शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कल से हो रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर 2024 से प्रारंभ होगा। 11 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा। आइए अब ज्योतिषाचार्य से जानते हैं शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना का विधि-विधान
BHU के ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर विनय पांडेय ने बताया- इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक रहेगा। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाठ, दुर्गा स्त्रत्तेत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया इस बार माता पालकी में आ रही हैं। कलश स्थापना की विधि
ज्योतिषाचार्य के अनुसार – एक दिन पहले जौ को पानी में भिगो कर रख लें और अंकुरित होने दें। उसके बाद अगले दिन यानी कलश स्थापना के समय पूजा घर को गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें। फिर माता दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा लगाएं. बालू में पानी डालें और जौ को रख दें। जौ के ऊपर कलश में पानी भरकर स्थापित करें। कलश के ऊपर नारियल अवश्य रखें। साथ ही धूप और दीप अवश्य जलाएं। बाएं तरफ धूप और दाहिने तरफ दीप जलाएं। उसके बाद कलश में आम्र पल्लव रखें। साथ ही हर रोज पुष्प, नैवेद्य अर्पण करें। कलश स्थापना के बाद पूरे 9 दिन तक पाठ अवश्य करें। आइए अब जानते हैं पूजा-पाठ का विधि-विधान आइए अब आपको पढ़ाते हैं, वाराणसी के सभी 9 दिनों तक 9 शक्ति मंदिरों के बारे में… पहले दिन अलईपुर में शैलपुत्री का दर्शन
नवरात्र के पहले दिन मुख निर्मालिका गौरी माता शैलपुत्री का दर्शन पूजन होगा। वरुणा नदी के किनारे अलईपुर स्थित इस मंदिर में माता दुर्गा के हिमालय पुत्री के रूप के दर्शन होंगे। मां शैलपुत्री को प्रिय सफेद कनेर और लाल फूल चढ़ाए जाएंगे। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर शैलपुत्री विराजमान हैं। यहां पर मंदिर और मूर्ति कब से स्थापित है इसकी कोई जानकारी नहीं। दूसरे दिन पंचगंगा घाट पर ब्रह्मचारिणी दर्शन
दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी माता ब्रह्मचारिणी का दिन होगा। ब्रह्मचारिणी मंदिर वाराणसी के पंचगंगा घाट के पास है। इनकी पूजा से ज्ञान, बुद्धिमत्ता, आत्मज्ञान, विश्वास, ईमानदारी और भक्ति में पवित्रता का वास होता है। तीसरे दिन चौक में प्राचीन चंद्रघंटा मंदिर में पूजा
तीसरे दिन सौभाग्य गौरी माता चंद्रघंटा की पूजा होगी। चंद्रघंटा को रणचंडी, चंद्रखंडी और चंडिका के नाम से भी जानते हैं। चौक क्षेत्र के चंद्रघंटा गली में स्थित प्राचीन चंद्रघंटा मंदिर है। उनके माथे पर अर्द्धचंद्र और बुराई को नष्ट करने वाली शक्ति हैं। साहस, संकल्प, धार्मिकता और निर्भयता का प्रतिनिधित्व करती हैं। चौथे दिन दुर्गाकुंड मंदिर में कुष्मांडा के दर्शन
चौथे दिन श्रृंगार गौरी माता कुष्मांडा का दिन है। इन्हें ही अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। वाराणसी में सुप्रसिद्ध दुर्गाकुंड मंदिर में ही कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता का मंदिर वाराणसी सहित मिर्जापुर में भी है। ब्रह्मांड निर्माता, धन, उत्कृष्ट शक्ति, स्वास्थ्य, तेज और भाग्य की देवी हैं। देवी कुष्मांडा का संबंध पीले रंग से है, जो कि चमक और महिमा का प्रतीक है। पांचवें दिन संकठा गली विशालाक्षी गौरी की पूजा
पांचवें दिन विशालाक्षी गौरी स्कंदमाता के दर्शन-पूजन होंगे। वाराणसी के चौक स्थित संकठा गली में मंदिर है। माता ने भगवान स्कंद को जन्म दिया, जिन्हें कार्तिकेय महराज के नाम से भी जाना जाता है। माता अपने बच्चों को बुराई और राक्षसों से बचाती हैं। इन्होंने कार्तिकेय को राक्षस तारकासुर को हराने में सक्षम बनाया था। छठवें दिन सिंधिया घाट पर कात्यायनी देवी का दर्शन
छठवें दिन ललिता गौरी माता कात्यायनी देवी के दर्शन-पूजन का विधान है। काशी में सिंधिया घाट पर माता कात्यायनी देवी का मंदिर है। माता जीवन के बाधाओं को दूर करने वाली हैं। इन्होंने महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। सातवें दिन विश्वनाथ गली में होगा कालरात्रि का दर्शन
भवानी गौरी माता कालरात्रि देवी को पूजा जाता है। नवरात्रि का सातवां दिन होगा। इन्हें चामुंडा देवी भी कहते हैं। राक्षस चंड और मुंड दोनों को इन्होंने हराया था। बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ गली में कालिका गली पर यह प्राचीन मंदिर कालरात्रि को समर्पित है। इन्हें मुकुट चक्र देवी के रूप में लोग पूजते हैं। आठवें दिन लाहोरी टोला में मंगला गौरी की पूजा
आठवें दिन मंगला गौरी माता महागौरी की पूजा के विधान हैं। इन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। विश्वनाथ गली के लाहोरी टोला में यह मंगला गौरी का प्राचीन मंदिर है। माता अपने भक्तों को जीविका, शक्ति, सद्भाव और मातृत्व का संदेश देती हैं। नौवें दिन गोलघर में माता सिद्धिदात्री का दर्शन
नौवें दिन महालक्ष्मी गौरी सिद्धिदात्री देवी का दिन है। इनका दूसरा नाम सरस्वती भी है। मैदागिन स्थित गोलघर में माता सिद्धिदात्री का प्राचीन मंदिर है। आध्यात्मिक और एकाग्रता क्षमताओं से परिपूर्ण देवी हैं। इनकी पूजा से मानसिक स्थिरता और जीवन में शांति बनी रहती है।

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