कलेक्शन में जॉब करना नरक के समान है। सभी से 98.5 प्रतिशत से अधिक का टारगेट मांगा जाता है। मैं तनाव के चलते 45 दिन से नहीं सोया। 2 महीने से टारगेट 97.75 प्रतिशत होने के बावजूद सर गालियां देते हैं। कर्मचारी भी इंसान है, भगवान नहीं, जिनके लिए सब कुछ संभव है…। ये बातें झांसी के फाइनेंस कंपनी के एरिया मैनेजर तरुण सक्सेना के सुसाइड नोट में लिखी हैं। रविवार को उन्होंने सुसाइड कर लिया था। मैनेजर ने 4 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था। 4 दिन लिखा सुसाइड नोट, ऑफिस में जान देना चाहते थे
तरुण सक्सेना (34) नवाबाद थाना क्षेत्र के गुमनावारा स्थित महाराणा प्रताप नगर में रहते थे। वह बजाज फाइनेंस कंपनी में एरिया मैनेजर थे। उनके जिम्मे झांसी, मोंठ, मऊरानीपुर आदि इलाकों से लोन वसूली का जिम्मा था। किसानों ने फसल के लिए लोन लिए थे। लेकिन, बारिश होने से किसानों की फसल तबाह हो गई। इस वजह से किसान लोन की किश्त जमा नहीं कर रहे थे। इस बीच कंपनी ने तरुण के टारगेट में कोई कमी नहीं की। टारगेट पूरा करने के लिए कंपनी के अधिकारी लगातार उन पर दबाव बना रहे थे। इसी वजह से उन्होंने सुसाइड कर लिया। पुलिस को 4 पेज का सुसाइड नोट मिला है। इसमें 4 दिनों की 25, 30 अगस्त और 2 और 29 सितंबर की डेट पड़ी हुई है। चलिए, सुसाइड नोट पढ़ते हैं… तरुण ने 25 अगस्त के नोट में लिखा- 2 महीने से मेरा टारगेट 97.75% होने के कारण मेरे रीजनल मैनेजर प्रभाकर मिश्रा और नेशनल मैनेजर वैभव सक्सेना मुझसे बहुत नाराज हैं। उन्हें लगता है कि टारगेट पूरा न होने के लिए मैं दोषी हूं। इसके चलते मैं अगस्त से अपने क्षेत्र तालबेहट और मोंठ में हूं। टारगेट पूरा करने का प्रयास कर रहा हूं। क्षेत्र की परिस्थितियां विपरीत हैं। हर कोशिश करने के बाद भी अनुकूल रिजल्ट नहीं मिल रहा। दरअसल, तालबेहत, मोंठ, डबरा, मऊरानीपुर ग्रामीण क्षेत्र है। जहां कम आय वाले लोग रहते हैं। कमाई के लिए दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों में रहते हैं। उनकी ओर से मोबाइल, टीवी, फ्रिज फाइनेंस करा लिए जाते हैं। बाद में वे अन्य स्थान पर चले जाते हैं। या फिर जानबूझकर किश्त नहीं देते। बजाज फाइनेंस एक सेल्स ओरिएंटेड कंपनी है। वहां कलेक्शन में जॉब करना नरक के समान है। हम सभी से 98.5% से अधिक का टारगेट मांगा जाता है। प्रयास के बाद भी टारगेट पूरा नहीं हो पाता। कई महीनों से मैनेजर शिवम बुंदेला, सचिन कुमार और अन्य मैनेजर वेतन से ग्राहकों की किश्त कटा रहे हैं। इस स्थिति के बारे में मैंने कई बार मैनेजर को बताया, लेकिन उन्होंने मुझे अपमानित किया। मैंने स्थितियों को अनुकूल बनाने के प्रयास किए, लेकिन तालबेहट में 60, मोंठ क्षेत्र में 35 ग्राहक छूट गए। इससे मैं तनाव में हूं। मैनेजर किसी भी कीमत पर टारगेट पूरा करने को कहता है। नहीं करने पर जॉब छोड़ने को कहता है। आपसे अनुरोध है कि मेरे जाने के बाद मेरे परिवार को इंश्योरेंस के रुपए, सहायता राशि जरूर उपलब्ध करा दें। जिससे उन्हें कोई कष्ट न हो। सीनियर को सब पता रहता है…
30 अगस्त: RBI के नियम के अनुसार, किसी भी ग्राहक की EMI का भुगतान कर्मचारी नहीं करता, लेकिन हर महीने एक निर्धारित टारगेट दे दिया जाता है। अंत तक इसे पूरा करने के लिए बाध्य किया जाता है। दबाव में आकर ग्राहकों की EMI हम लोगों को भरनी पड़ती है। सीनियर्स को भी इसकी जानकारी होती है। भविष्य को लेकर बहुत डर और तनाव में हूं
2 सितंबर- 31 अगस्त को गालियां दी गईं। नौकरी जाने की धमकी दी गई। मैंने 50 हजार अपने पास से लगाए। उसके बाद भी 40 रसीद और मांगी गई। जो नहीं कर पाया। 2 सितंबर 2024 को फिर से बेइज्जत किया गया। कहा गया कि मुझे यहां नहीं रहने दिया जाएगा। भविष्य को लेकर डर और तनाव में हूं। सुसाइड के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा। शायद ये काम (सुसाइड) 31 अगस्त को ही ऑफिस में कर लेता। मगर 12 बजे तक और लोगों के ऑफिस में होने के कारण नहीं कर पाया। सर ने पूरे महीने दबाव बनाया
29 सितंबर- वैभव सर और प्रभाकर सर, पूरे महीने आप लोगों ने बहुत दबाव बनाया। मैंने भी बहुत मेहनत से काम किया। लेकिन, सभी लोकेशन में हालात पहले से खराब थे। इस महीने बारिश से स्थिति और खराब हो गई। फिर भी दिए हुए टारगेट के लिए पूरा प्रयास किया। लेकिन, 23 सितंबर 2024 को मोबाइल लॉक नहीं हुए। ग्राहकों के पास EMI के लिए जाने पर पता चला कि मोबाइल लॉक नहीं हुए। आप दोनों ने भी इसके बारे में नहीं बताया। मोबाइल लॉक न होने पर EMI नहीं आ रही है। इस माह भी टारगेट पूरा होता नहीं दिख रहा है। लेकिन, आप लोगों को और कंपनी को हर हाल में पूरा चाहिए। टारगेट न होने पर दो महीनों में मेरे साथ जो बर्ताव किया गया, इस बार इससे भी अधिक बुरा होगा। जिसके लिए मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं हूं। हम कलेक्शन के कर्मचारी भी इंसान हैं, भगवान नहीं, जिनके लिए सब कुछ संभव हो। पत्नी के नहीं थम रहे आंसू, बच्चे रो-रोकर बेहाल छोटे भाई गौरव सक्सेना ने बताया- तरुण ने मरने से पहले 4 दिन सुसाइड नोट लिखा। उनके जाने से पूरा परिवार उजड़ गया। परिवार में पत्नी मेघा समेत दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। 12 साल का बड़ा बेटा यथार्थ एवं 10 साल की बेटी आराध्या है। पिता श्रीकृष्ण गोविंद सक्सेना मेडिकल कॉलेज से सीनियर क्लर्क के पद से रिटायर्ड हुए थे। पोस्टमॉर्टम के बाद शव के घर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी समेत बच्चे उनके शव से लिपटकर बिलखते रहे। ये खबर भी पढ़ें… झांसी में 14 साल की छात्रा का सुसाइड…पिता का दर्द:बोले- बेटी IPS बनना चाहती थी, खाकी वर्दी की जगह कफन में लिपटकर घर लौटी झांसी के नवोदय विद्यालय में 9वीं कक्षा की छात्रा ने सुसाइड कर लिया था। 14 साल की छात्रा का शव हॉस्टल की सीढ़ियों पर बनी रेलिंग पर लटका मिला था। उसे 12वीं कक्षा की 2 छात्राएं परेशान कर रही थीं। इसी वजह से उसने दुपट्‌टे से फांसी लगा ली थी। अनुष्का पटेल इकलौती बेटी थी। उसके इस कदम से माता-पिता टूट चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर

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