‘PM मोदी, गृहमंत्री या भारत के मुख्य न्यायाधीश उन्हें लिख कर ये गारंटी दे दें कि बांग्लादेश में जो हिंदुओं के साथ हो रहा है। वो 25 साल बाद भारत में हिंदुओं के साथ नहीं होगा।मैं मां गंगा के जल में समाधि ले लूंगा। मुझे जैसे ही यह शपथ पत्र देंगे मैं समाधि ले लूंगा।​​’ ​​​​​ये बात महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने कही। उन्होंने कहा-मेरी बातें झूठी नहीं हैं, तो मेरी बात हेट स्पीच कैसे कह सकते हैं। मुझे हेट स्पीच का अंतर समझाया जाए। यदि नहीं समझा जा सकते, जेल में डाल दें, गोली मार दें, या हत्या कर दें। आखिरी सांस तक सत्य कहते रहेंगे। शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने शुक्रवार को राजनीति और न्यायपालिका को चुनौती दी है। हरिद्वार में गंगा के तट पर यति नरसिंहानंद गिरी अपने शिष्यों और जूना अखाड़े के संतों के साथ हरिद्वार में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के भैरव घाट पर सनातन धर्म की रक्षा व इस्लाम के जिहाद के समूल विनाश के लिए मां बगलामुखी महायज्ञ कर रहे हैं। सच बोलने को हेट स्पीच कहा जा रहा महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी अपने शिष्यों के साथ 19, 20 और 21 दिसंबर को धर्म संसद का भी आयोजन कर रहे हैं। उनकी धर्म संसद का मुख्य विषय इस्लाम के जिहाद से सम्पूर्ण मानवता को बचाने की रणनीति तैयार करना है। उन्होंने कहा-विश्व धर्म संसद को रोकने की हर तरह की कोशिश की जा रही है। अपने विरोधियों की इन कोशिशों से क्षुब्ध होकर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने महायज्ञ स्थल से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राहुल गांधी और न्यायपालिका को चुनौती देते हुए कहा-उन्हें सत्य बोलने से रोका जा रहा है। सच बोलने को हेट स्पीच कहा जा रहा है। उनकी जिन बातों को विवादित बताया जाता है। वो बातें इस्लाम के इतिहास के गहन अध्ययन और वैश्विक जनसंख्या के बिगड़ते हुए अनुपात की गणितीय गणना पर आधारित हैं। इन्हीं आधारों पर ये तय है कि जो हालत आज बांग्लादेश के हिंदुओं की है,वो ही हालत आज से 20 या 25 बाद भारत के हिंदुओं की हो जाएगी। साधु संत भी रहे मौजूद इस अवसर पर उनके साथ महायज्ञ में मुख्य यजमान सहदेव भगत जी और विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी के साथ ही श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के कोठारी श्रीमहंत महाकाल गिरी महाराज, श्रीपरशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, कथावाचक पवन कृष्ण शास्त्री,यति रामस्वरूपानंद, यति सत्यदेवानंद, यति नित्यानंद, यति निर्भयानंद, यति रणसिंहानंद, यति परमात्मानंद, यति अभयानंद के साथ बड़ी संख्या में साधु संत भी साथ में रहे।

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