प्रदेश सरकार संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्सिंग से भरे जाने वाले पदों में आरक्षण दे सकती है। इस मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मुखर रहे हैं। वो कई बार इस मुद्दे को अलग-अलग मंचों से उठा चुके हैं। ऐसे में, अब कार्मिक विभाग ने अलग-अलग विभागों से ऐसी भर्तियों की जानाकरी मांगी है। केशव प्रसाद मौर्य ने पहले कार्मिक विभाग से जानकारी मांगी प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों में संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स भर्तियों में आरक्षण की कवायद शुरू कर दी है। कार्मिक एवं नियुक्ति विभाग ने सभी विभागों से मानदेय, संविदा, आउटसोर्सिंग और दैनिक मजूदरी पर काम करने वाले कर्मचारियों की रिपोर्ट विभागों से मांगी है। बता दें कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने संविदा और आउटसोर्सिंग भर्ती में आरक्षण का मुद्दा उठाया था। केशव ने कार्मिक विभाग से इसकी जानकारी भी मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक केशव के मुद्दा उठाने के बाद कार्मिक विभाग ने सभी विभागों से इसकी रिपोर्ट मांगी है। विभागों से रिपोर्ट मिलने के बाद कार्मिक विभाग आकलन करेगा रिपोर्ट सामने आने पर आकलन किया जाएगा कि संविदा और आउटसोर्सिंग से भर्ती कर्मचारियों में सामान्य और आरक्षित श्रेणी के कितने अभ्यर्थी हैं। उसके बाद सरकार इस संबंध में आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक सरकार पिछड़े और दलित वर्ग के युवाओं को साधने और विपक्ष के हाथ से मुद्दा छीनने के लिए जल्द ही इसमें कोई निर्णय ले सकती है। क्या होते हैं संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारी? संविदा कर्मचारी : इसमें सरकारी विभाग और कर्मचारी के बीच कॉन्ट्रैक्ट होता है। एक निश्चित सैलरी हर महीने विभाग देता है। इसका विज्ञापन विभाग निकालता है। कभी भी हटाए जा सकते हैं। आउटसोर्सिंग कर्मचारी : इसमें कंपनी या थर्ड पार्टी और विभागों में कॉन्ट्रैक्ट होता है। कंपनी या थर्ड पार्टी सरकारी विभागों को कर्मचारी उपलब्ध कराती है। कभी भी कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया जा सकता है। इन दोनों से सरकार को काफी फायदा होता है। ऐसे कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी की तरह मूल वेतन नहीं मिलता। सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलती। साथ ही सरकार जब चाहे, कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकती है। सरकार ऐसी भर्तियों को बढ़ावा दे रही है, ताकि उस पर आर्थिक बोझ न बढ़े। इसका अंदाजा हाल ही में नियुक्त कर्मचारियों की संख्या से लगाया जा सकता है। सरकारी विभागों में 4 लाख से ज्यादा संविदा और आउटसोर्सिंग से कर्मचारी रखे गए हैं। सबसे ज्यादा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास विभाग, पंचायतीराज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग में कर्मचारी हैं।