नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर ने खुद के अपहरण की कहानी रची। अपने मोबाइल से मां को फोन कर 50 लाख की फिरौती मांगी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने उसे दो साथियों के साथ हरियाणा के रेवाड़ी से गिरफ्तार कर लिया। उसका एक साथी फरार हो गया। पुलिस ने बताया कि युवक नशे और डेटिंग का शौकीन है। पैसों की जरूरत की वजह से खुद के अपहरण की प्लानिंग रची। 10 सितंबर को गायब हुआ था
एडीसीपी मनीष मिश्र ने बताया कि शुभम गौड़ मूल रूप से मध्यप्रदेश का रहने वाला है। वर्तमान में नोएडा के जेपी कॉसमॉस सेक्टर-134 में रहता है। टाटा कंसल्टेंसी में काम करता है। 10 सितंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे बिना किसी को बताए सोसाइटी से गायब हो गया। अपना फोन भी बंद कर लिया। शुभम से संपर्क नहीं होने पर परिजन परेशान हो गए। घरवाले मध्यप्रदेश से नोएडा आ गए। यहां पर थाना एक्सप्रेस-वे में उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। दो दिन बाद ही शुभम के मोबाइल से उसकी मां के पास फोन आया। फोन करने वाले ने शुभम को छोड़ने के एवज में 50 लाख रुपए की डिमांड की। परिजनों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस को हरियाणा में मिली लोकेशन
किडनैपिंग के बदले फिरौती की रकम में बार-बार बदलाव होने पर पुलिस को शक हुआ। पहले लाखों में बात चल रही थी। इसके बाद ये हजारों में पैसे की डिमांड करने लगे। पुलिस ने शुभम के फोन को ट्रैक किया। लोकेशन हरियाणा में मिली। पुलिस ने वहां पर छापा मारा। शुभम को उसके दो साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया। वहीं, उसका एक साथी फरार हो गया। एक महीने पहले रची थी साजिश
शुभम ने पुलिस को बताया, उसने ग्वालियर के रहने वाले दोस्त ऊधो के साथ मिलकर अपने अपहरण की साजिश रची। ऊधो के दोस्त अंकित कुमार, संदीप, दीपक ने उसका साथ दिया। प्लानिंग के तहत 10 सितंबर को अंकित ने शुभम को फोन कर नंगली पेट्रोल पम्प के पास सेक्टर-134 बुलाया। यहां से एक किराए की ब्रेजा कार ली। सभी उसी कार से दिल्ली होते हुए हरियाणा के रेवाड़ी पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद शुभम के मोबाइल से उसकी मां को फोन कर पहले धमकी दी। इसके बाद फिरौती की मांग की। नशा और डेटिंग के लिए चाहिए था पैसा
शुभम ने पूछताछ में बताया, वह नोएडा की टीसीएस कंपनी में महज 25 हजार रुपए की नौकरी करता है। नशे और डेटिंग का शौकीन है। उसे हमेशा पैसों की जरूरत रहती थी। परिवार वाले पैसे नहीं देते थे। सैलरी से वह अपने महंगे शौक पूरे नहीं कर पा रहा था। इसलिए उसने अपहरण की साजिश रची। उसने जिन साथियों को चुना उन्हें भी पैसों की जरूरत थी। इनमें अंकित की बहन की शादी फरवरी में हुई थी। उस पर काफी कर्जा था। परिवार से संपन्न है शुभम
एडीसीपी ने बताया कि शुभम कॉसमॉस सोसाइटी में एक फ्लैट में किराए पर रह रहा था। शुभम के दादा रजिस्ट्रार थे। उसके पिता का केबल/डिश टीवी का काम है। शुभम के चाचा का रियल एस्टेट का बिजनेस है। उनके कोई बेटा नहीं है। उसे लगता था कि ऐसा करने से उसके परिजन पैसा दे देंगे और वह इन पैसों से अपने शौक पूरा करेगा। इलेक्ट्रिक सर्विलांस और इंटेलिजेंस की मदद से पकड़ा
एडीसीपी ने बताया, मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम ने इलेक्ट्रिक सर्विलांस , इंटेलिजेंस और मुखबिर को एक्टिव किया। इसके बाद शुभम गौड़ ,संदीप और अंकित को पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस को किया था गुमराह
शुभम को उम्मीद थी कि उसके परिजन अगवा होने की सूचना पर 50 लाख रुपए की फिरौती दे देंगे। शुरू में उसने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। बताया कि मेवाती गिरोह के लोगों ने गांजा चेक करने के बहाने उसे बंधक बना कर रखा और उसके परिजनों से फिरौती की रकम मांगी। ये भी पढ़ें जज से परेशान दरोगा ट्रेन की पटरी पर लेटा:अलीगढ़ में बोला- मैं मरने जा रहा हूं, हर 10 मिनट में बुलाकर जलील करते हैं अलीगढ़ में एक दरोगा सुसाइड करने रेलवे पटरी पर जा पहुंचा। वह पटरी पर जाकर लेट गया और ट्रेन का इंतजार करने लगा। जब उसके साथी पुलिसकर्मियों को पता चला, तो वे लोग मौके पर पहुंचे। सभी ने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना। दरोगा का कहना था, न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उससे अभद्रता की, अपशब्द कहे। इससे परेशान होकर मैं मरने जा रहा हूं। इसी दौरान बन्नादेवी थाना प्रभारी पंकज मिश्रा भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने दरोगा को बड़ी मुश्किल से समझाया। इसके बाद दरोगा पटरी से हटा। (पढ़ें पूरी खबर)