अयोध्या धाम के भगवदाचार्य स्मारक सदन की रामलीला 30 सितंबर से 14 अक्टूबर तक होने जार ही है।:दो दशक पूर्व बदलती संस्कृति और आयोजन समिति के उत्साह तथा प्रतिबद्धता में कमी के चलते यहां की भी रामलीला भी थम गई थी। किंतु स्थानीय संतों के संकल्प से यह गौरवमई परंपरा पुन: आगे बढ़ रही है। बुधवार को स्मारक सदन की रामलीला का संयोजन करने वाले तुलसीदास रामलीला न्यास की बड़ा भक्तमाल मंदिर में बैठक की गई। राम भक्ति में लीन अयोध्या के आचार्यों ने रामलीला की परंपरा को पूरी निष्ठा से ग्रहण किया मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या के थे और रामलीला की परंपरा का आरंभ करने वाले गोस्वामी तुलसी दास का भी राम नगरी से गहन सरोकार था, किंतु उन्होंने रामलीला के मंचन का प्रारंभिक प्रयोग भोले की नगरी काशी से किया। गोस्वामी तुलसीदास के बाद के आचार्यों के साथ रामलीला की परंपरा जल्दी ही अपने केंद्र अयोध्या की ओर मुड़ गई । राम भक्ति में लीन अयोध्या के आचार्यों ने रामलीला की परंपरा को पूरी निष्ठा से ग्रहण किया। यहां की रामलीला ने रामनगरी की प्रतिष्ठा बन कर सामने आई प्रारंभ में रामलीला गहन साधना से उत्पन्न भाव से होती थी, किंतु बदलते दौर के साथ पेशेवर कलाकारों ने इसे प्रदर्शन गत भव्यता भी प्रदान की। राम नगरी के संतों एवं आम श्रद्धालुओं ने छह दशक पूर्व स्मारक सदन की रामलीला स्थापित की। यहां की रामलीला ने रामनगरी की प्रतिष्ठा बन कर सामने आई । बैठक में न्यास के कोषाध्यक्ष एवं भक्तमाल के महंत अवधेश दास सहित न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष एवं रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजय शरण,न्यास के महामंत्री एवं संकट मोचन सेना के अध्यक्ष महंत संजय दास,उपाध्यक्ष नागा राम लखन दास,निर्वाणी अनी के श्रीमहंत मुरली दास एवं हनुमानगढ़ी के पुजारी हेमंत दास सहित जगद्गुरु रामानुजाचार्य डाक्टर राघवाचार्य उपस्थित रहे। प्रमुख संत-महंत भी लीला में भूमिका का निर्वहन करें संतों की वरिष्ठ मंडली ने विश्वास दिलाया कि स्मारक सदन की रामलीला में अयोध्या की आध्यात्मिक परंपरा के अनुरूप भाव और मर्यादा का समावेश होगा। आयोजकों ने बताया कि गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले अवध आदर्श रामलीला मंडल को लीला की प्रस्तुति के लिए अनुबंधित किया गया है। डाक्टर राघवाचार्य के सुझाव पर यह विचार भी प्रस्तुत किया गया कि रामलीला से जुड़ाव और जीवंतता की दृष्टि से प्रमुख संत-महंत भी लीला में भूमिका का निर्वहन करें। लीला को प्रतिष्ठा और प्रसार प्रदान करने की दृष्टि से इसके जीवंत प्रसारण की भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

By

Subscribe for notification