वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ MP-MLA कोर्ट में दाखिल याचिका पर आज सुनवाई होगी। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर भी आरोप लगाए हैं। मामला मानव संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत कोर्ट के सामने पेश किया गया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास सिंह कोर्ट के समक्ष साक्ष्य पेश करेंगे। इस वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर स्टडी रिपोर्ट भी देंगे। याचिकाकर्ता की ओर से काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को पक्षकार बनाया है। याचिका में कंपनी से जुड़े लोगों को दुष्प्रभाव के लिए जिम्मेदार बताया गया है। एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल इस याचिका को वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय की ACJM कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। जिसकी आज पहली सुनवाई होगी। दाखिल याचिका में कोरोना महामारी के दौरान लगाई गई वैक्सीन से हो रहे साइड इफेक्ट का दावा किया गया है। पहले आपको बताते हैं पूरा मामला… वाराणसी में अधिवक्ता विकास सिंह ने 9 मई 2024 को वकील गोपाल कृष्ण के जरिए कोर्ट में आवेदन दिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 विपक्षियों ने कोरोना महामारी में मनमानी की। सभी ने मिलीभगत करते हुए बिना किसी परीक्षण के कोविड शील्ड दवा बनाई। लोगों को भय दिखाया। कोरोना वैक्सीन जबरन लगवाई गई, इससे कंपनियों ने फायदा कमाया। याचिका में दावा किया गया कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने भाजपा को चंदा दिया। यह दावा भी किया गया कि पक्षकारों ने दवा के साइड इफेक्ट जानते हुए भी जानबूझकर लोगों को मौत के मुंह ढकेल दिया। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पीएम मोदी समेत 28 पक्षकारों को तलब करके दंडित किया जाए। मांग की गई कि दवा के साइड इफेक्ट से पीड़ित लोगों को क्षतिपूर्ति करवाई जाए। विकास सिंह की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (MP-MLA) की कोर्ट ने सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है। अब विकास सिंह सुनवाई पर साक्ष्य देंगे। इसमें मेडिकल रिपोर्ट, अखबार की कटिंग समेत ऐसे सबूत होंगे। जो साबित करते हो कि कोवीशील्ड लगवाने वाले लोगों को बाद में साइड इफेक्ट से परेशानी हुई। अगर कोर्ट संतुष्ट होता है तब पक्षकारों को नोटिस जारी हो सकता है। सीनियर एडवोकेट बोले- वादी की दलील कमजोर हुईं, तो खारिज हो सकती है याचिका बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया,’कोर्ट में जज ने मामले को सुना है। दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया है। यानी सुनने योग्य मान लिया। अब अगली तारीख पर वादी पक्ष को साक्ष्य पेश करने होंगे। गवाहों के बयान होंगे। इसके बाद दो पॉइंट हो सकते हैं। पहला अगर जज संतुष्ट होते हैं, तो तय धाराओं में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर सकते हैं। इसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों के बयान हो सकते हैं। दूसरा जज के सामने वादी की दलील कमजोर साबित हुईं, तो याचिका खारिज हो सकती है। ऐसा नहीं होने पर कोर्ट में केस चलेगा। भारत में 175 करोड़ डोज कोवीशील्ड की लगाई गईं दरअसल, कोविड महामारी के दौरान भारत में 175 करोड़ कोवीशील्ड की डोज लोगों को दी गईं। हाल में ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था। उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है। एस्ट्राजेनेका पर आरोप ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा। ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं। प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

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