दुर्गा पूजा उत्सव पर काशी में मिनी बंगाल की झलक देखने को मिलती है। इस बार दुर्गा पूजा को लेकर काशी में अभी से तैयारियां जोरो पर है। मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। ये मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। इस बार काशी में पहली बार 7 प्रकार के दाल से मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार हो रही। खास बात है कि इसको तैयार करने में 8 दोस्त लगे हुए हैं। सुंदरपुर में मां दुर्गा की सबसे अनोखी प्रतिमा तैयार हो रही है। सबसे बड़ी बात है कि यह प्रतिमा गंगा के मिट्टी से तैयार हुई है। इसमें किसी भी प्रकार का कलर नहीं उसे किया गया है। पूरी मूर्ति सात प्रकार के डाल से बन रही है। मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार हमने काशी में कुछ अलग मूर्ति तैयार करने के लिए विचार किया था। हमने इस मूर्ति को तैयार करने में अभी तक 2.51 क्विंटल दाल का प्रयोग कर लिया है। उन्होंने बताया किसको बनाने में एक माह का समय लग गया है। आइए अब जानते हैं मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों ने क्या कहा मूर्ति बनाने में मजा आने लगता था
10वीं पास करने के बाद खोजवां में रहने वाले शीतल प्रकाश चौरसिया ने बताया कि उनका मूर्ति बनाने में काफी मन लगता था इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने बताया कि सबसे पहले अपने ही घर पर माता सरस्वती की प्रतिमा तैयार की थी और उसे स्थापित किया था जिसके बाद कॉलोनी में ही स्थापित होने वाले दुर्गा पंडाल में पहली मूर्ति बनाई थी और आज के समय में शहर के कल 25 जगह पर मूर्तियों को तैयार करते हैं। शीतल ने बताया कि उनके साथ इस काम में अब उनके छोटे भाई और उनके दोस्त सहयोग करते हैं कुल लोगों की टीम है जो मूर्ति बनाने का काम कर रही है। शीतल का कहना है कि इस बार उनके मन में आया था कि कुछ अलग प्रकार की मूर्ति वाराणसी में तैयार की जाए। क्योंकि, जो मूर्ति बनवाने आता है उसकी डिमांड यही रहती है कि उसकी मूर्ति सबसे अलग हो जिसके बाद हमने इस पर चर्चा की और दाल का प्रयोग करते हुए इस पूरे मूर्ति को सुंदर स्वरूप देने का काम शुरू किया। नवरात्रि के एक सप्ताह पहले शुरू होता श्रृंगार का काम प्रकाश ने बताते हैं कि नवरात्रि से करीब एक हफ्ते पहले माता के श्रृंगार और उन्हें परिधान पहनाने का काम शुरू हो जाता है। उसने बताया कि समिति के लोग भी मूर्ति ले जाने से पहले उनका सम्मान करना और उन्हें भेंट देना नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि जिस प्रतिमा को हम तैयार करते हैं उसको हजारों लोग देखते हैं। हम लोगों को माता का प्रतिमा बनाना काफी अच्छा लगता है और हम उसी भक्ति भाव से उसे तैयार करते हैं। मुंबई से भी मिला काशी में बने मूर्ति का ऑर्डर
बनारस को मिनी बंगाल का दर्जा यूं ही नहीं दिया गया है। पश्चिम बंगाल के बाद काशी में ही दुर्गा पूजा महोत्सव की भव्यता देखते बनती है। मूर्तिकार अभिजीत ने बताया कि इस साल पहली बार मुंबई से मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं। इसके अलावा काशी से लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, मिर्जापुर के लिए कई मूर्तियां बनाई जा रही हैं। शहर में कई जगहों पर नवरात्र की अष्टमी और नवमी के लिए पंडाल बनाने का काम अंतिम दौर में है। इसमें हथुआ मार्केट, अर्दली बाजार, शिवपुर, मच्छोदरी में पंडाल करीब-करीब बनकर तैयार है। इस वर्ष पूजा पंडाल में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मां दुर्गा की प्रतिमा भगवान गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी, सरस्वती गोद में विराजमान होंगी।