हेमंत सोरेन तमाम आरोपों से बरी होकर जेल से बाहर आ गए और फिर से झारखण्ड के मुख्यमंत्री भी बन गए लेकिन अरविंद केजरीवाल अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हुए हैं लेकिन फिर भी जेल से छूट नहीं पा रहे हैं? आप पार्टी के लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि हेमंत सोरेन पर ऐसा क्या प्यार आ रहा है जो केजरीवाल पर नहीं आ पा रहा? उनका कहना है कि अदालतें भी अब सरकार के इशारे पर चल रही हैं और वे केवल आप पार्टी के साथ अन्याय करने पर तुली हुई हैं। लेकिन इसके न तो कोई सबूत हैं और न ही कोई मज़बूत तथ्य या तर्क। आख़िर हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल के मामलों में काफ़ी फ़र्क़ है। केजरीवाल का मामला शराब ठेकों में भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है जबकि हेमंत का मामला कुछ खदानों के पट्टे को लेकर था। दोनों में काफ़ी अंतर है। हाँ, ये सही है कि हेमंत के मामले में तमाम शिकायतें और मामले झूठे साबित हो गए और उन्हें बरी करना पड़ा लेकिन केजरीवाल के मामले में अब तक कोई पुख़्ता सबूत भले ही सामने नहीं आए हों पर उनके निर्दोष होने के भी कोई सबूत अब तक सामने नहीं लाए गए हैं। पहले कहा जाता रहा कि यह सब केवल केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के प्रचार से दूर रखने कि लिए किया जा रहा है लेकिन अब तो लोकसभा चुनाव भी पूर्ण हो चुके हैं। चुनाव परिणाम भी आ चुके हैं। देश में नई सरकार भी बन चुकी है। कम से कम अब तो केजरीवाल को जेल के अंदर रखने का कोई कारण नज़र नहीं आता! फिर भी आप पार्टी वाले केजरीवाल के साथ अन्याय की बात लगातार उठा रहे हैं। यह भी कह रहे हैं कि सरकार के इशारे पर उनके ख़िलाफ़ यह सब हो रहा है। कम से कम अदालतों पर तो इस तरह के सीधे आरोप लगाना ठीक नहीं कहा जा सकता। अगर आप पार्टी को सरकार की नीयत पर कोई शक है या उसकी मंशा में कोई खोट नज़र आती है तो वो पुख़्ता सबूतों के साथ सामने क्यों नहीं आती? केवल टीवी पर बहसों में आरोप- प्रत्यारोप करने से तो कुछ नहीं होने वाला! आख़िर इस देश में न्यायपालिका तो कम से कम किसी के दबाव में नहीं है और यह बात हर कोई मानता भी है। अगर आप निर्दोष हैं तो कोई सरकार, कोई अदालत भला आपका क्या बिगाड़ सकती है?

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