : उनको पैसों की जरूरत होती है और हम उनको बुलवा लेते हैं। रिपोर्टर: आप लखनऊ में कहां रहते है? आलोक जी क्या किसी कॉलेज के स्टूडेंट है? शुभम : नहीं, वो बाराबंकी से आते हैं। उनका प्रॉपर्टी डीलिंग का काम है। इनकी मौसी को खून चाहिए था, हम लोगों ने 5 यूनिट दिया। अपनी जेब से 10 हजार दिया है। लड़के बचे नहीं थे। एक महीने में एक बार ही ब्लड डोनेट किया जा सकता है। रिपोर्टर: ये लोग यह सब क्यों करते हैं? शुभम (दलाल): पैसों के लिए, पैसों से बड़ा कुछ नहीं है। हम पैसों के लिए किसी की जान ले सकते है और बचा भी सकते हैं। ठीक है भइया, निकलता हूं। (यह कहने के बाद दलाल शुभम अपनी स्कूटी से निकल गया और आलोक बाराबंकी के लिए निकल गया) खरीदे गए खून को किसी ब्लड बैंक ने नहीं लिया
अब हमारे हाथ में ब्लड था, जिसकी मुझे कोई जरूरत नहीं थी। अब हम RMLH ब्लड बैंक में खून रखने के लिए पहुंच चुके थे। ये सोचते हुए शायद किसी जरूरतमंद के काम आ जाएगा। लेकिन, ब्लड बैंक ने ब्लड रखने से मना कर दिया। इसके पीछे एक ही तर्क था, हम बाहर या अपने यहां का दिया हुआ ब्लड दोबारा नहीं रख सकते। ब्लड बैंक में मौजूद स्टाफ ने ब्लड को पीले डस्टबिन में डंप करने के लिए बोल दिया। जिसके बाद हमने 6500 रुपए के खरीदे हुए ब्लड को पीले डस्टबिन में डंप कर दिया। जानिए सरकारी अस्पतालों में ब्लड कितने में मिलता है…
सरकारी अस्पतालों में पहले मरीजों से 400 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से प्रोसेसिंग शुल्क लिया जाता था। लेकिन, अब सरकारी ब्लड बैंकों को यह धनराशि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से दी जाती है। यानी ब्लड पूरी तरह से फ्री मिलता है। सिर्फ डोनर साथ होना चाहिए। नर्सिंग होम और चैरिटेबल अस्पतालों में भर्ती मरीजों से पहले की तरह प्रति यूनिट 1,050 रुपए प्रोसेसिंग शुल्क लिया जाता है। (पार्ट- 2 में कल पढ़िए- लखनऊ में खून के दलाल, अस्पताल और प्राइवेट ब्लड बैंक की मिलीभगत से ये सिंडिकेट चल रहा)