उत्तर प्रदेश में घटते वोटिंग परसेंटेज को लेकर भाजपा की टेशन बढ़ गई है। यूपी में अब तक दो चरणों में लोकसभा की 16 सीटों पर मतदान हो चुके हैं लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस लोकसभा चुनाव में लगभग 5 % की वोटिंग में कमी आई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी के पहले और दूसरे चरण की 16 लोकसभा सीटों मे से 6 लोकसभा सीटों (मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, नगीना) पर हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फिर वोटिंग परसेंटेज कम होने के कारण बीजेपी को कई सीटों पर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अभी यूपी की 64 लोकसभा सीटों पर मतदान बाकी है। ऐसे में बीजेपी के सभी बड़े नेताओं और स्टार प्रचारकों का फोकस अपने भाषण के दौरान सिर्फ राम मंदिर, हिंदुत्व और 370 जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द है। अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से चलाए जा रहे अभियानों की गति हुई धीमी हुई है। ऐसे में अब अल्पसंख्यक मोर्चा के द्वारा चलाए जा रहे अभियानों को मुस्लिम मतदाताओं के बीच जस्टिफाई करना भारी पड़ रहा है। आइए अब आपको मुस्लिम मोर्चा के द्वारा पूरे प्रदेश में चलाए जा रहे तीन बड़े अभियानों के बारे में बताते हैं….. अप्रैल 2023 में हुई मोदी मित्र अभियान की शुरुआत
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से पिछले साल अप्रैल महीने में मोदी मित्र अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के तहत प्रत्येक क्षेत्र से 5 हजार मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों को जोड़ने का काम किया गया। साथ ही केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कामों से भी उनको जागरूक किया गया। जनवरी महीने में ‘शुक्रिया मोदी भाई जान’ अभियान
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से इसी साल जनवरी महीने से शुक्रिया मोदी भाई जान अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में जाते है और मोदी सरकार द्वारा किए गए कामों के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं। यूपी में हुए दो पेज के चुनाव तक तो यह सभी अभियान ठीक से चले लेकिन अब पार्टी के बदलते एजेंडे ने इन अभियानों के संयोजकों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। मार्च से चलाया जा रहा ‘मोदी हमारा भाई है’ अभियान
बीते मार्च महीने से अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से प्रदेश भर में “ना दूरी है ना खाई है मोदी हमारा भाई है”, नाम से अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में उर्दू में लिखें पंपलेट और पोस्टर लगाए जा रहे थे। बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने इस बार उत्तर प्रदेश की 20% मुस्लिम आबादी को बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रेरित करने में जुटी हुई थी ऐसे में दो फेस के चुनाव बीतने के बाद बीजेपी के बदलते एजेंडे ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ रही भाजपा
लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के मतदान समाप्त हो चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अपने रैलियों में लगातार राम मंदिर और धारा 370 हटाने की बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मुद्दे को उठा रहे हैं। भाजपा पूर्व पीएम के बयानों पर कांग्रेस को घेरने में जुटी
भाजपा लगातार 18 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधती नजर आ रही है। उसे समय के प्रधानमंत्री के द्वारा दिए गए बयान की देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसको लेकर पार्टी के सभी बड़े नेताओ ने प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। और कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए सांकेतिक तौर पर बीजेपी ने यह आश्वस्त भी किया कि बीजेपी हिंदुओं की पार्टी है। भाजपा नेता बोले- अल्पसंख्यक मोर्चा के अभियानों की गति हुई धीमी
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के द्वारा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में चलाई जाने वाले अभियानों की गति अब धीमी पड़ गई है। बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि मुस्लिम समुदाय के सामने हम किस तरीके से मोदी सरकार के एजेंडे को लेकर जाएं क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी तक हिंदुत्व को लेकर प्रमुखता से बयान दिया जा रहा है जिससे कि मुस्लिम कम्युनिटी को भी अब या लगने लगा है कि यह पार्टी बहुसंख्यकों की है। ऐसे में हमारे द्वारा चलाई जाने वाले अभियान पूरी तरीके से धरातल पर नहीं उतर पा रहे। हालांकि हम तीन तलाक जैसे मुद्दे को लेकर जरूर उनके बीच में जा रहे हैं लेकिन उसका भी रिस्पांस कुछ नहीं है। विपक्षी दलों के नीतियों के कारण पसमांदा मुसलमानों का वोट भाजपा को मिल सकता है
वरिष्ठ पत्रकार रतीभान त्रिपाठी के अनुसार भाजपा ‘सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास’ की बात जरूर करती है लेकिन यह हिंदुओं की पार्टी है। ये बात भाजपा की अल्पसंख्यक मोर्चे को अच्छे से मालूम है। ऐसे में अल्पसंख्यक मोर्चा के सामने निश्चित तौर पर चुनौती है कि अपने अभियानों को धरातल पर उतार सके। लेकिन विपक्षी दलों की अगर बात करें तो वह पसमांदा मुसलमान के साथ ही फॉरवर्ड क्लास मुसलमान को भी एक ही तराजू में तौलते हैं। इस वजह से हो सकता है कि पसमांदा मुसलमान भाजपा की तरफ पोलराइज हो सके।