बाजार में नकली माल को बेचने से रोक पाने में सरकार की कोई भी योजना काम नहीं आ पा रही है। धड़ले से बाजार में कंपनी का नकली लोगो और बार कोड तैयार कर ब्रांडेट माल बेचे जा रहे हैं। ऐसे में आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किया गया 3डी रैंडम कोड इस पर नकल कसने में काफी कारगर सिद्ध होगा। संस्थान के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में विशेष प्रकार का 3डी रैंडम कोड तैयार किया है। ये कोड एक बार बनने के बाद फिर वैसा ही कोड नहीं तैयार किया जा सकता है। इस कोड को दोबारा से कंपनी खुद भी चाहे तो नहीं तैयार कर सकती है। आधार की तरह इस कोड को किया गया तैयार
मटेरियल साइंस एंड डिपार्टमेंट के प्रो. दीपक ने इस कोड को तैयार किया है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से आधार कार्ड काम करता है वैसे ही ये कोड भी काम करेंगा। आपके फिंगर प्रिंट और आधार कार्ड का नंबर जैसे ही मैच होता है तो बैंक में पता चल जाता है कि ये आदमी सही हैं। ठीक उसी तरह से हम लोगों ने इस कोड को तैयार किया है। अब जैसे कि फिंगर आपकी कुदरती देन है। इसे हम बदल नहीं सकते हैं। इसी तरह जब खेतों से फसल कटती है तो उसमें दरारे पड़ जाती है और फिर पानी डाल दें तो सूखने के बाद फिर से दूसरी तरह की दरारे आ जाती है। ये कुदरती होती है। ठीक इसी प्रकार से इस कोड को बनाने में जिस इंक का प्रयोग किया वो इंक भी ऐसे ही काम करती है, जैसे ही सूखती है तो एक दरार सी उसमें पड़ जाती है। वो जो इंक सूखती है वह कहीं और नहीं जाती है बल्कि इंक के ऊपर ही इंक चढ़ जाती है, जिससे 3डी की तरह वह प्रिंट हो जाता है। अब बताते है कैसे काम करेगा ये कोड
प्रो. दीपक ने बताया कि इंक के सूखने के बाद जो 3डी प्रिंट होता है, उसके साथ ही हम लोग एक नंबर भी जनरेट करते है। उस 3डी कोड को और नंबर को एक साथ मिलाकर उसको अपने डाटा में सेव कर लेते है। इसके बाद एक एप आता है जिसको ‘चेको एप’ कहते है। ये सारा डेटा उसी एप में जाकर इकट्ठा हो जाता है। इसके बाद जब हम उस एप को डाउनलोड करके जैसे ही कोड को स्कैन करेंगे तो उसकी सारी जानकारी सामने आ जाएगी। हम इस 3डी कोड की फोटो कॉपी करके यदि कही और प्रयोग करना भी चाहेंगे तो ये एप उस कोड को देखते ही बता देगा कि ये 3डी नहीं हैं और नकली कोड तुरंत पकड़ा जाएगा। अभी तक क्या होता है अभी क्या होता था कि कोई दुकानदार 100 बोतल पानी की कंपनी की खरीदता था तो 100 बोतल नकली। असली वाले बार कोड की फोटो कॉपी और लोगो लगाकर नकली बोतल में चिपका देता था, जो स्कैन करता था उसे असली वाले की ही जानकारी मिलती था। यदि कभी पकड़ा भी जाता था तो दुकानदार दिखा देता था कि ये 100 बोतल कंपनी से ही खरीदी गई है उसका बिल ये है। ऐसे में दुकानदार पर कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती थी और वह बच निकलता था। लेकिन ये कोड ऐसा है कि इसे कोई बनाता नहीं है बल्कि इंक सूखते ही अपने आप ये खुद एक रूप ले लेता है। आम आदमी हो या दुकानदार, असली नकली की कर सकते पहचान इस कोड के मार्केट में आ जाने से एक फायदा ये हुआ है कि दुकानदार खुद भी चेको एप डाउनलोड करके असली नकली माल की पहचान कर सकता है। यदि वह नहीं करता है तो इसमें पूरी गलती दुकानदार की होती है। साथ ही आम जनता भी जागरूक बनेगी और इस एप के माध्यम से असली नकली माल की पहचान कर लेगी। बस ध्यान रखना है कि बार कोड हल्का से खुदरा टाइप का होना चाहिए, उसे ही 3डी कोड कहेंगे। बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनी कर रही प्रयोग
प्रो. दीपक द्वारा बनाए गए इस कोड को वर्तमान समय में अमेजन, एचपी, इंडियन ऑयल, सांची घी, एमएस मिल्क स्टेशन, रेड चीफ, फिलिप कार्ड, हैवल्स जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां इसका प्रयोग कर रहीं हैं। इसके अलावा विदेश की ऑनलाइन कंपनियां भी इसका प्रयोग करने लगी है।