गाजियाबाद में 10 अगस्त की रात एक शोरूम से 3 करोड़ रुपए कीमत की ब्रांडेड वॉच चोरी हुईं। पता चला कि इस चोरी को बिहार के चादर गैंग ने अंजाम दिया था। इस गैंग का नेटवर्क नेपाल तक है। खुद नेपाल के कई लोग गैंग में शामिल हैं। ये ऐसा गैंग है, जो करोड़ों की चोरियां करने के बदले एडवांस पैसा लेता है। पैसा देने वाले होते हैं नेपाल के बिचौलिए, जो चोरी का सामान सस्ते रेट पर खरीदकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। इसलिए कई बार ये बिचौलिए सामान की डिमांड अनुसार भी चोरियां कराते हैं। गाजियाबाद में 700 से ज्यादा घड़ियां चुराईं
गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में साईं क्रिएशन शोरूम है। यहां ब्रांडेड वॉच मिलती हैं। 10 अगस्त की रात चोर शटर उखाड़कर अंदर घुसे और करीब 700 से ज्यादा ब्रांडेड वॉच चुराकर ले गए। इनकी कीमत 3 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई। चूंकि ये बड़ी चोरी थी, इसलिए कई पुलिस टीमें वर्कआउट में लगाई गईं। आखिरकार क्राइम ब्रांच को सफलता मिली। क्राइम ब्रांच ने 2 आरोपी संतोष कुमार जायसवाल और रोहित पासवान 29 अगस्त को धर दबोचे। इनसे 46 लाख रुपए कीमत की 125 घड़ियां रिकवर हुईं। दोनों अपराधियों का ताल्लुक बिहार के चादर गैंग से था। दुकान के बाहर डबल बेड चादर टांगकर करते रहते हैं चोरी
गाजियाबाद क्राइम ब्रांच के प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं- बिहार के जिला मोतिहारी पूर्वी चंपारण में एक जगह का नाम है घोड़ासहन। ये एकदम नेपाल बॉर्डर पर स्थित है। यहां पूरी की पूरी पीढ़ियां आपराधिक घटनाओं में लिप्त रहती हैं और इसी तरह बड़ी चोरियां करने के लिए बदनाम हैं। हमारी जांच में अभी तक घोड़ासहन में चार अलग-अलग चादर गैंग सामने आए हैं। हर गैंग में 8 से 12 लोग होते हैं। ये लोग वारदात के लिए डबल बेड वाली चादर लेकर चलते हैं। जिस दुकान या शोरूम में वारदात करनी होती है, उसके शटर पर चादर टांग देते हैं। इससे सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को ये पता नहीं चलता कि दुकान के अंदर क्या हो रहा है। दो-तीन लोग दुकान के अंदर जाते हैं। एक-दो लोग आस-पास खड़े रहते हैं और बाकी लोग 100 से 200 मीटर दूर खड़े होकर रैकी करते रहते हैं। गैंग को यदि ऐसा लगता है कि कोई आ रहा है तो दूर खड़े लोग सीटी बजाते हैं। सीटी की आवाज सुनते ही घटनास्थल पर खड़े लोग एक्टिव हो जाते हैं और वो चादर को उतारकर उसी को ओढ़कर दुकान के बाहर सोने का ड्रामा करते हैं। सामान्यत: दुकानों के बाहर मुसाफिर सोते रहते हैं, इसलिए लोगों का ध्यान उन पर नहीं जाता। लोगों के जाते ही वो फिर से एक्टिव होकर अपने काम को पूरा करते हैं। चोरी करने के बाद 8 से 12 लोगों का ये गैंग एक-दूसरे से थोड़ा दूरी-दूरी पर पैदल चलता है, ताकि रात में किसी को शक न हो। उसके बाद ये ई-रिक्शा या ऑटो करके रेलवे-बस स्टेशन पहुंचते हैं। वहां पूरा गैंग इकट्ठा होता है और फिर ये सीधे बिहार में पूर्वी चंपारण के रास्ते नेपाल भाग जाते हैं। हर व्यक्ति का किरदार पहले से फिक्स
इस गैंग में कौन क्या काम करेगा, उसका किरदार पहले से फिक्स है। जिनकी लंबाई ज्यादा है, उन्हें चादर लगाने के काम में रखा जाता है। जो एकदम एक्टिव हैं, उन्हें शोरूम के अंदर घुसाया जाता है। बाकी बचे हुए लोग फील्डर की भूमिका निभाते हैं। नेपाल के दुकानदार खरीदते हैं चोरी का सामान
क्राइम ब्रांच प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकि बताते हैं- नेपाल में कुछ दुकानदार हैं, जो इस गैंग से सामान खरीदते हैं। सामान बिकवाने में कुछ बचौलियों की भूमिका अहम होती है। कई बार ये बिचौलिए ही इस गैंग को चोरी करने की एवज में एक-दो लाख रुपए तक एडवांस पैसा भी देते हैं। जब ये गैंग चोरी करने के लिए बिहार से दूसरे शहर में के लिए चलता है तो ट्रेवल, किराए का कमरा लेने, खाने-पीने में तमाम पैसा खर्च होता है। एडवांस में मिली रकम इन चीजों में खर्च होती है। बाद में जब गैंग चोरी करके उसी बिचौलिए के जरिये सामान बेचता है तो एडवांस के रूप में दिया गया पैसा वहां काट लिया जाता है। एडवांस पैसा देने का बिचौलियों को फायदा ये होता है कि जब करोड़ों की चोरी का माल उनके पास आता है तो वो उसकी डीलिंग अपने मनमाफिक करते हैं। पुलिस जांच में नेपाल में ऐसे कई दुकानदार पता चले हैं, जो इसी तरह का सामान खरीदते हैं। पूछताछ में इस गैंग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों में करोड़ों की चोरियां करना कुबूला है। 22 दिन पहले नोएडा आए, मजदूर बनकर रैकी की
गाजियाबाद में घड़ियों के शोरूम में चोरी करने से 20-22 दिन पहले बिहार से संतोष जायसवाल, नेपाल से सचिन, प्रमोद और संतोष उर्फ आसामी नोएडा आए। यहां उन्होंने सेक्टर-63 में किराए पर कमरा लिया। इसके बाद मजदूरी के रूप में पुताई करने लगे। गाजियाबाद का इंदिरापुरम इलाका भी सेक्टर-63 नोएडा से सटा हुआ है। ऐसे में दिन में घूमते हुए इधर आ गए और रैकी करने लगे। इस दौरान उनकी नजर इस शोरूम पर पड़ी। लगातार तीन दिन तक शोरूम के खुलने, बंद होने और रात की गतिविधियों को देखा गया। जब टारगेट फिक्स दिखा तो उन्होंने फोन करके बाकी साथियों को भी बिहार से गाजियाबाद बुला लिया और वारदात को अंजाम दे डाला। अभी 720 में से सिर्फ 125 घड़ियां ही रिकवर हुई हैं। बताया जा रहा है कि ज्यादातर घड़ियां सचिन और प्रमोद के पास हैं, जो नेपाल भागे हुए हैं। पुलिस की दो टीमें उनके पीछे लगी हुई है।