कैराना से जीतीं इकरा हसन यूपी से इकलौती मुस्लिम महिला सांसद हैं। लंदन से पढ़कर आईं इकरा पहली बार में ही सांसद बन गईं। उन्होंने भाजपा सांसद प्रदीप गुर्जर को 69116 वोटों से हराया। इकरा ने जीत के बाद पहली बार दैनिक भास्कर से बातचीत की। कहा- यूपी की जनता ने पूरे देश की नब्ज को पकड़ा। भाजपा की कुरीतियों और कुशासन को समझते हुए भाजपा को जवाब दिया। स्मृति की हार पर इकरा ने कहा- वह अपनी खोदी हुई खाई में खुद ही गिर गईं। उन्होंने कभी भी महिलाओं के उत्थान की बात नहीं की, बल्कि देश की महिला खिलाड़ियों के साथ बुरा बर्ताव किया। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। पढ़िए इकरा हसन का पूरा इंटरव्यू… सवाल- आप लंदन से भाई को छुड़ाने के लिए इंडिया आईं और सियासतदान बन गईं। इस सफर को कैसे देखती हैं?
जवाब- बहुत चैलेंजेज थे। हमने बहुत उतार-चढ़ाव देखे। 2021 में छुट्‌टी पर इंडिया वापस आई थी। मेरी मां और भाई पर झूठे मुकदमे भाजपा सरकार ने लगाए। उनको घर से बाहर कर दिया गया। ऐसे हालातों में मेरा आना हुआ। हमें लगातार परेशान किया गया। मेरे भाई को जेल भेजा गया। ‌‌‌वह जेल से चुनाव जीते। हमारे यहां की कानूनी प्रक्रियाएं इतनी लंबी हैं कि उनको जेल से निकालने में 1 साल लग गए। उस दौरान हमने बहुत संघर्ष किया। बहुत कुछ झेला। राजनीति में मेरी दिलचस्पी हमेशा से थी, लेकिन इन हालातों के बाद मैंने राजनीति को करीब से देखा और समझा। फिर मेरी रुचि और बढ़ गई। इसके बाद पार्टी ने मौका दिया। हम जैसे युवा जो देश के सुधार की बात करते हैं, तो हमारा फर्ज बनता है कि हम भी जिम्मेदारी लें। सवाल- 3 बार BJP के पाले में रहने वाली इस सीट पर आपने सेंध लगाई, राह कितनी कठिन थी?
जवाब- ये एक लंबा सफर था। बहुत सारे चैलेंज थे, क्योंकि 2 साल से मैं फील्ड में थी। हमारा एक मजबूत गठबंधन था, जो चुनाव से पहले टूट गया। हमें एक झटका महसूस हुआ। इसके बाद हमने दोबारा हिम्मत करके लोगों से संपर्क करना चाहा। हमने देखा भाजपा का काफी विरोध है। तो कहीं न कहीं हमारे लिए चुनाव की राह भाजपा ने ही आसान की। 36 बिरादरी का हमें साथ मिला। सवाल- राम मंदिर बनवाने के बाद भी अयोध्या सीट भाजपा हार गई। क्या कहेंगी?
जवाब- जिस सीट के बल पर वो पूरे देश का चुनाव लड़ रहे थे। उस सीट से ही वो जीत नहीं पाए। जनता ने उन्हें वहां सिरे से नकारा है। 400 पार के नारे के पीछे की मंशा भी लोग समझ गए थे। जनता जा गई थी इतनी सीटें लाने के बाद संविधान से छेड़छाड़ करेंगे। यूपी की जनता ने देश की नब्ज को समझा। भाजपा को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई। देश में एक मजबूत विपक्ष बनाने का श्रेय हमारी पार्टी को जाता है। हमारी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। भाजपा ने 10 साल में कुछ किया होता तो वो लोग काम के दम पर वोट मांगते। लेकिन उन्हें हमेशा से वही मुद्दे उठाने हैं, जिनसे देश की जनता का कोई लेना-देना नहीं है। सवाल- अमेठी से स्मृति ईरानी चुनाव हार गईं। क्या कहना चाहेंगी?
जवाब- वह अपनी खोदी हुई खाई में खुद ही गिर गईं। उन्होंने कभी भी महिलाओं के उत्थान की बात नहीं की। प्रज्जवल रेवन्ना जैसे व्यक्तियों को भाजपा ने टिकट दिया। जब बृजभूषण सिंह पर आरोप लगे थे, तब सबने अपेक्षा की थी कि वो खुद महिला हैं। महिलाओं के हक के लिए बोलेंगी। लेकिन उन्होंने बहुत ही बदतमीजी के साथ देश की महिला खिलाड़ियों के साथ बर्ताव किया। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। सवाल- यूपी में इंडी गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया है, इसका क्रेडिट किसको देंगी?
जवाब- सपा ने यूपी में बेहतरीन प्रदर्शन किया। देश में एक मजबूत विपक्ष की बुनियाद रखी है। खासकर हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का योगदान रहा। जिन्होंने PDA का नारा देकर उसे टिकट वितरण में उतारा। अलग-अलग जगहों पर जातीय समीकरणों को समझकर उन्होंने टिकट दिए। इससे संभव हो पाया कि हम इतनी सीटें जीत पाए। सवाल- कैराना को पलायन और हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए जाना जाता है। क्या आप भी इस पोलराइजेशन से जीतीं?
जवाब- मुझे नहीं पता आपको कहां से ये फैक्ट्स मिले हैं, जो पूरी तरह गलत हैं। क्योंकि हमारी सीट का समीकरण ऐसा है कि ध्रुवीकरण करके मैं यहां से नहीं जीत सकती। खासकर मैं जिस विचारधारा से आती हूं, तब तो बिल्कुल नहीं। इस सीट को जीतने का आधार 36 बिरादरियों का साथ है। हमें बहुत बड़ी तादाद में सभी समाज और सभी जातियों का साथ मिला है। अगर हम किसी एक समुदाय के बल पर चुनाव लड़ते तो हम कभी भी यह सीट नहीं निकाल सकते। यह बिल्कुल गलत बात है कि हम ध्रुवीकरण के दम पर चुनाव जीते हैं। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि कैराना में ध्रुवीकरण हमेशा भाजपा ने फैलाने का काम किया है। 2017 में उन्होंने पलायन का मुद्दा उठाया था। जिस पर सेंट्रल एजेंसी, स्टेट एजेंसी, एनएचआरसी और लोकल प्रशासन ने अपनी जांच बैठाई और उसे सिरे से खारिज किया। ये भाजपा का झूठा प्रोपेगेंडा है। झूठा मुद्दा है, जिसे ये उठाते और भुनाते हैं। लेकिन यहां की जनता इसको समझ चुकी है। सवाल- आप क्षेत्र की उम्मीदों को कैसे पूरा करेंगी? रणनीति क्या होगी और फंड कैसे जुटाएंगी?
जवाब- मुझसे पहले डबल इंजन सरकार के सांसद थे। तब भी हमारे क्षेत्र में ऐसी कोई योजना नहीं आई। मैं नहीं मानती कि ये कड़ी है, बल्कि जनता, सत्ता के बीच जनप्रतिनिधि कड़ी होता है। जब जनप्रतिनिधि काम न करे तो ऊपर कितनी बड़ी सरकार हो, उसका लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाता। सवाल- आप महिलाओं के लिए यूथ आइकॉन बनकर उभरी हैं। क्या कहना चाहेंगी?
जवाब- हमारे यहां कोई ऐसा शिक्षण संस्थान नहीं हैं, जहां केवल महिलाएं पढ़ सकें। सबसे पहला प्रयास होगा एक ऐसा शिक्षण संस्थान यहां ला सकूं, जिसमें सिर्फ महिलाएं पढ़ सकें। सवाल- असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं मुस्लिमों की अलग पार्टी होनी चाहिए, क्या ऐसा होना चाहिए?
जवाब- मेरी ऐसी सोच नहीं है, क्योंकि इस राह पर चलकर हमारा देश एक बार देख चुका है। उसके बाद हमें पार्टीशन का सामना करना पड़ा था। दोबारा हम उसी राह पर चलेंगे तो उससे किसी की भी बेहतरी नहीं होगी। एक कम्युनिटी को अलग-थलग कर दिया जाएगा। जो हमारे देश की संस्कृति, विचारधारा नहीं है। कोशिश यह करनी चाहिए कि भाजपा जैसे ध्रुवीकरण फैलाने वाले लोगों को राजनीति से दूर करें, सेक्युलर सोच के लोग जो सभी को साथ बढ़ाएं। जैसा पहले होता था, जिसे भाजपा ने खत्म करने का काम किया। सवाल- भाजपा सरकार मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक बिल लेकर आई, इस पर क्या कहेंगी?
जवाब- भाजपा की जो भी योजना होती है, उसमें वो बेहतरी कम और गड़बड़ ज्यादा चाहते हैं। अगर हम इस बिल को देखें तो ट्रिपल तलाक में महिलाएं अपने लिए सुविधाएं चाहती थीं, जो उन्हें नहीं मिलीं। एक सिविल मामले को क्रिमिनलाइज किया गया। इससे महिलाओं को उनको अपने पति से फाइनेंशियल सपोर्ट मिलना चाहिए, वो नहीं मिला। पतियों को जेल भेजा दिया गया, जबकि ये एक सिविल मामला है। सवाल- आजम समेत कई मुस्लिम नेता जेल में हैं। क्या ये माफियागर्दी का खात्मा है या यूपी सरकार हिट कर रही?
जवाब- कोई भी क्रिमिनल है तो हमारे देश में कोर्ट इसी वजह से है कि उनके क्रिमिनल एक्ट का निस्तारण कर सके। अगर सारी ताकत हम लेजिस्लेचर को देनी है तो ज्यूडीशियरी की कोई अहमियत नहीं रहती है। जो आप इंसिडेंट्स बता रहे हैं, उनसे यही जाहिर हो रहा है कि यह एक तानाशाही चल रही है। कोर्ट की जरूरत नहीं है। हमारे पास एक प्रोसीजर, सिस्टम मौजूद है। हम सभी को उसके अंदर रहकर काम करना चाहिए। लेकिन, इस तरह की वारदातें अगर होती रहेंगी तो फिर जंगलराज आ जाएगा, जो इस सरकार में देखने मिल रहा। सवाल- भाजपा नेता मंचों से मुसलमानों पर एग्रेसिव नजर आते हैं? इस क्या कहेंगी?
जवाब- देखिए वो (भाजपा) दिखाती नहीं, बल्कि इस्तेमाल करना चाहती है।डर की भावना क्रिएट कर एक मेजॉरिटी को एकतरफा करना चाहती है। क्योंकि उनके पास अपना काम दिखाने को नहीं है। अपने मुद्दे नहीं हैं। ऐसे में बहुत आसान हो जाता है 2 समुदायों को आपस में भिड़ा दें, उन्हें उसी में उलझा दें। 10 साल से देश और यूपी में डबल इंजन की सरकार है। इसके बावजूद पीएम मोदी ने कभी काम के मुद्दे को लेकर भाषण नहीं दिए। उन्होंने अपने भाषणों में ऐसी अभद्र टिप्पणी की, जो उनके पद की गरिमा को घटाती है। इससे साफ जाहिर है कि भाजपा के पास काम नहीं है। उनकी राजनीति का स्टाइल हमेशा से एक रहा, उससे हमारी जनता अब ऊब चुकी है। इसलिए कोई नेशनल नैरेटिव इस चुनाव में नहीं चल पाया। लोकल मुद्दे थे, जनता की बेसिक समस्याएं हैं, उनका समाधान भी भाजपा और उनके जनप्रतिनिधि नहीं करा पाए। इस चुनाव में जनता ने एक मैंडेट भाजपा को दिया है, कोई क्लियर मेजॉरिटी भाजपा को नहीं मिली है। कांठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती तो अब हम बदलाव की ओर चले हैं। सवाल- अब आप सांसद हैं, शादी करने का क्या प्लान है?
जवाब- 2-3 साल से में पब्लिक के बीच में हूं। मेरी लाइफ पब्लिक के सामने है। अब कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। आगे जो भी चीजें होंगी, वो सामने आ ही जाएंगी, अभी ऐसा कुछ नहीं है। रही बात पहनावे की तो बहुत सारे नेता लोग एक कंफर्ट को लेकर अटायर को पसंद करते हैं। मेरी भी यही सोच है, इसमें कोई पर्सनल एजेंडा नहीं है। मैं भी यह पसंद करती हूं कि मैं जहां रह रही हूं, तो वहां अपने लोगों में घुल-मिलकर रहूं, उनके जैसी दिखूं तभी वो मुझे अपना पाएंगे। मुझसे रिलेट कर पाएंगे। मुझे अपने मुद्दे बता पाएंगे। मैं भी उनको समझ पाऊंगी। ये हमारी संस्कृति से भी जुड़ा है। यूपी में जीते इन सांसदों के भी पहले इंटरव्यू पढ़िए.. सांसद बनने के बाद अरुण गोविल का पहला इंटरव्यू:जीत के कम मार्जिन पर बोले- कुछ खेल तो हुआ है; पार्टी का आदेश होगा तो मंत्री बनूंगा प्रयागराज से उज्जवल रमण का पहला इंटरव्यू:बोले- भाजपा के कुशासन के खिलाफ लोग ऊब चुके थे, राहुल-अखिलेश की आंधी चली कानपुर से सांसद चुने गए रमेश अवस्थी का पहला इंटरव्यू:बोले-जो जीता, वही सिकंदर, मुझे मंत्री पद की कोई चाहत नहीं

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