वाराणसी में शिव और गणेश मंदिरों से साईं प्रतिमाएं हटाने के लिए सनातन रक्षक दल का अभियान चर्चा में है। शहर के सबसे प्रमुख बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति को हटाकर गंगा में विसर्जित करने किया गया। पुरुषोत्तम मंदिर से भी मूर्ति हटाई गई। इसके अलावा कई मंदिरों में मूर्तियों को सफेद कपड़े में लपेट कर रख दिया गया है। अब तक 14 मंदिरों से मूर्तियां हटाई जा चुकी हैं। केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रांतीय महामंत्री और सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा मंदिरों में जाकर साईं प्रतिमाएं हटवा रहे हैं। उन्होंने साईं बाबा की कुछ मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया और कुछ को साई मंदिरों में पहुंचाया। इसका विरोध भी शुरू हो गया है। अजय शर्मा का कहना है कि कितना विरोध हो जाए, संकल्प लिया है तो पीछे नहीं हटूंगा। दैनिक भास्कर ने काशी में मूर्तियां हटाने वाले अजय शर्मा से उनके अभियान पर चर्चा की। पेश है बातचीत के खास अंश … सवाल: काशी में साईं की मूर्तियां हटाने का अभियान कब शुरू किया?
जवाब: काशी भगवान शिव की नगरी है और यहां साईं का कोई काम नहीं है। यहां सिर्फ शिव परिवार ही पूजनीय हैं। साईं की मूर्तियां हटाने का संकल्प दो साल पहले लिया गया था। इस अभियान का आगाज तभी हुआ था। लोगों को जागरूक करने के लिए इतना समय लगा। काशी खंड के सभी मंदिरों से साईं की मूर्तियों को हटाएंगे। अगर किसी को पूजा करनी है तो वह घर में करे या साईं की अलग से मंदिर बना ले। हमारे आराध्य के मंदिर में शीर्ष पर बैठकर आशीर्वाद मुद्रा में बैठे हुए साईं की प्रतिमाओं को देखकर हमें पसंद नहीं आया। इसे देखकर ही हमने इन्हें हटाने का मन बनाया। लोग अपने घर में पूजे। हमें उसका विरोध नहीं है। सवाल: काशी में देवी-देवताओं की पूजा-पाठ के लिए क्या आधार मानते हैं?
जवाब: काशी ही सबका आधार है। काशी में जो पूजित हैं वह काशी खंड में वर्णित है। काशी खंड में कहीं भी साईं पूजा का उल्लेख नहीं है। भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट कहा कि जो जिसको पूजता है, उसको प्राप्त होता है। पितृ को पूजेंगे तो पितृ और प्रेत को पूजेंगे तो प्रेत को प्राप्त होंगे। काशी खंड में कहीं भी साईं पूजा वर्णित नहीं है। काशी खंड में भगवान नारायण ने संदेश दे रखा है कि काशी में समस्त तीर्थों में, समस्त देवों में केवल महादेव और शिव परिवार ही पूजित हैं। इनके अलावा किसी की पूजा नहीं हो सकती, वरना आप लोचनहीन ही समझे जाएंगे। सवाल: साईं पर लोगों की आस्था है और आप उसका विरोध कर रहे हैं?
जवाब: काशी में 33 कोटि देवी देवता हैं। भगवान शिव के आगमन के साथ उनका वास भी यहीं हैं। ऐसे मंदिरों में साईं की पूजा का क्या काम है। हम किसी की आस्था का विरोध नहीं कर रहें। सनातन मानने वालों को अगर पसंद है तो घर पर साईं को पूजें। सवाल: इस अभियान का विरोध भी सामने आ रहा है, अब क्या करेंगे?
जवाब: हमने काशी में शिव-गणेश मंदिरों को साईं मुक्त करने का अभियान शुरू किया है। अब इससे पीछे नहीं हटेंगे। यह अभियान चलाता रहूंगा। हम लोगों को जगाएंगे और लोग जागेंगे। अब जो शिवद्रोही होगा, वह मेरा विरोध करेगा तो पाप के भागी होगा। भैरव जागृत हो चुके हैं और वह अभियान को पूरा कराएंगे। सवाल: काशी के लोगों से राय ली या सीधे अभियान चला दिया?
जवाब: आज जो विरोध कर रहे हैं, ऐसे तमाम लोगों से हम कई बार मिले हैं। हम उन्हें दो साल से समझा रहे हैं। इसका असर भी हुआ है। कई घरों में लोगों का मन बदला है। लोग अपने घरों से भी मूर्तियां और फोटो हटा रहे हैं। हमारे ही एक मित्र की माता जी ने आज ही मूर्ति हटाई है। सवाल: मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने की प्रेरणा कहां से मिली?
जवाब: ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने घोषणा की थी कि साईं की प्रतिमा के सामने मजार मिलती है, इसीलिए वो चांद मिया हैं। उनके मंदिर में ऊं साईं राम लिखने का भी विरोध किया था। काशी में तुलसी, कबीर, रविदास भी हुए लेकिन उन्होंने अपनी पूजा नहीं करवाई। शंकराचार्य के अभियान को सनातन रक्षक दल आगे बढ़ा रहा है। स्पष्ट किया था कि काशी में प्रेत पूजा नहीं होती, इसलिए काशी में चांद मियां की जरूरत नहीं है। उनसे ही मुझे इसकी प्रेरणा मिली और मेरा जितना जोर चलेगा मैं मूर्तियां हटाता रहूंगा। काशी के सभी निवासी धर्मनिष्ठ और सनातन धर्मी हैं, जागा भैरव का जयघोष करके हम प्रतिमाओं को हटा रहे हैं। सवाल: अब तक कितनी प्रतिमाएं हटाई और अब क्या लक्ष्य है?
जवाब: काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ हमने साईं प्रतिमाओं को हटाने का अभियान शुरू किया है। शहर के अब तक 11 प्रमुख मंदिरों को मिलाकर कुल 14 मूर्तियां हटा चुके हैं। अब पुरुषोत्तम मास आ रहा है, इस महीने में पुरुषोत्तम मंदिर से हटाएंगे। अगले लक्ष्य में त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, सूरजकुंड मंदिर से मूर्ति हटाएंगे। इसी के साथ पितृकुंडा, अगस्त्या मंदिर, भूतेश्वर मंदिर से आपसी सहमति से मूर्तियां हटवाने का लक्ष्य है। अब तक 60 मूर्तियों की लिस्ट है। सवाल: राजनेताओं ने टिप्पणी की और आपको पार्टी से प्रेरित भी बताया?
जवाब: राजनीतिक दलों का कोई धर्म नहीं होता है और हम किसी दल के चक्कर में नहीं पड़ते हैं। हमारे धर्मनिष्ठ काशीवासी ही हमारी प्रेरणा हैं। हम धार्मिक स्थलों के टूटने का सबसे पहले विरोध करने गया था। मैं केवल काशी का वोटर हूं, कोई नेता नहीं हूं। काशी में लोग खुद प्रेरित हो रहे हैं। किसी मंदिर में मूर्ति देख रहे हैं तो पूछ रहे हैं, ये दुर्गा जी, हनुमान जी, भगवान शिव, भगवान राम, गणेश अन्नपूर्णा जी से ऊपर साईं क्यों बैठे हैं? ये भी पढ़ें:- वाराणसी के 14 मंदिरों से साईंबाबा की मूर्तियां हटाईं: सपा बोली- माहौल बिगाड़ रहे वाराणसी में सनातन रक्षक दल ने मंगलवार, 1 अक्टूबर को 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दीं। दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सनातन मंदिर में सनातन देवी-देवता होने चाहिए। समाजवादी पार्टी ने कहा- ये लोग काशी का माहौल खराब कर रहे हैं। साईं बाबा की कुछ मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया गया और कुछ को उनके मंदिरों में पहुंचाया जा रहा है। सनातन रक्षक दल ने अभी और मंदिरों की लिस्ट बनाई है। पढ़ें पूरी खबर…

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