यूपी के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU में एक बार फिर नायाब सर्जरी हुई है। यहां के क्वीन मेरी अस्पताल स्थित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में बेहद दुर्लभ और जटिल सर्जरी कर 17 साल की किशोरी को नया जीवन दिया है। डॉक्टरों ने बाराबंकी निवासी किशोरी की आंत से यूट्रस यानी गर्भाशय का रास्ता बना दिया। जन्मजात विकार के चलते उसकी वेजाईना और सर्विक्स ठीक से डेवलप नही हो सके थे। जिसके चलते उसे पीरियड नहीं आ रहा था, वो पेट की भीषण दर्द से परेशान थी। बड़ी बात ये है कि सर्जरी के बाद उसकी सेहत में तेजी से सुधार है। उसे पीरियड आने लगे हैं और अब वो मां बन सकेगी। 4 बार करा चुकी थी सर्जरी, पर दर्द से नही मिला था छुटकारा
KGMU की डॉ. सीमा मेहरोत्रा ने बताया कि चार साल पहले किशोरी को पेट में दर्द की शिकायत हुई। उम्र होने के बाद भी पीरियड भी नहीं आ रहे थे। ऐसे में परिवारजन उसे एक निजी अस्पताल लेकर गए। जांच कराई गई तो पता चला कि उसके यूट्रस के मुंह का रास्ता नही बना है। इसकी वजह से पीरियड नहीं आ रहे थे। वहीं, पीरियड का गंदा खून पेट में जमा होकर संक्रमण पैदा कर रहा था, जिससे तेज दर्द हो रहा था। सर्जरी के बाद किशोरी को कुछ दिन तक सामान्य पीरियड हुए। इसके बाद फिर से समस्या शुरू हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि यूट्रस का मुंह सिकुड़ गया है। इसके बाद स्थानीय अस्पताल के डॉक्टरों ने दोबारा सर्जरी की। इसी तरह किशोरी के एक बाद एक 4 सर्जरी की गई पर उसे समस्या से निजात नहीं मिला। फिर डॉक्टरों ने उसे KGMU रेफर कर दिया। डॉक्टरों को पहले काउंसिलिंग भी करनी पड़ी
इसके बाद किशोरी KGMU के क्वीन मेरी अस्पताल पहुंची। डॉ. सीमा मेहरोत्रा कहती हैं कि OPD में जब किशोरी पहुंची लक्षण जानने के बाद कुछ जांच कराई गई। रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी की बात कही गई पर परिवार जन इसके लिए तैयार नही थे और कहने लगे कि यूट्रस निकाल दिया जाए। इसके बाद परिवारजन की काउंसिलिंग की गई। किशोरी को ये समस्या जन्म से थी। उसके ये अहम पार्ट्स ठीक से डेवलप नही हुए थे। आंत को चुनने की ये थी वजह
फिर पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रो. एसएन कुरील की सलाह पर बड़ी आंत के माध्यम से यूट्रस का रास्ता बनाने की योजना तैयार की गई। डॉ.सीमा के मुताबिक वैजाइनल कोशिकाओं के लिए बड़ी आंत को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि ये इन कोशिकाओं के समान होती है। साथ ही किशोरी के भविष्य को लेकर भी डॉक्टरों को चिंता थी। 5 हजार में से एक को होती हैं ये समस्या
डॉ.एसपी जायसवार ने बताया कि यूट्रस के एट्रेसिया (जन्मजात विकार जिसमें योनि, गर्भाशय ग्रीवा अविकसित होती है) को सिग्माइड वैजाइनोप्लास्टी (आंत से योनि का रास्ता) बनाकर सही किया गया। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल ने बताया कि पांच हजार में से किसी एक को यह समस्या हो सकती है। इन डॉक्टरों ने की सर्जरी
डॉ.एसपी जयसवार, डॉ.सीमा महरोत्रा, डॉ.पीएल शंखवार और डॉ. मंजूलता चर्मा। एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. एहसान सिद्दीकी, डॉ. श्रुति, डॉ. ख्याति और सिस्टर ममता। बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के डॉ.एसएन कुरील भी शामिल हुए।

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