29 सितंबर को दुनिया भर में ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ मनाया जाता है। हेल्दी हार्ट को लेकर कई सारे अवेयरनेस कैंपेन चलाए जाते हैं। बावजूद इसके अभी भी बड़ी संख्या में लोग दिल की बीमारियों से बचने के बारे में कम जानते हैं। दैनिक भास्कर ने ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ पर लखनऊ के टॉप कार्डियोलॉजिस्ट से बात की। हार्ट अटैक समेत कई कॉम्प्लिकेशन के कारण, इलाज और बचाव के बारे में जाना। सबसे पहले बात SGPGI के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सत्येंद्र तिवारी से…
डॉ. सत्येंद्र तिवारी ने कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी में दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। अब यह खतरा सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा। युवा पीढ़ी हार्ट डिजीज की चपेट में आ रही है। काम का तनाव, अनियमित दिनचर्या और खराब खानपान ने युवाओं के दिल को कमजोर कर दिया है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में 25-40 वर्ष के युवक भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। हर चौथा व्यक्ति बीपी का मरीज
डॉ. तिवारी ने कहा- युवाओं का रुझान धूम्रपान की तरफ बढ़ रहा है। देर तक मोबाइल का इस्तेमाल, 8 घंटे से कम नींद और काम का दबाव उन्हें मानसिक बीमारी की ओर धकेल रहा है। पहले ब्लड प्रेशर की बीमारी 55-60 वर्ष की उम्र के लोगों को होती थी, लेकिन अब OPD में आने वाला हर चौथा व्यक्ति बीपी की चपेट में है। इसमें भी 60% तक युवा हैं। सही आहार दिल की सेहत का आधार है। फास्ट फूड, तले-भुने व अधिक फैट वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं और डाइट में मौसमी फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन को शामिल करें। फाइबर से डाइट ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने व दिल की सेहत बनाए रखने में मदद करता है। दिल के मरीज तीन माह में एक बार और सामान्य व्यक्ति छह माह में एक बार लिपिड प्रोफाइल का टेस्ट कराएं। कोलेस्ट्राल बढ़ता है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के दवा बंद न करें। दिल की बीमारी से बचने के लिए करे ये उपाय
KGMU लारी कॉर्डियोलॉजी के डॉ.अक्षय प्रधान ने कहा कि दिल की बीमारी से बचने या फिर उस पर काबू पाने के लिए A, B, C, D और E के फार्मूले को अमल में लाएं। इससे बीमारी का खतरा 40 से 50% तक कम होगा। यदि पहले से बीमारी की जानकारी हो गई है, तो वह सामान्य दवाओं से काबू आ सकती है। पश्चिमी देशों से ज्यादा भारत में है खतरा
लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजी प्रमुख प्रो. भुवन चंद्र तिवारी का कहना है कि हार्ट डिसीज अब बेहद कॉमन हो चुका है। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि भारतीय की लाइफ स्टाइल के कारण ये तेजी से बढ़ रहा है। इजाफा होने में बड़ा कारण अवेयरनेस की कमी भी है। 19-24 साल की उम्र के युवाओं को हाई कोलेस्ट्राल की परेशानी हो रही है। ऐसे लोगों को 35-50 साल में दिल की गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ता है। जरूरत है, सभी अनुशासित जीवनशैली और पौष्टिक आहार को अपनाए। मुझे लगता है, कि डॉक्टर तो सिर्फ एक बार बताएगा, सभी को इसे आदत में शामिल करना होगा। ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से हो रही दिल की समस्याएं
KGMU की डॉ. मोनिका भंडारी ने बताया कि ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से महिलाओं को दिल की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। इससे बचाव के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से अध्ययन किया जा रहा है। इसके आधार पर गाइडलाइन तैयार होगी। उन्होंने बताया कि शोध में ऐसी महिलाओं को शामिल किया है, जिनमें गर्भ के दौरान हदय रोग की समस्या है। इस दौरान दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। अगर पहले से हार्ट समस्या होगी तो गर्भ के दौरान और समस्या बढ़ जाएगी। ये मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा है। इसी को लेकर प्रोटोकॉल तैयार करने की कोशिश कर रहे है। ताकि दिल की बीमारी से जूझ रही महिलाओं और बच्चों दोनों को बचाया जा सके। जिसमें मेडिसिन से लेकर सर्जरी तक शामिल है।

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