11 सितंबर, 2024 को कस्टम विभाग ने महराजगंज के नौतनवा में 1400 बोरी लहसुन गड्ढे में डालकर डीजल छिड़ककर आग लगा दी। आसपास के गांव वाले लहसुन लूटने में जुट गए। यह लहसुन चाइनीज था और नेपाल के रास्ते लाया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने जब्त किया था। वहां के स्वास्थ्य अधिकारी अमित राव गौतम का कहना है, इसे लंबे समय तक खाने से कैंसर का खतरा हो सकता है। अब यह चाइनीज लहसुन लखनऊ हाईकोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील चिनहट बाजार से चाइनीज लहसुन खरीदकर जज के सामने पहुंचे। जज से सरकार से सवाल किया कि जब देश में यह बैन है तो यूपी में कैसे बिक रहा? जस्टिस ने इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार और यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद में बहस शुरू हो गई, आखिर 2014 में प्रतिबंधित किए गए चाइनीज लहसुन लखनऊ की बाजार में कैसे बिक रहा? कोर्ट ने चाइनीज लहसुन की पूरी रिपोर्ट अगले 15 दिन में पेश करने के आदेश दिए हैं। आखिर क्या है ये चाइनीज लहसुन? देश में यह क्यों प्रतिबंधित है? इसके आयात पर रोक होने के बावजूद यह यूपी की सब्जी बाजारों तक कैसे पहुंचा? संडे बिग स्टोरी में जानिए इन सभी सवालों के जवाब- सबसे पहले जानिए चाइनीज लहसुन क्या है?
सीधे तौर पर इस लहसुन का नाम इसके देश से जुड़ा है। इस लहसुन की चीन में बड़े पैमाने पर पैदावार होती है। चीन इसे अपने यहां से दुनिया के दूसरे देशों में भेजता है। चीन में पैदावार की वजह से इसे चाइनीज लहसुन कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी चीन देश में ही होता है। इस लहसुन का इस्तेमाल एशियाई देशों के खाने में होता है, जैसे नूडल्स और सूप। यूपी में नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते आ रहा चाइनीज लहसुन
व्यापारी चाइनीज लहसुन अवैध रूप से यूपी ला रहे हैं। यह नेपाल और बांग्लादेश के रास्तों से आ रहा है। बॉर्डर के देशों से भारत के व्यापारी सस्ते दामों पर चाइनीज लहसुन ला रहे हैं। चाइनीज लहसुन आने की पीछे मुख्य वजह देसी लहसुन का महंगा होना है। कम रेट पर चाइनीज लहसुन लाकर चार से पांच गुना मुनाफा कमाकर बेचा जाता है। चाइनीज लहसुन को छीलने में आसानी होती है और उसका दाना मोटा होता है, इसलिए डिमांड में ज्यादा है। राजधानी लखनऊ में मंडी के व्यापारियों का कहना है कि यह लहसुन बाजार में आसानी से उपलब्ध हो रहा है। बावजूद इसके सरकार इसके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठा रही। एक महीने में नेपाल बॉर्डर पर 16 टन चाइनीज लहसुन जब्त
भारत-नेपाल सीमा पर तैनात कस्टम के डीसी बैभव सिंह ने बताया- बीते एक महीने (अगस्त-सितंबर) में लगभग 16 टन चाइनीज लहसुन बरामद किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों को पता चला था कि नेपाल में भारी मात्रा में चाइनीज लहसुन डंप किया गया है। इसे देखते हुए भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। 21 सितंबर को सीमा शुल्क लखनऊ के अधिकारियों ने फूलपुर-प्रयागराज राजमार्ग पर 2 ट्रकों को चेकिंग के लिए रोका। ट्रकों में 23 टन तस्करी का चीनी लहसुन मिला। इसकी कीमत करीब 96 लाख रुपए बताई गई। नेपाल-बांग्लादेश से 50-70 रुपए किलो खरीदकर 250-300 रुपए किलो बेच रहे
चाइनीज लहसुन चीन में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसके लिए पैदावार बढ़ाने वाले रासायनिक खाद और कीटनाशक के साथ सस्ते लेबर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में, इनकी पैदावार की लागत कम आती है। यही वजह है कि अक्सर दूसरे देशों में जाने के बाद भी यह वहां सस्ते दामों पर बिकता है। उत्तर प्रदेश में व्यापारी नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से चोरी-छिपे 50 से 70 रुपए प्रति किलो खरीदते हैं। लेकिन, जब वो यहां के बाजार में बेचता हैं, तो उसकी कीमत देसी लहसुन के बराबर या उससे थोड़ा कम ही रखते हैं। यह प्रदेश के बाजारों में 250 से 300 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है। मार्जिन ज्यादा होने की वजह से व्यापारी चाइनीज लहसुन बेचने में ज्यादा रुचि लेते हैं। दूसरी तरफ, देसी लहसुन की बाजार में कीमत 300 से 400 रुपए किलो है। इसके चलते व्यापारी सीधे-सीधे चार से पांच गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। चूंकि, आम लोगों में चाइनीज लहसुन और देसी लहसुन में फर्क को लेकर जानकारी नहीं है, तो लोग चीन से आए लहसुन को देसी के दाम पर खरीद रहे हैं। 2014 में भारत सरकार ने इन 3 वजहों से चाइनीज लहसुन पर बैन लगाया 2014 में भारत सरकार ने चीन से आने वाले चाइनीज लहसुन के भारत में आयात पर बैन लगा दिया। इस बैन के पीछे 3 वजहें गिनाई जाती हैं। 1. जरूरत से ज्यादा रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल: चाइनीज लहसुन की पैदावार में जरूरत से ज्यादा रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल इसकी एक वजह थी। यह जाना ही जाता है ज्यादा कीटनाशक के इस्तेमाल के लिए। कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि किसी भी फसल में कीटनाशक का इस्तेमाल उसे खाने वालों में गंभीर बीमारियों की वजह बनता है। 2. चाइनीज लहसुन की गुणवत्ता भारत के मानक पर खरी नहीं: कोई सामान जो किसी देश में बाहर के देश से आता है, उसकी क्वालिटी की जांच की जाती है। ऐसे में, चाइनीज लहसुन बार-बार भारत में खान-पान के मानकों को जांचने वाली संस्थाओं के टेस्ट में फेल होता रहा। कई बार जांच में चीन से आने वाले लहसुन में केमिकल्स और सिंथेटिक पदार्थ तक पाए गए। ये ऐसे केमिकल्स थे, जिनका इंसान के स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है। 3. चाइनीज लहसुन की कम कीमतें किसानों को घाटा पहुंचाती थीं: देश में लहसुन की खेती करने वाले किसानों को हो रहा घाटा चाइनीज लहसुन बैन करने के पीछे बड़ी वजह थी। दरअसल यह देसी लहसुन की तुलना में व्यापारियों को कम रेट में मिल जाते हैं। इससे व्यापारियों का झुकाव चीन के लहसुन की तरफ रहता था। किसानों का लहसुन सुरक्षित और अच्छी क्वालिटी का होने के बावजूद लोग नहीं खरीदते थे। इससे उन्हें भारी घाटा होता था। देश में सबसे ज्यादा लहसुन की पैदावार मध्य प्रदेश में होती है
भारत में लहसुन की पैदावार की बात करें तो सबसे अधिक लहसुन मध्य प्रदेश में होता है। देश के कुल लहसुन उत्पादन में मध्य प्रदेश का 62 फीसदी योगदान है। मध्य प्रदेश में भी मालवा क्षेत्र में सबसे ज्यादा लहसुन उगाया जाता है। इसके बाद गुजरात में लहसुन का उत्पादन अधिक होता है। लहसुन की खेती दो फसल सीजन में की जाती है। खरीफ सीजन में जून-जुलाई में बीज बोए जाते हैं और सितंबर-अक्टूबर में कटाई होती है। रबी सीजन में सितंबर से नवंबर के बीच रोपाई होती है और फरवरी से मार्च के बीच कटाई होती है। अमेरिका में भी चाइनीज लहसुन बैन करने की मांग उठ चुकी है
पिछले साल अमेरिका में रिपब्लिकन सेनेट रिक स्कॉट ने कॉमर्स सेक्रेटरी को पत्र लिखकर यूएन में चाइनीज लहसुन के आयात पर बैन लगाने की मांग की थी। इसके पैदावार में इंसानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों का इस्तेमाल था, जिसे बड़ी वजह बताया गया। अमेरिका ने चीन पर चाइनीज लहसुन को डंप करने का आरोप भी लगाया है। इसके लिए अमेरिका 1990 के मध्य के दशक से ही चीन से आयात होने वाली चीजों पर भारी टैक्स लगाता रहा है। 2019 में ट्रंप के शासनकाल में तो ये टैक्स और भी बढ़ा दिए गए थे। सेनेट रिक स्कॉट ने अपने पत्र में चाइनीज लहसुन की क्वालिटी और इससे पब्लिक हेल्थ पर गंभीर संकट बताया था। याचिकाकर्ता वकील मोती लाल यादव से इस पूरे मामले पर बातचीत सवाल: चाइनीज लहसुन के बारे में कैसे जानकारी मिली ? जवाब: इंटरनेट, प्रिंट मीडिया के माध्यम चाइनीज लहसुन के बैन होने की जानकारी मिली। इसकी जब जांच की गई तो पूरे लखनऊ चाइनीज लहसुन बेचा जा रहा है। ये चाइनीज लहसुन बहुत ही कीटनाशक के साथ मिल रहा है। बड़ा-बड़ा लहसुन होता है। इसको लेकर फिर रिसर्च किया। जिसके बाद इसे लेकर जनहित याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय ने बहुत ही गंभीरता से सुना। इसमें पेस्टीसाइड, क्लोरीन जैसे कीटनाशक प्रयोग किए जाते हैं, जिनसे गंभीर बीमारियों का खतरा है। इससे कैंसर होने की संभावना है। उच्च न्यायालय ने मुझसे कहा पहले चाइनीज लहसुन लेकर आइए। तब मैं चिनहट बाजार से चाइनीज लहसुन खरीद कर लेकर आया। मैंने देसी लहसुन भी खरीदा था। दोनों लहसुन की कलियां भी दिखाईं। तब जज साहब ने हाथ में लेकर दोनों लहसुन देखे। फिर उन्होंने लैब का मुखिया बुलाया गया। उनको जांच के निर्देश दिए। एफएसडीए के अधिकारी को 15 दिन में लैब रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। सवाल: चाइनीज लहसुन को लेकर क्या खतरें है, जिसकी वजह से बैन लगाया गया था? जवाब: रिसर्च के बाद ही याचिका दाखिल की है। डॉक्टर ने भी कहा कि यह सेहत के लिए बहुत घातक है। इसे खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। चाइनीज लहसुन और देसी लहसुन में बहुत से अंतर पहचानने के लिए होते हैं। चाइनीज लहसुन की कली बहुत बड़ी होती है। देसी लहसुन की कली छोटी होती है। दूसरा होता देसी लहसुन में जड़ होती है। लेकिन चाइनीज लहसुन में जड़ नहीं होती है। चाइनीज लहसुन में कोई भी महक नहीं आएगी। देसी लहसुन में झार जैसी महक आएगी। जड़ चाइनीज लहसुन में नहीं होती है। लेकिन देसी लहसुन में होती है। पूरे लखनऊ में चाइनीज लहसुन मिल रहा है। मैं चिनहट की सब्जी मंडी से आधा किलो लहसुन खरीद कर हाई कोर्ट पहुंचा। एक किलो चाइनीज लहसुन ढाई सौ रुपए में मिल रहा है। वहीं, देसी लहसुन 400 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। यह खबर भी पढ़ें योगी बोले-यूपी में दंगाई जहन्नुम की यात्रा पर, 370 हटने के बाद मौलवी राम-राम कहते हैं; कांग्रेस ‘समस्या’ का नाम सीएम योगी ने हरियाणा के फरीदाबाद में जनसभा को संबोधित किया। सीएम ने कहा- यूपी में साढ़े सात साल में एक भी दंगा नहीं हुआ। दंगाई अब जेल में हैं, या जहन्नुम की यात्रा पर। विभाजन और आतंकवाद कांग्रेस की देन है। पहले जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देते थे, आज उनके मुंह से भी ‘राम-राम’ निकल रहा है। यहां पढ़ें पूरी खबर