न कभी ट्रेनिंग मिली और न ही कोई रोजगार, 6 लाख रुपए के गबन का आरोपी अलग बना दिया गया साहब। ये कहना है यूपी के प्रतापगढ़ में एक महिला समूह में काम करने वाली महिला संध्या पांडेय का। सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने के लिए हर घर तिरंगा अभियान के तहत झंडा बनाने का काम समूह की महिलाओं को सौंपा। जिले में हर समूह को 32 से 35 हजार झंडे बनाने थे। इसके लिए 17 महिला समूहों को लागत का आधा पैसा (करीब 55 लाख) एडवांस भेजा गया। लेकिन, विभागीय लोगों ने कमीशन के चक्कर में चहेते ठेकेदार से सप्लाई ले ली। फिर महिला समूहों से रकम उसके खाते में ट्रांसफर करने का दबाव बनाया गया। हड़बड़ी में कुछ ऐसे समूहों को भी फोन किया गया, जिनके खाते में रकम ट्रांसफर ही नहीं की गई थी। इसको लेकर शिकायत हुई, तो आनन-फानन में नोटिस जारी कर दिए गए। दैनिक भास्कर ने इस पूरे मामले की पड़ताल की। पहले जानते हैं, शासन ने किस मंशा से समूह की महिलाओं से झंडा बनवाने का निर्णय लिया था। बीते 15 अगस्त को सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाने का फैसला लिया था। इसके लिए हर ग्राम पंचायत को ब्लॉक लेवल पर 500 से 600 तिरंगे उपलब्ध कराए जाने थे। सरकार ने झंडे बनाने का काम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत काम कर रहे महिला समूहों को सौंपने को कहा। मकसद, समूह की महिलाओं को रोजगार देना था, जिससे उनकी आमदनी हो सके। प्रतापगढ़ के सभी 17 विकास खंडों की 17 कम्युनिटी लेवल फेडरेशन (CLF) को इसका काम सौंपा गया। सभी CLF को अपने साथ काम करने वाली ग्राम समितियों और आजीविका समूहों से तिरंगे झंडे तैयार करवाने की जिम्मेदारी दी गई। 11 CLF को 32-32 हजार, 2 को 35 हजार, 2 को 33 हजार और 2 CLF को 30 हजार झंडे बनाने का टारगेट दिया गया। 17 CLF के खाते में भेजे 55 लाख रुपए
प्रतापगढ़ में तैनात डिप्टी कमिश्नर NRLM अश्वनी कुमार ने 9 अगस्त को सभी 17 ब्लॉक के 17 CLF को झंडे बनाने के लिए एडवांस में 50% रकम (करीब 55 लाख रुपए) भेजने के आदेश जारी किए। हालांकि, इस आदेश का अनुपालन होने में 3 दिन लग गए। 13 अगस्त को झंडे बनाने की रकम सभी समूहों के खाते में भेजी गई। 13 अगस्त को ही जिले के बाबा बेलखरनाथ विकासखंड के खंड विकास अधिकारी (BDO) ने CLF को ये धनराशि एक ठेकेदार की फर्म में ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया। झंडे का कपड़ा खरीदने के नाम पर धोखाधड़ी
BDO के पत्र में लिखा है कि उन्नति प्रेरणा संकुल संघ के अकाउंट नंबर 53710100030459 के चेक नंबर 764123 से कपड़ा खरीदने के लिए गबरू ट्रेडर्स प्रतापगढ़ के पंजाब नेशनल बैंक के अकाउंट नंबर 8833002100001666 में 3.20 लाख रूपए ट्रांसफर किए जाएं। ये पत्र BDO ने बैंक के मैनेजर को लिखा। पत्र में ये भी लिखा कि इसका प्रस्ताव इसी CLF से किया गया है। महिलाओं को पता ही नहीं कब झंडा बना, कहां बांटा गया
सबसे पहले हम खंड विकास अधिकारी के पत्र की हकीकत समझने के लिए प्रतापगढ़ शहर से करीब 30 किमी दूर उन्नति प्रेरणा संकुल संघ के ऑफिस उड़ैयाडीह पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात CLF की अध्यक्ष संध्या पांडेय से हुई। हमने उनसे इस पत्र के बारे में पूछा। उन्होंने एक लाइन में जवाब दिया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं। हमने उनसे कुछ और सवाल पूछे, तो भावुक हो गईं। उन्होंने कहा- हमें रोजगार तो नहीं मिला, विभाग ने गबन का आरोपी अलग बना दिया। थोड़ी बातचीत के बाद उन्होंने इस पूरे खेल की सारी हकीकत बयां कर दी। संध्या के मुताबिक, 13 अगस्त की दोपहर उनके समूह के खाते में 3.20 हजार रुपए भेजे गए। ये किसलिए, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। पैसा खाते में आते ही बाबा बेलखरनाथ धाम विकास खंड के बीडीओ का फोन आया कि खाते में झंडे बनाने के लिए पैसा भेजा गया है। इसे तुरंत गबरू ट्रेडर्स प्रतापगढ़ के खाते में ट्रांसफर कर दो। मैंने उनसे कारण पूछा तो नाराज होने लगे। उन्होंने ऑडिट के लिए पहले से ब्लॉक में जमा मेरे CLF के कार्रवाई रजिस्टर पर कार्ययोजना मीटिंग में दबाव बनाकर समूह के तीनों प्रमुख अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष का सिग्नेचर कराकर ये दिखा दिया कि हमने गबरू ट्रेडर्स को रुपए ट्रांसफर करने के लिए खुद से मीटिंग में निर्णय लिया है। जबकि गबरू ट्रेडर्स कौन है, मैं उसे जानती ही नहीं। मैंने जिले पर विभाग के अफसरों से बात की, तो वहां से भी उनकी बात मानने को कहा गया। इसलिए मैंने 13 अगस्त को ही उनके कहे मुताबिक 3.20 लाख रुपए फर्म के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। लेकिन, न तो हमारे समूहों को झंडा बनाने के लिए कपड़ा मिला और न ही किसी भी समूह की महिला को कोई रोजगार ही मिला। पैसे का हिसाब मांगते ही भेज दी नोटिस, गबन का आरोपी बनाया
संध्या ने बताया- पैसे ट्रांसफर तो कर दिए लेकिन मैं लगातार अफसरों से इसके बारे में पूछने लगी कि हमारे CLF से ट्रांसफर किए गए रुपए का क्या किया गया? इसके बाद बीडीओ बेलखरनाथ धाम, राजीव पांडेय ने मेरे खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। मुझे 12.87 लाख का नोटिस भेज दिया। उन्होंने कहा कि मेरे CLF उन्नति संकुल संघ के खाते से ये पैसा नियम विरुद्ध तरीके से निकाला गया। संध्या के मुताबिक, मैं संघ के सभी पैसों का हिसाब कई बार लिखित और मौखिक रूप से उन्हें और विभाग के अन्य आला अफसरों को दे चुकी हूं। मुझे पैसों के गोलमाल को छिपाने के लिए धमकी देकर कार्रवाई की बात कही जा रही है। मैसेज भेजा जा रहा है कि जल्द ही पदाधिकारी बदल दिए जाएंगे। इस पूरे मामले की पड़ताल में हमारे हाथ एक ऐसा ऑडियो लगा जिसमें कथित रूप से बीडीओ एक समूह की महिला को झंडे के लिए आया पैसा ट्रांसफर करने का दबाव बना रहे हैं। अब हमारा सबसे बड़ा टारगेट इस महिला तक पहुंचना था। इस ऑडियो में जिस महिला का नाम लिया जा रहा है, वह मनीता सिंह हैं। हमने पड़ताल की तो हमें इसी ब्लॉक में मां गंगा आजीविका स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला। इसकी संचालिका का नाम मनीता है। हम वहां से करीब 20 किमी दूर सिंगठी खालसा गांव पहुंचे, तो यहां हमें मनीता सिंह मिल गईं। हमने उन्हें ऑडियो सुनाया। मनीता ने स्वीकार किया कि ये ऑडियो उन्हीं का है और फोन बीडीओ, बाबा बेलखरनाथ धाम विकास खंड ने किया था। समूह खुद से कर रहे व्यवसाय, मदद के नाम पर कुछ नहीं मिलता
मनीता ने बताया- स्वयं सहायता समूह अपने दम पर चाहे जो रोजगार करें, उन्हें कोई मदद नहीं मिलती। शुरुआत में समूह बनाने के बाद 30 हजार रिवॉल्विंग फंड और 1.10 लाख रुपए कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड मिला था। इसी से हमारे समूह की महिलाएं रोजगार कर रही हैं। इन्हें व्यवसाय में जितने पैसे की जरूरत होती है, ये समूह के खाते से ले जाती है फिर उसे 12% वार्षिक ब्याज की दर से वापस दे जाती है। ऐसे ही करके समूह का बैलेंस बढ़ रहा है। बोले- सरकारी गाड़ी भेज रहा हूं, बैंक जाकर पैसा ट्रांसफर कर दो
मनीता ने बताया- मेरे पास 13 अगस्त को बीडीओ साहब का फोन आया। उन्होंने कहा कि बैंक जाकर 3.20 लाख रुपए गबरू ट्रेडर्स के खाते में ट्रांसफर कर दो। मैंने पूछा किस चीज का पैसा ट्रांसफर करना है? मुझसे कहा गया कि तिरंगे झंडे बनाने के लिए जो पैसा आया है, उसे ट्रांसफर करो। मैंने कहा, साहब मैं प्रेग्नेंट हूं। मेरी डिलीवरी करीब है, इसलिए मैं बैंक नहीं जा सकती। बैंक घर से बैंक 6 किमी दूर है। इस पर बीडीओ ने कहा कि जाना तो पड़ेगा। मैं अपनी सरकारी गाड़ी भेज दे रहा हूं, उससे बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर कर दो। फिर मैं वापस तुम्हें घर तक भेज दूंगा। मैंने जब मना कर दिया, तो मुझ पर समूह से फर्जी तरीके से पैसे निकालने का आरोप लगाया गया। बीडीओ की ओर से मुझे नोटिस भेजा गया। ‘झंडे के लिए पैसे नहीं आए तो कहां से भेज दें’
मनीता ने बताया- उसके समूह में झंडे बनाने के लिए पैसे आए ही नहीं हैं। इसके लिए कोई भी उसका बैंक स्टेटमेंट निकलवा सकता है। मेरे समूह ने खुद से बिजनेस करके जो फंड तैयार किया है, उसमें से तिरंगे झंडे के लिए पैसे मांगे जा रहे थे। हम महिलाओं को कोई रोजगार तो दिया नहीं जाता। 13 अगस्त को भेजा पैसा, हर समूह को बनाने थे 30 से 32 हजार झंडे
कुछ महिला समूहों की सदस्यों ने बताया, 13 अगस्त को हमारे खाते में बिना बताए पैसे भेजे गए। न तो किसी बैठक में पहले इसे बताया गया था, न ही इसकी कोई ट्रेनिंग करवाई गई थी। 13 अगस्त को जब पैसा खाते में आया, तो एक दिन में कपड़ा खरीदकर झंडे बनाकर उसकी सप्लाई कैसे संभव हो सकती थी। ये सब बड़े लेवल पर पहले ही तय था कि समय कम मिलेगा, तो महिलाएं झंडे की सप्लाई दे नहीं पाएंगी। इसलिए काम चहेते ठेकेदार को देना और आसान हो जाएगा। तीन किरदार, जिनकी जानकारी में पूरा खेल
हमने जब पूरे मामले की पड़ताल की, तो हमारे सामने तीन किरदार सामने आए। जिनकी इस पूरे खेल में सबसे मजबूत भूमिका रही। पहला- डिप्टी कमिश्नर NRLM अश्वनी कुमार, दूसरा- खंड विकास अधिकारी बाबा बेलखरनाथ धाम राजीव पांडे और तीसरा- ब्लॉक मिशन मैनेजर नसरुद्दीन। ब्लॉक मिशन मैनेजर NRLM नसरुद्दीन ने महिलाओं को बिना जानकारी दिए उनका कार्रवाई रजिस्टर और उनको गुमराह करके सिग्नेचर लिए। डीसी NRLM का रेफरेंस देते हुए पैसा वापस करने का दबाव बनाया। झंडों की आपूर्ति कम, कागजों पर पूरी
हमने इस बात की भी पड़ताल की कि आखिरकार इतने झंडे कहां बांटे गए? सबसे पहले हम लक्ष्मणपुर ब्लॉक पहुंचे। वहां बीडीओ ऑफिस में तैनात कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया- ब्लॉक में 36 हजार झंडों की डिमांड थी, लेकिन 12-13 हजार झंडे ही भेजे गए। कुछ यही हाल मांधाता, सांगीपुर, लालगंज और अन्य कई विकास खंडों का भी रहा। हर जगह झंडे की सप्लाई कम की गई। ऐसे में ये पूरी योजना ही कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। महिलाओं के विरोध के बाद मामले की जांच शुरू
महिलाओं के विरोध के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं। डिप्टी कमिश्नर NRLM अश्वनी कुमार सोनकर से मामले में जवाब-तलब किया गया है। हालांकि, अब विभाग के लोग गांव-गांव महिला समूह की महिलाओं को मैनेज करने में लगे हैं। कई जगह उनसे साइन भी करवाए गए कि झंडे बनाकर उसकी सप्लाई उन्होंने ही दी है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार एक दिन में 5 लाख से ज्यादा झंडे कैसे तैयार हो गए? डिप्टी कमिश्नर NRLM अश्वनी कुमार सोनकर से उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया, लेकिन उन्होंने पिक नहीं किया। ये भी पढ़ें… यूपी के बंटवारे की कितनी संभावना:बालियान उठा रहे पश्चिमी यूपी का मुद्दा, मायावती ने दिया था 4 भाग में बांटने का प्रस्ताव ‘वेस्ट यूपी अलग राज्य बने, ये मांग नहीं जरूरत है। बात पूरब-पश्चिम की नहीं, जनसुविधाओं और विकास की है। इसमें पूरब-पश्चिम और जाति-धर्म की लड़ाई न हो, बैठकर बात की जाए और इस मांग को पूरा किया जाए। मैं सरकार तक इस बात को पहुंचाऊंगा।’ पूर्व भाजपा सांसद संजीव बालियान के 9 सितंबर को दिए इस बयान ने एक बार फिर यूपी के विभाजन मुद्दे को हवा दे दी। किसान नेता भी उनके समर्थन में उतर आए हैं। नरेश टिकैत ने तो राज्य को चार हिस्सों में बांटने तक की वकालत कर दी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी राज्य को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में दिया था। पूरी खबर पढ़ें…

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