गोरखपुर AIIMS के कार्यकारी डायरेक्टर डॉ. गोपाल कृष्ण पाल को हटा दिया गया। 2 अक्टूबर को उनका कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन 6 दिन पहले ही AIIMS भोपाल के प्रो. अजय सिंह को AIIMS गोरखपुर की भी जिम्मेदारी दे दी गई। प्रो. अजय सिंह को भी कार्यवाहक ED बनाया गया है। उनका कार्यकाल तीन महीने निर्धारित किया गया है। गोरखपुर-पटना AIIMS के डायरेक्टर डॉ. गोपाल कृष्ण पाल पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगा है। गोरखपुर AIIMS के सर्जरी विभाग के HOD डॉ. गौरव गुप्ता ने उनके खिलाफ AIIMS पुलिस को तहरीर दी है। जिसमें कहा है कि डायरेक्टर सामान्य वर्ग (ठाकुर) से आते हैं, लेकिन उन्होंने बेटे और बेटी का फर्जी OBC सर्टिफिकेट बनवाए हैं। इसमें सालाना आय 80 लाख के बजाय 8 लाख दिखाया है। डायरेक्टर, उसकी पत्नी प्रभाती पाल और बेटा ओरो प्रकाश पाल इसमें शामिल हैं, इसलिए तीनों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय की कमेटी ने भी की जांच
वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर मामले की जांच भी शुरू करा दी है। जल्द ही टीम गोरखपुर आने वाली है। इस बीच प्रो. पाल को हटा दिया गया। इस कार्रवाई को बेटे के प्रवेश से जोड़ा जा रहा है। बेटों की नियुक्ति में हटाई गई थीं पूर्व डायरेक्टर
2 अक्टूबर को AIIMS पटना के ED और CEO प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को एम्स गोरखपुर का चार्ज दिया गया था। उन्हें प्रो. सुरेखा किशोर की जगह भेजा गया था। बेटों को नियुक्ति देने और भ्रष्टाचार के मामलों में विजिलेंस जांच का सामना कर रहीं प्रो. सुरेखा किशोर को अचानक हटाया गया था। नए ED के लिए दिल्ली में साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के बाद माना जा रहा था कि प्रो. गोपाल कृष्ण पाल का कार्यकाल एक महीने बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बेटे नियुक्ति में हटने वाले दूसरे ED
बेटे के चक्कर में पद से हाथ धोने वाले प्रो. गोपाल कृष्ण पाल AIIMS गोरखपुर के दूसरे ED हैं। हालांकि प्रो. सुरेखा किशोर को वापस एम्स ऋषिकेश भेजा दिया गया था, लेकिन प्रो. पाल AIIMS पटना के ED बने रहेंगे। सर्जरी विभागाध्यक्ष ने छेड़ी थी जंग
फिजियोलाजी की एडिशनल प्रोफेसर डा. संगीता गुप्ता की प्रोफेसर पद पर पदोन्नति न होने के बाद AIIMS गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष व एडिशनल प्रोफेसर डा. गौरव गुप्ता ने प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। उन्होंने 25 जुलाई को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए थे। इसके बाद सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल और बाद में उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। बेटे-बेटी का बनवाया था फर्जी OBC NCL सर्टिफिकेट
इस मामला सामने आते ही गोरखपुर से लेकर पटना AIIMS तक हड़कंप मच गया। मामले की जांच शुरू की गई। इसमें पता चला कि डायरेक्टर ने न सिर्फ बेटे के एडमिशन में फर्जीवाड़ा किया, बल्कि बेटी का भी फर्जी OBC NCL सर्टिफिकेट बनवाया। उन्हें पटना AIIMS के फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट के पद पर जॉइन करवाया। इसके बाद डॉ. गुप्ता फिर मुखर हो गए। उन्होंने इसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर भी की थी। डॉ. ओरोप्रकाश पाल ने 30 अगस्त को प्रवेश लेने के बाद 3 सितंबर को तीन लाख रुपये जुर्माना जमाकर प्रवेश रद करा दिया था।