यूपी में राजनीति और अफसरशाही के गलियारों में इस समय एक मिठाई वाले की चर्चा है। वह दो माननीयों की मलाई का फायदा उठा रहा है। दोनों माननीय अपनी मलाई उसे खपाने के लिए दे रहे हैं। पश्चिम यूपी के एक बड़े जिले के अफसर की कुर्सी विधायक के विरोध की वजह से सुरक्षित है। विधायक चाहते हैं साहब हट जाएं, लेकिन वह ऊपर वालों के खिलाफ भी रहते हैं। हाल ही में चर्चा उठी कि एसपीजी कमजोर पड़ गई है, लेकिन तबादलों में उसका रुतबा दिखा। अफसर मानने लगे कि एसपीजी का जलवा पहले जैसा ही है। इस शनिवार सुनी-सुनाई में पढ़िए राजनीति और अफसरों के बीच चल रही ऐसी चर्चाएं…. ऊंची आवाज में बात कर और फंसे साहब
भ्रष्टाचार के मामले में फंसे यूपी पुलिस के एक अफसर इन दिनों अपनी किस्मत का रोना रो रहे हैं। 5 साल पहले उन पर भ्रष्टाचार का सहारा लेकर जिले की कप्तानी लेने का मामला सामने आया था। शिकायत मिली तो जिला छिन गया। उसके बाद से उनकी पटरी पर वापस आने की उनकी हर कोशिश नाकाम होती रही। उनके मामले की जांच भी एक ऐसे अफसर को दी गई, जो फाइलों के एक-एक कॉमा-फुल स्टॉप के भी मायने निकाल लेते हैं। अपनी इसी महारत से एक नेता को वह उनकी सही जगह पहुंचा भी चुके हैं। जाहिर है, ऐसे अफसर से बच पाना मुश्किल था। जांच के दौरान आरोपी अधिकारी और जांच कर रहे अफसर के बीच ऊंची आवाज में बात हुई तो मामला और बिगड़ गया। खबर है, पटरी पर वापसी के प्रयासरत साहब पर जो आरोप लगे थे, सच साबित हो गए हैं। इसके बाद से ही साहब बेचैन हैं। अब शासन के चक्कर काट रहे हैं। शायद कहीं से कृपा बरस जाए और उनका कल्याण हो जाए। मिठाई वाला खा रहा माननीयों की मलाई
राजधानी में सत्ता के माननीयों का करीबी एक मिठाई वाला इन दिनों काफी चर्चा में है। वैसे तो लोग मिठाई वाले से मलाईदार मिठाइयां लेकर खाते हैं, लेकिन यहां दो माननीयों की मलाई मिठाई वाला खपा रहा है। माननीय अपनी मलाई पचा नहीं पा रहे, इसलिए मिठाई वाला उनकी पसंद है। मिठाई वाला माननीयों की मलाई से होटल, रियल एस्टेट सहित अन्य कारोबार को चमका रहा है। बात तो यहां तक ठीक थी, लेकिन मलाई वाले की गलती छिपाने में माननीय आगे आ गए, जिससे इसकी चर्चा और तेज हो गई। हुआ कुछ यूं कि बीते दिनों मिठाई वाले के यहां की मिठाइयां खाकर एक अफसर का नीलकंठ होते-होते बचा। अफसर मिठाई वाले पर कार्रवाई चाह रहे थे, लेकिन माननीयों ने ढाल का काम किया। असर यह हुआ कि अफसर मिठाई वाले का बाल भी बांका नहीं कर सके। विश्वसनीय तो एसपीजी ही हैं
बीते दिनों सूबे की शासन सत्ता में आला हाकिमों के बीच खींचतान की खबरें आ रही हैं। चर्चा चल रही थी कि 7 साल से सत्ता की एसपीजी इन दिनों कमजोर हुई है। सूबे की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक एसपीजी की पकड़ कुछ ढीली हुई है। लेकिन, बीते दिनों अफसरों के तबादले बता रहे हैं कि एसपीजी की पकड़ उतनी ही मजबूत है। कितनी भी विपरीत परिस्थिति के बावजूद एसपीजी के सुरक्षा घेरे के कारण ही मुखिया सुरक्षित रहे। एसपीजी की इसी विश्वसनीयता की वजह से तमाम प्रयास के बाद भी वह ताकतवर हैं। भगवा टोली के हो गए नटवर
एक नटवरलाल की कहानी तो सभी को पता है। दूसरे नटवरलाल की कहानी इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी है। माहौल देखकर दल बदलने वाले नटवर के आगे भगवा टोली को सालों से पोषित करने वाले लक्ष्मणपुरी के वैश्य खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सत्ता में पद पाने ही होड़ और दौड़ तेज है। लोग एक-एक पद के लिए सब कुछ कर देने को तैयार हैं। ऐसे में अब तक भगवा टोली से दूर-दूर तक वास्ता नहीं रखने वाले नटवर ने महत्वपूर्ण पद पाकर हिला दिया है। अब भगवा टोली के वैश्य खोज रहे हैं कि आखिर किसने नटवर को इतने कम समय में इतना बड़ा पद दिला दिया। कुछ की खोज पूरी हो गई है। जिनकी खोज पूरी हो गई है, उन्होंने भी अब बाकी सारे नेताओं को छोड़कर बृज की भूमि के भगवान की शरण में जाना शुरू कर दिया है। नेता जी का विरोध, मतलब कुर्सी बचने की गारंटी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक जिले के बड़े पुलिस अफसर की कुर्सी नेता जी के विरोध के चलते बची हुई है। मामला ऐसे जिले का है, जहां के विधायक अपने ही दल की सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आए दिन चर्चा में रहते हैं। विडंबना यह है कि विधायक की सुनवाई लखनऊ में रत्ती भर भी नहीं होती। अब तो जिले के दूसरे पुलिस अफसर भी कहने लगे हैं कि अपनी कुर्सी बचानी हो तो अपने खिलाफ एक पत्र माननीय विधायक जी से लिखवा दो। विधायक जी के पत्र लिखते ही अधिकारी का 6 महीने का कार्यकाल खुद बढ़ जाएगा। जिस जिले की बात हो रही है, वहां के कप्तान अब तक की अपनी सबसे लंबी पारी खेल रहे हैं। कुछ लोग तो अब यहां तक कहने लगे हैं कि साहब भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायक जी से बयान दिलवाते हैं। ये भी पढ़ें… माई की कृपा वाले को नहीं मिला ऊपर से आशीर्वाद:यूपी में बागियों के लिए गेट खोलने वाला नहीं मिल रहा, भगदड़ मचने वाली है, इंतजार करिए

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